अन्य
    Friday, November 22, 2024
    अन्य

      जानिए पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास की लोकप्रिय पुस्तक ‘लिट्टी चोखा डॉट कॉम’ की दिलचस्प खासियतें

      इस पुस्तक में बिहार के बहुचर्चित व्यक्तित्व पर भी रोचक जानकारी दी है। जिनमें बतख मियां, भिखारी ठाकुर, फणीश्वरनाथ रेणु, देवकीनन्दन खत्री, गोनू झा, गोपाल नारायण, बिस्मिल अज़ीमाबादी, वीर कुंवर सिंह, राजकमल चौधरी, प्रफुल्ल चाकी, पीर अली, ख़ुदा बख्श खां, सहजानंद सरस्वती, भोला पासवान शास्त्री, 120 घंटे का बिहार का सीएम सतीश कुमार,तिलका मांझी, लीला सेठ, शास्त्रीय नर्तक हरि उप्पल, पर्वत पुरुष दशरथ मांझी, किसान चाची राजकुमारी देवी, जाकिर हुसैन के गुलाब सहित अनगिनत लोगों के बारे में बहुत ही बेहतरीन जानकारी शामिल हैं, जो कभी बिहार के विकास में उनका योगदान रहा….

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क (बिहार ब्यूरो प्रमुख/जयप्रकाश नवीन)। यूं तो बिहार की सभ्यता संस्कृति बहुत ही पुरानी है। इसका अपना गौरवशाली इतिहास रहा है। लोकतंत्र की जन्मस्थली रही है।

      Know interesting features of the popular book Litti Chokha.com by former IPS Amitabh Kumar Das 11इसी बिहार की पहचान है लिट्टी-चोखा। एक बिहारी व्यंजन के रूप में यह देश भर में प्रसिद्ध है। बिहारी पहचान वाले इस व्यंजन को लोग चाव से खाते हैं। बिहार के लोगों ने इसे दूसरे राज्यों में फैलाया है।

      आज लिट्टी-चोखा के स्टाल हर शहर -कस्बे में दिख जाएगा। लेकिन कोई कल्पना कर सकता है कि कोई अपनी पुस्तक का नाम बिहार के इस सिग्नेचर डिश पर रख सकता है।

      बिहार के लोकप्रिय आईपीएस अधिकारी रहे अमिताभ कुमार दास की पुस्तक का नाम है ‘लिट्टी-चोखा डॉट कॉम: बिहार की रोचक जानकारियां। जो काफी लोकप्रिय हो रहा है।

      इस पुस्तक को ड्रीम बुक ने प्रकाशित किया है। जो रंगीन, सचित्र और 100 से ज्यादा पन्ने है।इस किताब की सारी चित्र अमिताभ कुमार दास की बनाई हुई हैं।

      इस किताब में बिहार के बारे में ढे़र सारी अनसुनी जानकारी है। जिससे सिर्फ आज की युवा पीढ़ी ही नहीं, बल्कि बहुत सारे लोग बिहार की रोचक जानकारियों से अनजान है।

      क्या आप जानते हैं रेडियो पर सबसे ज्यादा गाने किसकी सुनी गई? मुंगेर को ‘देशी कट्टे’ की नगरी क्यों कहा जाता है?, क्या आप जानते हैं बिहार के किस जिले में एक ‘हिल स्टेशन’ भी है? एसपी का घोड़ा किसे कहा जाता था?

      मोरों का गांव कहां है? जैसे बहुत सारे अनसुनी जानकारी आपको इस पुस्तक में मिलेंगी। प्रसिद्ध खुदाबख्श लाइब्रेरी ने भी उनकी पुस्तक को अपनी लाइब्रेरी में जगह दी है।

      सरल एवं सौम्य व्यक्तित्व के अमिताभ कुमार दास एक अधिकारी ही नहीं बल्कि एक उम्दा लेखक, कार्टूनिस्ट,उद्घोषक भी हैं। देश-समाज की नब्ज पकड़ने की काबिलियत भी है।

      उनकी सूक्ष्म नजर बिहार की उन विरासतों की ओर पड़ी जो इतिहास के आइने में धूमिल हो चुकी थी। उन्होंने अपनी किताब ‘लिट्टी चोखा डॉट कॉम: बिहार की रोचक जानकारियां’ में गौरवशाली इतिहास, व्यक्तित्व,समेत तमाम पहलुओं को उन्होंने काफी बारीकी और रोचक ढंग से समेटा है।

      अमिताभ कुमार दास की किताब के माध्यम से नयी पीढ़ी को बिहार की गौरवशाली अतीत, परंपरा और‌ संस्कृति के बारे में जानकारी दें रहें हैं।

      उन्होंने बिहार के महापुरुषों, ऐतिहासिक स्थलों, इमारतों, मुख्यमंत्रियों, लोक गायन, लोक नृत्य, भोजपुरी, मैथिली, मगही, स्थापत्य कला, शैली, खान-पान, नाटक, पेंटिंग, गांव-देहात, खेती-बाड़ी, आहर-पईन, उधोग, भोजपुरी फिल्म, बिहार का प्रचलित लौंडा नाच से संबंधित ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधित रोचक और काफी महत्वपूर्ण जानकारी अपनी पुस्तक में परोसी है।

