झारखंडजरा देखिएपुलिसफीचर्डरांची

झारखंड के इन 8 जिलों में 25 हजार एकड़ से अधिक में होती है जहर की खेती

रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड के रांची, चतरा, खूंटी, लातेहार, पलामू, चाईबासा, सरायकेला और हजारीबाग जैसे आठ जिलों में हर साल अक्टूबर से अफीम की खेती शुरू होती है। यह अवैध खेती न केवल सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को जन्म देती है, बल्कि नशे की लत को बढ़ावा देकर युवाओं के भविष्य को भी खतरे में डाल रही है।

इस बार झारखंड पुलिस ने सितंबर से ही इस अवैध खेती को रोकने के लिए प्री-कल्टीवेशन ड्राइव शुरू कर दी है। पिछले साल इन जिलों में 25 हजार एकड़ से अधिक क्षेत्र में लगी अफीम की फसलों को नष्ट किया गया था। इस बार पुलिस न केवल सख्ती बरत रही है, बल्कि जागरूकता और वैकल्पिक खेती के जरिए ग्रामीणों को इस गैरकानूनी धंधे से दूर करने की कोशिश कर रही है।

झारखंड पुलिस ने अफीम की खेती के खिलाफ एक अनोखा अभियान शुरू किया है, जिसका नाम है ‘चॉकलेट युद्ध’। इस अभियान के तहत पुलिसकर्मी साप्ताहिक ग्रामीण बाजारों में जाकर लोगों को चॉकलेट बांट रहे हैं। इन चॉकलेट्स के रैपर पर अफीम की खेती के कानूनी दुष्परिणामों की जानकारी छपी होती है। बच्चे इन चॉकलेट्स को घर ले जाते हैं, जिसके जरिए बड़े-बुजुर्ग भी इस जानकारी को पढ़ते हैं। इस रचनात्मक तरीके से पुलिस ग्रामीण समुदायों तक अपनी बात पहुंचा रही है।

इसके साथ ही पुलिस ग्रामीणों को वैकल्पिक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। गेंदा फूल की खेती, कृषि योजनाओं और पशुपालन से जुड़ने की जानकारी दी जा रही है। पुलिस के अनुसार, एक एकड़ में गेंदा फूल की खेती से 40 हजार रुपये तक की कमाई हो सकती है, जो न केवल कानूनी है, बल्कि टिकाऊ और सम्मानजनक आजीविका का स्रोत भी है।

अफीम की खेती ग्रामीण क्षेत्रों में इसलिए आकर्षक मानी जाती है, क्योंकि यह कम समय में भारी मुनाफा देती है। अक्टूबर में शुरू होने वाली यह खेती फरवरी तक पूरी हो जाती है और मात्र पांच महीनों में एक एकड़ से 5 लाख रुपये से अधिक की कमाई हो सकती है।

एक एकड़ में लगे अफीम के पौधों से 3 से 4 किलो कच्चा अफीम निकलता है, जिसे किसान तस्करों को 60 हजार से 80 हजार रुपये प्रति किलो की दर से बेचते हैं। जिसे तस्कर इसे बाजार में 1 से 1.5 लाख रुपये प्रति किलो तक बेचते हैं और अंतर्राज्यीय बाजारों में इसकी कीमत 3 से 4 लाख रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है। बाद में बड़े माफिया इसे प्रोसेस कर कोकीन और हेरोइन जैसे नशीले पदार्थों में बदलकर और भी ऊंची कीमत पर बेचते हैं।

हालांकि इस मुनाफे के पीछे भारी जोखिम है। अफीम की खेती नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट के तहत गैरकानूनी है। इसमें संलिप्त पाए जाने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा संपत्ति जब्ती का भी प्रावधान है।

झारखंड पुलिस इस बार त्रिस्तरीय रणनीति पर काम कर रही है। पहला, जागरूकता अभियान के जरिए ग्रामीणों को अफीम की खेती के नुकसान और कानूनी परिणामों के बारे में बताया जा रहा है।

दूसरा वैकल्पिक खेती और आजीविका के साधनों को बढ़ावा देकर युवाओं को इस धंधे से दूर रखने की कोशिश की जा रही है। तीसरा, सख्ती के तौर पर प्री-कल्टीवेशन ड्राइव के जरिए खेतों की निगरानी और अवैध फसलों को नष्ट करने का अभियान चलाया जा रहा है।

पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह न केवल कानूनी कार्रवाई करेगी, बल्कि ग्रामीणों को नशा मुक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए हरसंभव मदद करेगी। इस दिशा में विभिन्न सरकारी योजनाओं से जोड़ने और तकनीकी सहायता प्रदान करने की योजना भी चल रही है।

बहरहाल, झारखंड पुलिस का यह अभियान न केवल अफीम की खेती को रोकने के लिए है, बल्कि पूरे राज्य को नशा मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। ग्रामीण क्षेत्रों में नशे की बढ़ती समस्या और अवैध खेती के कारण होने वाली सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए यह पहल सराहनीय है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker