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झारखंड शराब घोटालाः ACB ने IAS विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को दबोचा, जानें पूरा मामला

इस मामले में ACB की कार्रवाई अभी खत्म नहीं हुई है। सूत्रों के अनुसार जांच के दायरे में कई और अधिकारी और एजेंसियां हैं, जिनसे आने वाले दिनों में पूछताछ हो सकती है। शराब घोटाले की इस बड़ी कार्रवाई ने झारखंड प्रशासन में हलचल मचा दी है और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले का अगला अध्याय क्या मोड़ लेता है...

रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड की राजनीति और प्रशासन में भूचाल लाने वाले बहुचर्चित शराब घोटाले में ACB (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य के दो सीनियर अधिकारियों विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया। दोनों अधिकारियों पर झारखंड सरकार को लगभग 30 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान पहुंचाने का आरोप है।

गिरफ्तारी से पहले दोनों अधिकारियों से घंटों पूछताछ की गई। पूछताछ के बाद दोपहर करीब 3 बजे दोनों को हिरासत में लिया गया और मेडिकल जांच के बाद उन्हें शाम 4:30 बजे एसीबी के विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजते हुए 3 जून तक होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में रखने का आदेश दिया।

ACB ने अपने प्रारंभिक जांच में पाया कि उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के तत्कालीन सचिव और वर्तमान में पंचायती राज विभाग के सचिव विनय चौबे ने प्लेसमेंट एजेंसी के चयन में नियमों की अनदेखी की। उन पर आरोप है कि उन्होंने कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए बिना, कूटरचना और मिलीभगत कर प्लेसमेंट एजेंसी को अनुचित लाभ पहुंचाया।

गजेंद्र सिंह, जो वर्तमान में उत्पाद विभाग में संयुक्त सचिव हैं, इस पूरे प्रक्रिया में सहयोगी भूमिका में थे। ACB के अनुसार, दोनों अधिकारियों की आपराधिक मिलीभगत से झारखंड सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ और एक संगठित आर्थिक अपराध को अंजाम दिया गया।

ACB ने नवंबर 2024 में जांच की शुरुआत की थी। इसके लिए सरकार से अनुमति मांगी गई थी, जिसे हाल ही में स्वीकृति मिल गई। अनुमति मिलते ही ACB की टीम ने सोमवार सुबह विनय चौबे के अशोक नगर स्थित आवास पर छापेमारी की। उन्हें पूछताछ के लिए एसीबी मुख्यालय लाया गया, जहां उन्होंने खुद पर लगे सभी आरोपों से इनकार किया।

इसके बाद गजेंद्र सिंह को बुलाकर उनसे लंबी पूछताछ की गई। पूछताछ के बाद सबूतों के आधार पर दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस दौरान मेडिकल टीम को बुलाकर उनकी सेहत की जांच कराई गई। अदालत में पेशी के दौरान विनय चौबे के वकील ने बताया कि उनकी तबीयत अक्सर खराब रहती है, जिस पर अदालत ने जेल प्रशासन को नियमित जांच का निर्देश दिया है।

ACB द्वारा किसी सीनियर IAS अधिकारी की यह पहली गिरफ्तारी है, जो झारखंड के प्रशासनिक गलियारों में एक ऐतिहासिक और गंभीर संकेत के रूप में देखा जा रहा है। ACB के विशेष लोक अभियोजक आलोक कुमार ने बताया कि दोनों अधिकारियों के रिमांड के लिए अभी कोई आवेदन नहीं दिया गया है। यानी फिलहाल दोनों जेल में रहेंगे।

इस मामले में ACB की कार्रवाई अभी खत्म नहीं हुई है। सूत्रों के अनुसार जांच के दायरे में कई और अधिकारी और एजेंसियां हैं, जिनसे आने वाले दिनों में पूछताछ हो सकती है। शराब घोटाले की इस बड़ी कार्रवाई ने झारखंड प्रशासन में हलचल मचा दी है और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले का अगला अध्याय क्या मोड़ लेता है।

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