      जिनमें उल्लेखनीय हैं, ‘गांधीजी की लाठी’, बहुत कम लोगों को ज्ञात है कि गांधीजी को लाठी रखने का शौक तब से लगा जब वे 1934 में बिहार में भूंकप के दौरान गांधी जी मुंगेर आएं थें तब घोरघट गांव के लोगों ने उन्हें लाठी भेंट की थी। तब से गांधी जी लाठी रखने लगे।

      अमिताभ कुमार दास ने बिहार के नालंदा जिला के कई गांव में ‘बाबन बूटी साड़ी’ से संबंधित रोचक जानकारी दी। कहा जाता है कि यहां बाबन बूटी साड़ी बुनी जाती थी। इसके अलावा बाबन बूटी पर्दे भी तैयार किया जाता था। साड़ियों में 52 प्रकार की बूटी हुआ करती थी।

      Know interesting features of the popular book Litti Chokha.com by former IPS Amitabh Kumar Das1देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद भी राष्ट्रपति भवन में 52 बूटी पर्दे लगवाएं थे। इसके अलावा रोचक जानकारियों में बिहार के पूर्वी चंपारण के माधोपुर गोविंद को ‘मोरो का गांव’ कहा जाता है।

      कहा जाता है कि 1950 में गांव के एक किसान ने खेत में मोर-मोरनी का जोड़ा छोड़ दिया था। जिसके बाद मोरों की आबादी बढ़ती चली गई। यह गांव मोरों के गांव से प्रसिद्ध हो गया।

      इसी जिले में विशाल केसरिया स्तूप की जानकारी है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप माना जाता है। जिसकी परिधि चार सौ फीट और उंचाई 104 फीट है।इस स्तूप का दर्शन करने चीनी यात्री फाहियान और ह्वेनसांग आ चुके हैं।

      इसके अलावा पटना का कलम शैली जो 1760-1947 तक खूब प्रचलित रहा। बिहार के कितने लोगों को पता है कि बिहार में भी एक ‘हिल स्टेशन’ है। जिसे कभी ‘मिनी शिमला’ कहा जाता था। जमुई जिले में स्थित सिमुलतला को ‘मिनी शिमला’ कहते थे।

      यहां फिल्मकार सत्यजीत रे फिल्म की शूटिंग कर चुके हैं। इसके अलावा यहां बंगाली रईसों की आलीशान कोठियां भी थी।

      रेडियो स्टेशन पर सबसे ज्यादा गाने की फरमाइश भोजपुरी गायक जोगिंदर सिंह अलबेला की कभी थी। 1980 में उनके गीत ‘सबसे अगाड़ी हमार बैलगाड़ी’ रेडियो पर काफी धूम मचा रखी थी। 1995 तक आकाशवाणी पटना के लगभग हर कार्यक्रम में यह बजा करता था।

      भोजपुर जिला मुख्यालय आरा में माउंटेड मिलिट्री का मुख्यालय है, जो बिहार पुलिस का अश्वरोही दस्ता के रूप में भी जाना जाता है। वहां के कमांडेन्ट को लोग घोड़ा एसपी कहते थे।

      इस पुस्तक में मधुबनी पेंटिंग का भी जिक्र है। पहले यहां सिर्फ मिट्टी की दीवारों पर ही चित्र बनाएं जातें थे। 1966 के अकाल के दौरान भास्कर कुलकर्णी ने महिलाओं को कागजों पर चित्र बनाने के लिए प्रेरित किया।

      श्री दास ने अपनी इस पुस्तक में बाबू रघुवीर नारायण का जिक्र किया है। ‌जिनके भोजपुरी गीत ‘बटोहिया’ को वंदेमातरम कहा जाता था। गांधीजी जब भी आते वे ‘सुंदर सुभूमि भईया भारत के देसवा से,मोर प्राण बसे, हिम खोह रे बटोहिया’ खूब सुना करते थे।Know interesting features of the popular book Litti Chokha.com by former IPS Amitabh Kumar Das

      दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह से जुड़ी एक रोचक प्रसंग इस पुस्तक में समाहित की गई है। कभी पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें कांग्रेस में शामिल होने की सलाह दी थी। लेकिन उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने से सिर्फ इसलिए इंकार कर दिया था कि कांग्रेस में शपथ लेने के बाद शराब छोड़ना पड़ता था।

      इसके अलावा इस पुस्तक में खान पान से जुड़ी जानकारी भी है। मखाना तथा आहूना मटन का जिक्र है। पश्चिम चंपारण में आहूना मटन काफी लोकप्रिय है। जो मिट्टी की हांडी में बनाया जाता है। राज्य के अन्य जिलों में भी आहूना मटन लोकप्रिय होते जा रहा है।

