एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क डेस्क। 2020 के आरंभ में ही चीन के वुहान प्रांत से निकले कोरोना कोविड 19 बीमारी से हड़कंप मचना आरंभ हुआ था। इसके बाद फरवरी और मार्च माह में देश में कोविड 19 ने अपनी आमद दी। देश में हालातों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 24 मार्च 2020 को 21 दिन का लाकडाऊन लगाने की घोषणा की थी।
जब यह घोषणा हुई थी उस समय देश में 564 लोग कोरोना कोविड 19 से संक्रमित थे। इस महामारी को लेकर बहुत ज्यादा भय इसलिए व्याप्त था क्योंकि यह बीमारी क्या है और इसका इलाज क्या है इस बारे में विस्तार से लोग जानते ही नहीं थी।
जिस तरह से प्रचारित हो रहा था उसके कारण लोग यही मानकर चल रहे थे कि कोरोना यानी मौत का दूसरा नाम! उस समय लोगों की जान बचाने के लिए ही संभवतः लाकडाऊन के अलावा केंद्र सरकार को दूसरा विकल्प शायद नहीं दिखा।
24 मार्च 2020 को पाबंदियों के जारी आदेश की वैधता बढ़ती गई और अब 31 मार्च 2022 को यह आदेश निष्प्रभावी हो जाएगी। अब जबकि इस आदेश को निष्प्रभावी किया जा रहा है तब कोरोना संक्रमितों की तादाद 23 हजार के आसपास थी।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी मानक संचालन प्रक्रिया जिसे अंग्रेजी में स्टैंडड्र ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स भी कहा जाता है, वह तो जारी रहेगा पर केंद्र सरकार के द्वारा कोविड की रोकथाम के लिए 24 मार्च 2020 को पहली बार जारी आदेश की अवधि अब 31 मार्च को समाप्त हो रही है।
अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि पाबंदियों के समाप्त होने के बाद मास्क लगाने और शारीरिक दूरी के पालन के लिए बनाए गए नियम जारी रहेंगे अथवा नहीं!, पर जो हालात वर्तमान में दिख रहे हैं, उनको देखकर यही माना जा सकता है कि तीन तीन लहरों को झेलने के बाद अब देशवासी अपने आप को बहुत ही मजबूत समझने की भूल जरूर करने लगे हैं।
आज मेट्रो, रेल, बस, बाजार आदि में जिस तरह की भीड़ दिख रही है, मास्क पहने कम ही लोग दिख रहे हैं और शारीरिक दूरी के नियम ध्वस्त हो रहे हैं उसे देखकर हालात समझे जा सकते हैं।
दरअसल केंद्र सरकार के द्वारा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कमेटी की सिफारिशों के बाद यह फैसला लिया है। 2020 में मार्च के बाद लगातार ही जिस तरह की पाबंदियां लगाई गईं थीं, उसके कारण ही देश में कोविड की स्थिति बहुत भयावह नहीं हो पाई, किन्तु कोविड की दूसरी लहर बहुत ज्यादा भयावह परिदृश्य लोगों के सामने रख चुकी है।
बहुत सारे लोगों ने अपनों को खोया है। श्मशान घाटों पर चिताओं की तादाद वाला मंजर लोगों के मानस पटल पर आज भी अंकित होगा।
दरअसल, स्वास्थ्य सुविधाओं की दिशा में केंद्र और सूबाई सरकारो के द्वारा आजादी के बाद किए गए प्रयास नाकाफी ही माने जा सकते हैं। लाकडाऊन को लेकर लोगों का विरोध भी सामने आया पर यह भी सच है कि लाकडाऊन ही था जिसके कारण कोविड की भयावहता को देश में थामा जा सका था।
