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मंत्री श्रवण कुमार को नालंदा के बाद सहरसा में खदेड़ा, जानें पूरा मामला

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। बिहार के सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर में आयोजित एनडीए विधानसभा कार्यकर्ता सम्मेलन से लौटते समय ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार को स्थानीय स्वच्छता कर्मियों के गुस्से का सामना करना पड़ा। हाई स्कूल ग्राउंड में आयोजित इस सम्मेलन के बाद जैसे ही मंत्री अपने काफिले के साथ रवाना होने लगे, स्वच्छता कर्मियों ने उनके वाहन को घेर लिया और जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। कुछ कर्मी सड़क पर लेट गए तो कुछ ने वाहन के किनारों को पकड़ लिया, जिससे मौके पर अफरातफरी का माहौल बन गया।

प्रदर्शनकारी स्वच्छता कर्मियों का आरोप है कि बिहार सरकार उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। कर्मियों ने बताया कि पहले उन्हें नियमित रूप से वेतन मिलता था, लेकिन अब उनका मानदेय असमान्य रूप से कम कर दिया गया है। इसके अलावा महीनों से समय पर भुगतान न होने, स्वास्थ्य बीमा की कमी, और कार्यस्थल पर सुरक्षा सामग्री जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव उनकी नाराजगी का प्रमुख कारण है।

प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगें स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्हें स्थायीकरण चाहिए, मानदेय को पूर्ववत नियमित रूप से मिलना चाहिए और बुनियादी सुविधाएं जैसे स्वास्थ्य बीमा और सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाएं।

कर्मियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो वे अपने आंदोलन को और व्यापक रूप देंगे, जिससे सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

स्थिति को भांपते हुए मंत्री श्रवण कुमार ने तेजी से अपने वाहन में बैठकर आगे बढ़ने की कोशिश की, लेकिन भीड़ के बीच गाड़ी को निकालना आसान नहीं था। मौके पर मौजूद पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत मोर्चा संभाला और लगभग 15 मिनट की कड़ी मशक्कत के बाद काफिले को सुरक्षित निकालने में सफलता पाई। इस दौरान नारेबाजी और हंगामा जारी रहा, जिसने स्थानीय लोगों और कार्यकर्ताओं का ध्यान खींचा।

यह घटना सिमरी बख्तियारपुर के हाई स्कूल मैदान में आयोजित एनडीए विधानसभा कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान हुई। इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में एनडीए कार्यकर्ता और समर्थक मौजूद थे। अपने भाषण में मंत्री श्रवण कुमार ने संगठन को मजबूत करने और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर जोर दिया। उन्होंने कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर पार्टी के लिए काम करने की अपील की। हालांकि, सम्मेलन के बाद हुआ यह विरोध प्रदर्शन उनके लिए अप्रत्याशित रहा।

इस घटना ने सहरसा और आसपास के क्षेत्रों में राजनीतिक चर्चाओं को हवा दे दी है। स्वच्छता कर्मियों की नाराजगी ने सरकार की नीतियों और कर्मचारी कल्याण के प्रति उनके रवैये पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। विशेष रूप से, स्वच्छता कर्मियों जैसे निम्न-स्तरीय कर्मचारियों की समस्याओं को नजरअंदाज करने का आरोप सरकार पर लगातार लग रहा है।

गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब मंत्री श्रवण कुमार को इस तरह के विरोध का सामना करना पड़ा है। हाल ही में नालंदा के एक गांव में भी उनके काफिले को इसी तरह की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। सहरसा की इस ताजा घटना ने सरकार के लिए चुनौतियां बढ़ा दी हैं, खासकर तब जब बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं।

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