      बिहार के स्थापत्य तथा मूर्ति कला से भी जानकारी शामिल हैं। मौर्यकालीन भारत की सबसे प्रसिद्ध मूर्ति दीदारगंज याक्षी से जुड़ी जानकारी भी मिलेगी। यह मूर्ति एक जहरीले सांप के पीछा करने पर लोगों को मिली थी। जिसे पटना म्यूजियम में देखा जा सकता है। ऐसे ही ढ़ेर सारी रोचक जानकारी उनके द्वारा इस पुस्तक में दी गई है।

      साथ ही उन्होंने बिहार के बहुचर्चित व्यक्तित्व पर भी रोचक जानकारी दी है। जिनमें बतख मियां, भिखारी ठाकुर, फणीश्वरनाथ रेणु, देवकीनन्दन खत्री, गोनू झा, गोपाल नारायण, बिस्मिल अज़ीमाबादी, वीर कुंवर सिंह, राजकमल चौधरी, प्रफुल्ल चाकी, पीर अली, ख़ुदा बख्श खां, सहजानंद सरस्वती, भोला पासवान शास्त्री, 120 घंटे का बिहार का सीएम सतीश कुमार,तिलका मांझी, लीला सेठ, शास्त्रीय नर्तक हरि उप्पल, पर्वत पुरुष दशरथ मांझी, किसान चाची राजकुमारी देवी, जाकिर हुसैन के गुलाब सहित अनगिनत लोगों के बारे में बहुत ही बेहतरीन जानकारी शामिल हैं, जो कभी बिहार के विकास में उनका योगदान रहा।

      साथ ही उन्होंने विभिन्न ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का भी जिक्र किया है जिनमें राजगीर का घोड़ा कटोरा, सुल्तान पैलेस, भितिहरवा आश्रम, लौरिया नंदगढ़,पाटलि का पेड़,सदाकत आश्रम, ककोलत जलप्रपात, बलिराज गढ़, लाल पहाड़ी, तिरहुत रेलवे, काबर झील, गांगेय डॉल्फिन, मंटो टावर सहित महत्वपूर्ण रोचक जानकारी उनके लिट्टी-चोखा डॉट कॉम में मिल जाएगा।

      अमिताभ कुमार दास अपने इस पुस्तक के बारे में कहते हैं कि इस किताब में बिहार के बारे में ढ़ेर सारी जानकारी है। जो प्रतियोगिता परीक्षार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक है। यह किताब हर आयु वर्ग के लिए जानकारियों का पिटारा है। बिहार के बारे में दूसरों राज्य के लोगों की जो धारणा बनी हुई है, इस पुस्तक से दूर होगी।

      वहीं पदमश्री से सम्मानित लोकप्रिय लेखिका उषा किरण खान ने भी इस पुस्तक की सराहना की है। उन्होंने बिहार से जुड़ी इतनी अनसुनी और अनमोल जानकारियों से अवगत कराने के लिए श्री दास की प्रशंसा की है।

      वहीं कैथी लिपि पर रिसर्च करने वाले और कैथी लिपि से संबंधित कई पुस्तकें लिखने वाले जाने माने लेखक भैरव लाल दास ने भी इस पुस्तक की तारीफ की है। उन्होंने बिहार से संबंधित इतनी रोचक जानकारी के लिए लेखक को बधाई दी है।

      उनकी यह पुस्तक बिहार से बाहर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और अन्य राज्यों में लोकप्रिय हो रही है। फिलहाल अमिताभ कुमार दास की पुस्तक ‘लिट्टी-चोखा डॉट कॉम :बिहार की रोचक जानकारियां’ तेजी से लोकप्रिय हो रही है। पाठक हाथों हाथ पुस्तक को ले रहें हैं।

      बताते चलें कि अमिताभ कुमार दास, 1994 बैच के आईएएस हैं। जिन्हें बिहार सरकार की ओर से जबरन वीआरएस दे दी गई। अमिताभ कुमार दास एक बेमिसाल अफसर ही नहीं थे, बल्कि वे एक क्रांतिकारी विचारों के वाहक भी हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री दास फुर्सत के क्षणों में किताबें पढ़ते हैं,गायन भी कर लेते हैं।

      अपनी कूची के माध्यम से विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार भी रखते हैं। पिछले दिनों उन्होंने कार्टून विधा में हाथ आजमाया जो ‌काफी लोकप्रिय भी रहा। अपने कूची के माध्यम से उन्होंने देश में कोरोना की भयावह स्थिति और सरकार की नाकामियों को उजागर किया तो वह बिहार के सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ भी कार्टून के माध्यम से उनपर आक्रमक रुख दिखाया। उन्होंने सौ से ज्यादा कार्टून बनाएं।

      इसके अलावा वे ‘सहकार रेडियो’ के माध्यम से क्रांतिकारियों से जुड़े दास्तां तथा विभिन्न मुद्दों पर प्रत्येक शुक्रवार को अपने बात रखते हैं।

       

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!