बिहार शरीफ (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। नालंदा जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी सह अपर जिला व सत्र न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्र ने इस अपने एक अहम फैसले में पुलिस तंत्र को कटघरे करते हुए पुलिस अधीक्षक को जिम्मेवार पुलिस अफसरों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
यह संवेदनशील मामला जिले के वेना थाना से जुड़ा है। जहाँ के थानेदार ने प्राथमिकी दर्ज करने के दौरान मनमानी ही नहीं, अपितु न्यायालय में सुनवाई के दौरान बार-बार आदेश-निर्देश के बावजूद एक साल तक अंतिम जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी। नतीजतन जेजेबी जज ने उपलब्ध साक्ष्यों,गवाहों और बयानों के आधार पर ही सुनवाई बंद करनी पड़ी।
दरअसल, वेना थाना केस संख्या 252/20 में किशोर को किशोर न्याय परिषद में प्रस्तुत किया गया था। विधि विरूद्ध किशोर व अन्य व्यस्क पर गोपाल चौधरी ने छेड़खानी व गालीगलौज का आरोप लगाया था।
किशोर व अन्य आरोपियों पर पॉक्सो और एससीएसटी एक्ट के तहत पुलिस ने केस दर्ज किया। केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस को अंतिम जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। करीब एक साल चली सुनवाई के दौरान पुलिस जांच रिपोर्ट कोर्ट को नहीं सौंपी।
विधि-विरूद्ध किशोर को जब किशोर न्याय परिषद लाया गया तो वह डरा सहमा था। काउंसलिंग के दौरान किशोर ने बताया कि उनके घर की महिलाएं जब शौच को जाती है तो कुछ लोग टॉर्च जलाते हैं।
इससे परेशान उसके पिता ने जब विरोध किया तो 30 जुलाई 2020 की सुबह करीब 6 बजे बदमाशों ने चौराहे पर उसकी बांधकर पिटाई की।
पीड़ित के पिता ने जब थाने में केस का आवेदन दिया तो आरोपियों ने कार्रवाई से बचने के लिए उस पर छेड़खानी का केस दर्ज करा दिया। कोर्ट में जख्म की तस्वीर व चिकित्सकीय रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया।
किशोर की पिटाई 30 जुलाई 2020 की सुबह 6 बजे हुई। जिसका केस बच्चे के पिता ने दर्ज कराया। इसी तरह उसी दिन दूसरे पक्ष ने किशोर समेत अन्य को आरोपित कर छेड़खानी का केस दर्ज कराया। जिसमें दोपहर दो बजे घटना का आरोप था।
इस मामला में सबसे बड़ा आश्चर्य तो यह है कि जो घटना सुबह हुई, उसका केस बाद में दर्ज किया गया और जो घटना बाद में हुई, उसका केस पहले दर्ज कर लिया गया। किशोर के पिता द्वारा कराया गया केस संख्या 253/20 और दूसरे पक्ष का केस संख्या 252/20 है।
कोर्ट द्वारा पुलिस को दो दो बार रिमाइंडर भेजे जाने के बाद भी फाइनल रिपोर्ट नही सौंपी गई। अनुसंधानकर्ता को 19 और थाना प्रभारी को 23 जुलाई 21 को फाइनल रिपोर्ट के लिए निर्देश दिया गया था। बावजूद इसके इसे नहीं जमा किया गया।
इस मामले में छेड़खानी पीड़िता का 164 के तहत बयान दर्ज किया गया। जिसमें पीड़िता ने किशोर पर किसी तरह का आरोप नहीं लगाया। इसके बाद जेजेबी के प्रधान न्यायिक दंडाधिकारी ने विधि विरूद्ध किशोर की सुनवाई बंद कर दी।
Comments are closed.