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      पटना फिल्म फेस्टिवल में बोले जावेद अख्तर खां- स्टारडम और मिमिक्री से अलग है अभिनय

      पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)।  पटना पुस्तक मेले में चल रहे फिल्म फेस्टिवल में  मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ रंगकर्मी जावेद अख्तर खां ने अपनी बात रखी। फिल्म फेस्टिवल के संयोजक रविकांत सिंह ने उनसे बातचीत की। विषय था – ‘अभिनय की बदलती परंपरा’।

      Javed Akhtar Khan said in Patna Film Festival – Acting is different from stardom and mimicry 2बातचीत के बाद एक लघु फिल्म ‘एक शाम की मुलाकात’ का प्रदर्शन भी किया गया। फ़िल्म के निर्देशक तिग्मांशु धूलिया ,अभिनय में इरफ़ान खान,रघुवीर यादव,हिमानी शिवपुरी,टिस्का चोपड़ा हैं।

      बातचीत के दौरान अभिनय की बारीकियों पर प्रकाश डालते हुए जावेद अख्तर खां ने कहा कि रंगमंच का अभिनय एक विशुद्ध शिल्प है, जबकि सिनेमा के अभिनय को हम स्टारडम और कला के बीच कहीं तलाश सकते हैं।

      उन्होंने अमेरिकी अभिनेता मार्लन ब्रांडो और हिंदी सिनेमा के अभिनेताओं नसरुद्दीन शाह तथा ओमपुरी के अभिनय का उदाहरण देते हुए समझाया और साथ ही कहा कि मर्लिन ब्रांडो की तरह अभिनेताओं के पास भी सामाजिक दायित्व का बोध होना चाहिए।

      उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी सिनेमा में कुछ अभिनेता मिमिक्री को ही अभिनय समझ लेते हैं और आजीवन उसी में सिमट कर रह जाते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि मिमिक्री एक अलग कला विधा है। अधिक से अधिक हम मिमिक्री को अभिनय की आरंभिक सीढ़ी मान सकते हैं।

      इस अवसर पर वहां उपस्थित श्रोताओं ने जावेद अख्तर खान से कई सवाल भी किया, जिसका उन्होंने उत्तर दिया। उन्हें पटना पुस्तक मेला के अध्यक्ष रत्नेश्वर ने प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

      इस अवसर पर राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम, अभिनेता विनोद कुमार बीनू ,अभिनेत्री मोना झा,मृत्युंजय प्रभाकर, पुंज प्रकाश, प्रभात,केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के सदस्य प्रशांत रंजन, वरिष्ठ रंगकर्मी सुमन कुमार विनोद कुमार वीनू , पुंज प्रकाश आदि उपस्थित थे।

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