एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क (लोकेश पांडेय)। सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा के चंडी प्रखंड के रूखाई गांव महादलित रंजीत मांझी की नृमम हत्या कर दी गई है।
रंजीत मांझी का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने गांव के ही एक शख्स से तीन हजार रुपए कर्ज लिया था। लेकिन लौटाने में असमर्थ हो रहा था। इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में बहस हुई और नतीजा मारपीट तक पहुंच गई।
इस घटना में रंजीत मांझी बुरी तरह घायल हो गया। जहां से उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका। उसने अपने पीछे अपनी चार माह की गर्भवती पत्नी समेत सात बच्चों को छोड़ गया है।
पत्नी मालती देवी और उसके बच्चे दहाड़ मार कर रो रहें हैं, बिलख रहे हैं कि आखिर पहाड़ सी जिंदगी कैसे कटेगी, बच्चों का लालन पालन कैसे होगा। रंजीत मांझी का आने वाला आठवां बच्चा अपने पिता का चेहरा कभी नहीं देखेगा।
यह घटना सभ्य समाज के चेहरे पर एक तमाचा है। कहने को देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। लेकिन आज भी गांव जीवन में मुंशी प्रेमचंद की कहानियां यथार्थ बनकर जीवित है।
अंतर सिर्फ कहानियों के पात्र बदल गये हैं। आज भी दलित किसी न किसी रूप में सवर्णों के हाथों शोषण को मजबूर हैं। गांव में सूदखोरी आज भी जारी है।गांव में महाजनी सभ्यता दलितों के शोषण व्यथा को दिखाती है।
मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘सवा सेर गेहूं’ की कहानी के पात्र शंकर की जगह रंजीत मांझी और महाजन ब्राह्मण की जगह मंटू सिंह जैसे सूदखोर आज भी गांव में दलितों का शोषण कर रहे हैं।
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