
राष्ट्रगान का अपमान: सीएम नीतीश कुमार पर मुजफ्फरपुर कोर्ट में शिकायत दर्ज
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं। इस बार उन पर राष्ट्रगान का अपमान जैसे गंभीर आरोप लगा है, जिसके चलते मुजफ्फरपुर की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) पश्चिमी कोर्ट में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है। यह मामला भारतीय दंड संहिता और राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 की धाराओं के तहत दायर किया गया है। जिसमें राष्ट्रगान का अपमान करने की सजा तीन साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकती है। इस घटना ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है और विपक्षी दलों ने इसे लेकर नीतीश कुमार पर हमला तेज कर दिया है।
दरअसल, यह विवाद 20 मार्च को पटना में आयोजित सेपक टकरा विश्व कप के उद्घाटन समारोह से शुरू हुआ। इस कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रगान बजाया जा रहा था और एक वायरल वीडियो में नीतीश कुमार को अपने प्रधान सचिव दीपक कुमार से बात करते और हंसते हुए देखा गया। वीडियो में यह भी दिख रहा है कि वह सावधान मुद्रा में खड़े होने के बजाय लोगों की ओर हाथ जोड़कर अभिवादन कर रहे थे। जबकि पास खड़े अधिकारी उन्हें इशारों में सीधे खड़े रहने का संकेत दे रहे थे। इस व्यवहार को विपक्ष ने राष्ट्रगान का अपमान करार दिया और इसे राष्ट्रीय सम्मान के साथ खिलवाड़ बताया।
मुजफ्फरपुर के अधिवक्ता सूरज कुमार ने इस घटना को आधार बनाते हुए सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर किया। शिकायत में कहा गया है कि मुख्यमंत्री का यह व्यवहार न केवल राष्ट्रगान का अपमान है, बल्कि पूरे देश की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। शिकायतकर्ता ने इसे अक्षम्य अपराध बताते हुए नीतीश कुमार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
इस घटना के बाद बिहार की सियासत गरमा गई। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा करते हुए लिखा, “कम से कम राष्ट्रगान का तो अपमान मत करिए, माननीय मुख्यमंत्री जी।” उन्होंने नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह घटना बिहार के लिए “काला दिवस” है। तेजस्वी ने यह भी मांग की कि नीतीश कुमार को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए या उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने विधान परिषद में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा, “राष्ट्रगान के दौरान मुख्यमंत्री का ऐसा व्यवहार शर्मनाक है। अगर उनका दिमाग ठीक नहीं है, तो गद्दी छोड़ दें।” विपक्षी विधायकों ने विधानसभा और विधान परिषद में जमकर हंगामा किया। जिसके चलते दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। सड़क से लेकर सदन तक प्रदर्शन हुए। जिसमें विपक्षी नेताओं ने तख्तियां लेकर नीतीश कुमार से माफी और इस्तीफे की मांग की।
दूसरी ओर सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने नीतीश कुमार का बचाव किया। जेडीयू नेता और बिहार सरकार के मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि यह विपक्ष की साजिश है। नीतीश कुमार राष्ट्रगान और राष्ट्रीय सम्मान का पूरा ख्याल रखते हैं। यह महज एक गलतफहमी है, जिसे राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। बीजेपी नेताओं ने भी इसे तूल देने से इनकार करते हुए कहा कि विपक्ष हर मुद्दे को अनावश्यक रूप से बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है।
इधर यह मामला सोशल मीडिया पर भी छाया हुआ है। जहां कुछ लोग नीतीश कुमार के व्यवहार की आलोचना कर रहे हैं। वहीं उनके समर्थकों का कहना है कि यह जानबूझकर किया गया अपमान नहीं था। एक यूजर ने लिखा, “राष्ट्रगान के प्रति सम्मान हर नागरिक का कर्तव्य है। मुख्यमंत्री को यह गलती नहीं करनी चाहिए थी।” वहीं, एक अन्य यूजर ने तंज कसते हुए लिखा, “नीतीश जी को लगता है राष्ट्रगान भी उनके ‘सुशासन’ का हिस्सा है, जिसे वह हल्के में ले सकते हैं।”
अब मुजफ्फरपुर कोर्ट में दायर इस शिकायत पर सबकी नजरें टिकी हैं। कोर्ट इस मामले में सुनवाई की तारीख तय करेगा और अगर यह आगे बढ़ता है तो नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि राष्ट्रगान का अपमान एक संवेदनशील मुद्दा है और इसके लिए साक्ष्य और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर फैसला लिया जाएगा।
इस बीच बिहार की सियासत में यह मुद्दा अभी और तूल पकड़ सकता है। विपक्ष इसे नीतीश सरकार के खिलाफ बड़ा हथियार बनाने की तैयारी में है। जबकि सत्ता पक्ष इसे महज एक राजनीतिक स्टंट करार दे रहा है। क्या यह मामला नीतीश कुमार के लिए संकट बनकर उभरेगा या फिर यह भी एक और सियासी हंगामे के साथ ठंडा पड़ जाएगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
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