कोविड को लेकर वेक्सीनेशन ने भी लोगों की जान सलामत रखी, इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। कोविड के दौरान प्रधानमंत्री ने भी अपील की थी कि आपदा को अवसर न बनाया जाए, पर अस्पतालों, मेडिकल स्टोर्स, मास्क, सैनेटाईजर आदि मामलों में आपदा को अवसर ही बनाया गया इस बात में भी संदेह नहीं है।
इधर, पाबंदियों को समाप्त करने की कवायद की जा रही है तो उधर, इटली, इंग्लैण्ड, फ्रांस आदि देशों में कोविड के मामलों में 30 फीसदी बढ़ोत्तरी दर्ज होना भी चिंता की ही बात मानी जा सकती है।
एक ओर भारत देश में कोरोना के संक्रमण की दर कम हो रही है तो वहीं दूसरी ओर दक्षिण पूर्व एशिया और यूरोप में हालात एक बार फिर चिंताजनक ही प्रतीत हो रहे हैं। चीन में 14 महीनों के एक अंतराल के बाद कोरोना से मौत के मामले तेजी से बढ़े तो दूसरी ओर हांगकांग में हालात इस कदर भयावह हो गए कि शवों के लिए ताबूत कम पड़ने लगे।
विश्व में नई लहर के लिए ओमीक्रोन के सब वेरिएंट को जवाबदेह माना जा रहा है। दुनिया भर में कोविड काल की पाबंदियों को शनैः शनैः शिथिल किया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर पाबंदियां हटाई जाने लगी हैं।
भारत में भी 27 मार्च से अंतर्राष्ट्रीय उड़ाने पूर्व की भांति सामान्य रूप से संचालित होने की घोषणा हो चुकी है, पर विश्व के हालातों को देखकर इस पर पुर्नविचार की अपीलें भी जारी हैं।
ओमीक्रोन के सब वेरिएंट बीए वन और बीए टू के बारे में कहा जा रहा है कि ये भारत में तीसरी हलर के दौरान सक्रिय भूमिका में थे, इस लिहाज से यह माना जा सकता है कि देश में अब इम्यूनिटी लेवल काफी हद तक बेहतर हो चुका है। व्यापक स्तर पर वैक्सीनेशन भी इसका एक प्रमुख कारक माना जा सकता है।
उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में अगर कोई नई लहर आती भी है तो सह बहुत ज्यादा खतरनाक नहीं होगी। पर अभी भी यह खतरा सता ही रहा है कि ओमीक्रोन के सब वेरिएंट मिलकर कोई नया वेरिएंट न बना लें।
आज आवश्यकता इस बात की है कि हम कोविड के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों जैसे मास्क पहनना, शारीरिक दूरी का पालन करना, थोड़ी थोड़ी देर में हाथों को धोते रहना जैसी छोटी छोटी बातों का पालन कर इसे अगर अपनी जीवन शैली का हिस्सा बना लें तो हम आने वाले खतरों से अपने आप को बचाकर रख सकते हैं।
वर्तमान में युवा हो रही पीढ़ी जब बुजुर्ग की श्रेणी में आएगी तब भी वह कोविड के अनुभवों, प्रावधानों आदि को शायद ही भूल पाए। 01 अप्रैल की सुबह से सारी पाबंदिया समाप्त हो जाएंगी तब शैक्षणिक संस्थान, मनोरंजन गृह, सभागार आदि तो खुलेंगे ही, साथ ही शादी ब्याह, मेले ठेलों का आयोजन भी पूरे शवाब पर होगा, फिर भी कुछ समय के लिए हमें सावधानी बरतना चाहिए।
भीड़ भरी जगहों पर शारीरिक दूरी का पालन और मास्क लगाना वैज्ञानिक दृष्टि से भी अपरिहार्य ही माना जा रहा है। इसलिए कोविड की पाबंदियों के समाप्त होने पर सभी को बहुत बहुत मंगल कामनाएं, पर कुछ दिनों तक उसी तरह की सावधानियां जरूर बरतिए जिस तरह की सावधानियों को आप दो सालों से बरतते चले आ रहे हैं। कहा भी जाता है कि एक तंदरूस्ती हजार नियामत, अर्थात अगर शरीर स्वस्थ्य है तो सब कुछ सही ही है।
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