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जदयू विधायक ने पीएम को लिखा- ‘भारतीयों में राष्ट्रवाद-देशप्रेम नहीं, हरेक हिन्दुस्तानी लोभी, नेता ठग, सरकारी तंत्र भ्रष्ट’

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एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। हर व्यक्ति की अपनी शिक्षा, संस्कार और सोच होती है। वह अपनी भावनाएं प्रकट करने लिए सवतंत्र है। लेकिन बात जब एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि की हो और उसके द्वारा देश के कार्यपालिका प्रमुख प्रधानमंत्री को लिखे पत्र वायरल की गई हो तो मामला संगीन हो जाता है, खासकर उस परीस्थिति में जब उसमें हर नागरिक पर सबाल उठाया गया हो…

jdu mla rajgir brain 2बिहार के सीएम नीतीश कुमार की कृपावश एक पुलिसकर्मी से सीधे विधायक बने राजगीर अनुसूचित जाति सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र के विधायक रवि ज्योति ने अपने अधिकृत फेसबुक वाल एवं फेसबुक पेज पर एक पत्र सार्वजनिक की है।

विधायक ने वह पत्र 15 मार्च, 2020 को प्रधानमंत्री को लिखा है, जोकि विधायक के कार्यालीय पत्र स्पष्ट होता है, क्योंकि उसमें पत्रांकः 174/20 दर्शाया गया है।

विधायक ने अपने सार्वजनिक पत्र में भारत की चार राष्ट्रव्यापी समस्या बताई है। जातिवाद, संप्रदायवाद, आरक्षण और भ्रष्टाचार। प्रथम क्रमानुसार तीन समस्याओं को ही देश में व्याप्त भ्रष्टाचार का कारण बताया है।

विधायक ने आगे लिखा है कि आम भारतीय में राष्ट्रवाद एवं देशप्रेम नहीं होते हैं। देश कहां जा रहा है, इससे आम हिन्दुस्तानी को कोई मतलब ही नहीं है। हर एक हिन्दुस्तानी लोभी हो गया है। नेता ठग एवं सरकारी तंत्र भ्रष्ट हो गया है।

विधायक ने अपने पत्र में समान शिक्षा-चिकित्सा व्यवस्था की मांग करते हुए लिखा है कि इससे जातिवाद,संप्रादायवाद, आरक्षण एवं भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा।

बहरहाल, राजगीर विधायक ने प्रधानमंत्री के नाम लिखे पत्र को जिस तरह खुद वायरल किया है। उसकी गंभीरता को सहज समझा जा सकता है। खुद एक आरक्षित क्षेत्र से निर्वाचित होने वाले जनप्रतिनिधि आरक्षण मुक्ति की बात करता है। पुलिस की नौकरी भी आरक्षित कोटे से ही की है।

समूचे देश के आम नागरिक को मूर्ख, लालची और राष्ट्रवाद-देशप्रेमहीन बताने की अनुमति भारतीय संविधान की कौन सी धारा देती है, यह विधायक से पूछी जानी चाहिए।

जहां तक नेता ठग और सरकारी तंत्र भ्रष्ट होने की बात है तो यह बिहार के नेता सीएम नीतीश कुमार, देश के नेता पीएम नरेन्द्र मोदी और उनके तंत्र पर भी लागू होता है।

अब देश के जज बने रवि ज्योति सरीखे विधायक ही बता सकते हैं कि आम भारतीयों में राष्ट्रवाद और देश प्रेम नहीं होते। इस विषय का शोध-अनुसंधान उन्होंने किस ‘प्रोफेसर’ के मातहत हुआ है या फिर उन्हें स्व तप-बल से कब आत्मज्ञान प्राप्त हुआ है?

 

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