पटनाफीचर्डबिहारसरकार

जानें संघ अध्यक्ष और सचिव समेत 110 विशेष सर्वेक्षण कर्मियों की क्यों गई नौकरी?

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने एक सख्त कदम उठाते हुए 110 विशेष सर्वेक्षण कर्मियों की संविदा सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी है। इनमें विशेष सर्वेक्षण अमीन, कानूनगो, सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी और लिपिक शामिल हैं।

इस कार्रवाई में तथाकथित कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रौशन आरा और सचिव विभूति कुमार के नाम विशेष रूप से उजागर हुए हैं। विभाग ने इन कर्मियों पर हड़ताल भड़काने और सरकारी कार्य में बाधा डालने का गंभीर आरोप लगाया है।

भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि इन कर्मियों ने अनुचित मांगों को लेकर हड़ताल का रास्ता अपनाया, जिससे विभागीय कार्य बाधित हुआ। कुछ कर्मियों ने तथाकथित संघों के बैनर तले आंदोलन का आह्वान किया, जबकि कई अन्य बिना सूचना के अपने कर्तव्यों से अनुपस्थित रहे।

निदेशक जे. प्रियदर्शिनी के आदेश के अनुसार संघ की अध्यक्ष रौशन आरा ने 16 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया था और सचिव विभूति कुमार उसी दिन से अपने दायित्वों से विमुख होकर हड़ताल में शामिल हो गए।

विभाग ने इसे अनुशासनहीनता और सरकारी आदेशों की अवहेलना माना है। आदेश में स्पष्ट किया गया कि इन कर्मियों की नियुक्ति संविदा नियमावली के तहत हुई थी, जिसमें नियमितीकरण का कोई प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद पदनाम परिवर्तन, नियमितीकरण और समतुल्य वेतनमान जैसी मांगों को लेकर हड़ताल करना संविदा शर्तों और शपथपत्र का खुला उल्लंघन है।

बिहार सरकार का राजस्व महाअभियान राज्य में भूमि सुधार के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है। इस अभियान के तहत जमाबंदी में त्रुटि सुधार, ऑफलाइन जमाबंदी को ऑनलाइन करना, बंटवारा, नामांतरण और उत्तराधिकार नामांतरण जैसी सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाने का लक्ष्य है।

यह अभियान आजादी के बाद का सबसे बड़ा भूमि सुधार प्रयास माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य भूमि विवादों को कम करना और सभी रैयतों को उनकी जमाबंदी पंजी उपलब्ध कराना है। इस पंजी में नाम, खाता, खेसरा नंबर, रकबा और आराजी जैसी महत्वपूर्ण जानकारी शामिल होती है।

हड़ताल के कारण इस महत्वाकांक्षी अभियान की गति प्रभावित हुई, जिससे आम जनता को असुविधा का सामना करना पड़ा। विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई की और 110 कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी। साथ ही अन्य अनुपस्थित कर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस तरह की गतिविधियां न केवल सरकारी कार्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि जनता के हितों को भी नुकसान पहुंचाती हैं। संविदा कर्मियों को नियुक्ति के समय दी गई शर्तों का पालन करने की चेतावनी दी गई थी और इन शर्तों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई अपरिहार्य थी।

यह कार्रवाई बिहार में चल रहे राजस्व सुधार अभियान की गंभीरता को दर्शाती है। सरकार का लक्ष्य भूमि संबंधी विवादों को न्यूनतम करना और पारदर्शी व्यवस्था स्थापित करना है। ऐसे में इस तरह की बाधाओं को दूर करने के लिए विभाग का यह कदम एक मजबूत संदेश देता है कि किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button