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अब केंद्र में RCP की जगह ललन सिंह, PM मोदी के इस तवज्जो के बाद हलचल तेज

नई दिल्ली (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। राष्ट्रपति चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की कैंडिडेट द्रौपदी मुर्मू के नामांकन के दौरान दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए में बीजेपी की सहयोगी पार्टी जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष और सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह का नाम लेकर उन्हें आगे बुलाया और पहली लाइन में लगी कुर्सियों पर अपनी कुर्सी से एक कुर्सी बाद बीजेपी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के बगल में बिठाया।

नामांकन के दौरान पहली पंक्ति में मुर्मू के साथ पीएम मोदी के अलावा गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नड्डा और ललन सिंह बैठे थे। कई राज्यों के मुख्यमंत्री इस दौरान दूसरी पंक्ति में बैठे नजर आए।Now Lalan Singh instead of RCP in the center after this attention of PM Modi stir intensified 1

एनडीए में बीजेपी के बाद जेडीयू ही दूसरे नंबर की पार्टी है इस लिहाज से एनडीए कैंडिडेट के नामांकन में ललन सिंह को तवज्जो मिलना वाजिब बात है। लेकिन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतनी महीन औपचारिकता का ख्याल रखें और ललन सिंह को आस-पास न देखकर ललन जी नाम लेकर बुलाएं और इशारा करें कि आपकी कुर्सी यहां है, ये बहुत खास बात है।

ललन सिंह पीएम के बुलाने के बाद पीछे से आगे आते हैं और मोदी की दाहिनी ओर जेपी नड्डा के बाद वाली कुर्सी पर बैठते हैं।

पीएम मोदी के ऐसा करने से ललन सिंह का भाव दिल्ली दरबार में अचानक बढ़ गया है जहां दो हफ्ते बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जेडीयू के इकलौते मंत्री आरसीपी सिंह का राज्यसभा कार्यकाल खत्म हो रहा है।

जब आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बने थे तब भी अटकल यही था कि जेडीयू से दो मंत्री बनेंगे और दूसरे मंत्री ललन सिंह होंगे। तर्क दिया गया था कि लोजपा के 6 सांसद पर एक मंत्री हैं तो जेडीयू के 16 एमपी पर दो मंत्री तो मिल ही जाएगा।

पार्टी से कितने मंत्री बन सकते हैं, इस पर बीजेपी से बात करने के लिए नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को ही अधिकृत किया था जो उस समय पार्टी के अध्यक्ष भी थे।

लेकिन आरसीपी सिंह अकेले मंत्री बन गए और माना जाता है कि तब से ही नीतीश कुमार उनसे नाराज हो गए। नाराजगी अब इतनी बढ़ चुकी है कि उनको दोबारा सांसद नहीं बनाया गया।

यहां तक कि 12 साल से वो पटना में जिस बंगला में जेडीयू के विधान पार्षद संजय गांधी के नाम पर पर रहे थे, उसे भी मुख्य सचिव को आवंटित करके खाली करा लिया गया।

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