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नालंदाः बिहारशरीफ से सटे इन 5 गांवों में 50 साल से हो रही है अनोखी होली !

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एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क डेस्क। पूरे देश में होली मनाने का अपना-अपना तरीका है। कहीं लोग सिर्फ गुलाल से होली खेलते हैं तो कहीं फूलों से होली खेली जाती है।

Nalanda In these 5 villages adjacent to Bihar Sharif unique Holi is being held for 50 years 1इस बीच यह जानकर हैरानी हो सकती है कि बिहार के एक जिले में पांच गांवों में इस मौके पर चूल्हा नहीं जलता है।

जिला मुख्यालय बिहारशरीफ से सटे पांच गांव ऐसे हैं जहां कुछ अलग तरीके से होली मनाई जाती है। लोग शुद्ध शाकाहार रहते हैं। मांस-मदिरा के सेवन से परहेज करते हैं।

होली के अवसर आपने अक्सर बिहार के कई जिलों में देखा होगा कि लोग फगुआ के गीत पर झूमते हैं। शाम में फगुआ गाया जाता है, लेकिन इस पांच गांवों के लोग फगुआ के गीतों पर झूमते नहीं हैं।

ईश्वर की भक्ति में लीन रहते हैं। 50 वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को आज भी पूरी श्रद्धा के साथ निभाया जा रहा है।

होली के रंग में भंग न हो शांति और भाईचारा बना रहे। इसके लिए पतुआना, बासवन बिगहा, ढीबरापर, नकटपुरा और डेढ़धारा में होलिका दहन की शाम से 24 घंटे का अखंड कीर्तन होता है।

धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत होने से पहले ही लोग घरों में मीठा भोजन तैयार कर रख लेते हैं। जब तक अखंड का समापन नहीं होता है, तब तक घरों में चूल्हे जलाने पर धुआं करना वर्जित रहता है। लोग नमक का भी सेवन नहीं करते हैं।

भले ही होली के दिन हर जगहों पर रंगों की बौछार होती है लेकिन, इन पांच गांवों के लोग रंग-गुलाल उड़ाने की जगह हरे राम हरे कृष्ण की जाप करते हैं। हां इतना जरूर है कि बसिऔरा के दिन होली का आनंद जरूर उठाते हैं।

ग्रामीणों की मानें तो पहले होली के मौके पर गांवों में अक्सर विवाद होता था। इससे छुटकारा पाने के लिए सिद्ध पुरुष संत बाबा ने ग्रामीणों को ईश्वर भक्ति की सीख दी थी। उसी समय से होली के मौके पर अखंड कीर्तन की परंपरा शुरू हुई। इस कारण यहाँ शांति कायम रहता है।

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