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जेजेबी की जद में आई थानेदार, वेतन से 10 हजार रुपए काट कर विभागीय कार्रवाई करें एसपी

यह माहिला थानेदार न्यायालय को पोस्ट ऑफिस समझ रही है, जहां से पत्रों का आदान-प्रदान करना ही उन्हें उचित लग रहा है। न्यायिक आदेश का पालन में कोई रुचि नहीं दिख रही है। इस उदासीन व्यवहार की वजह से मामला लंबित चला आ रहा है। इनके द्वारा वरीय अधिकारियों के आदेश की भी अवहेलना की गयी है

बिहार शरीफ (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। नालंदा जिला किशोर न्याय परिषद ने महिला थानेदार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए जमकर फटकार लगाया है। साथ ही एसपी को थानेदार अनिता गुप्ता के वेतन से वाद स्थगन खर्चे के रूप में 10 हजार रुपये काटकर किशोर न्याय निधि में जमा कराने व विभागीय कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिये हैं।

जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र ने अपने आदेश में कहा है कि इस अपराध में पुलिस अनुसंधान की गति कछुआ के चाल से भी धीमी है। मामले में आरोपी बनायी गयी किशोरी लगभग 17 वर्ष की हो चुकी है।

घटना के वक्त किशोरी की उम्र 14 वर्ष 7 माह थी। अगर यह अनुसंधान इसी तरह से जारी रहा तो जल्द ही विधि विरूद्ध किशोरी तारीख पर कोर्ट आते-जाते व्यस्क हो जायेगी।

इस मामले की डायरी में अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा भी पर्यवेक्षण टिप्पणी में विधि विरूद्ध किशोरी सविता कुमारी और इस वाद के एक अन्य अभियुक्त त्रिदेव कुमार की इस अपराध को कार्य करने में सहभागिता या संलिप्तता प्रतीत होना नहीं बताया गया है। बावजूद इसके लगभग दो साल से आरोपी के बहन के विरूद्ध अनुसंधान लंबित रखा गया है और अभी तक चार्जशीट नहीं सौंपा गया है।

महिला थाना का यह मामला जून 2019 की दुष्कर्म से संबंधित है। इस मामले में विधि विरूद्ध किशोरी के भाई पर शादी का प्रलोभन देकर संबंध बनाने और दहेज की मांग करने व मांग पूरी नहीं होने पर शादी से इंकार करने जैसे आरोप है।

मामले की सूचिका ने कहा है कि किशोरी के भाई के कहने पर वह बिहारशरीफ में रूम लेकर पति पत्नी की तरह साथ रहे। उसके आवेदन में भी इस अपराध में किशोरी की कोई भूमिका नहीं बतायी गयी है।

इस मामले में पीड़िता की मां व एक अन्य साक्षी के बयान में पीड़िता और विधि विरूद्ध किशोरी के भाई के बीच संबंध और शादी से इंकार करने की बात तो सामने आयी है लेकिन बहन की भूमिका किसी ने भी नहीं बयां की है।

जिसे जिला किशोर न्याय परिषद ने भी माना है कि पीड़िता अथवा उसके परिवार वाले या किसी भी स्वतंत्र साक्षी ने विधि विरूद्ध किशोरी पर यह अपराध करने या सहयोग करने का आरोप कही भी नहीं लगाया है।

एसपी द्वारा भी महिला थानेदार को बीते 7 सितम्बर 2021 को ही निर्देश दिया गया है कि जब उक्त कांड में प्रतिवेदन दो जारी है और पीआर भी जारी किया जा चुका है। उसके बावजूद किस परिस्थिति में कोर्ट में अंतिम प्रतिवेदन जमा करने में टाल मटोल कर रही है।

उन्होंने 8 सितम्बर को पूर्ण प्रतिवेदन कोर्ट को सौंपने के निर्देश दिये। बावजूद इसके थानेदार द्वारा जो जवाब कोर्ट को समर्पित किया गया उसे जिला किशोर न्याय परिषद ने संतोषजनक नहीं मान टिप्पणी की है कि वह गेंद को एक पाले से दूसरे पाले में डाल रही है।

नियमानुसार किशोर को प्रथम बार जिला किशोर न्याय परिषद में प्रस्तुत किये जाने के समय ही वैसे बालक अथवा बालिका जिस पर जघन्य अपराध किये जाने के आरोप हों, ऐसे मामले में पुलिस पदाधिकारी को 30 दिनों के भीतर किशोर पर चार्जशीट सौंप देनी है। न्यायिक आदेश के बावजूद इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है। जिसके कारण मामले के निष्पादन में विलंब हो रहा है।

जिला किशोर न्याय परिषद के आदेश पर महिला थानेदार के वेतन से 10 हजार रुपये काटकर बिहार किशोर न्याय निधि में जमा होगा। एसपी को भेजे गये पत्र में बिहार किशोर न्याय निधि के बैंक खाते का विवरण भी दिया गया है।

उन्होंने विभागीय कार्रवाई शुरू करने का भी कहा है। आदेश की प्रति कोषागार पदाधिकारी को भी भेजी गयी है। दंड प्रक्रिया की धारा 309 के तहत अधिकार का प्रयोग करते हुए यह अर्थदंड लगाया गया है।

 

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