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    Monday, October 14, 2024
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      जल्द शुरु होगा मगध सम्राट अजातशत्रु के जमींदोज आवासीय किला का उत्खनन कार्य

      नालंदा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। मगध साम्राज्य की ऐतिहासिक राजधानी राजगीर के जमींदोज अजातशत्रु किला के उत्खनन की तैयारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा लगभग पूरी कर ली गयी है। 15 दिसंबर या इसके आसपास की तिथि को इस पुरातात्विक धरोहर का उत्खनन कराने की विभागीय तैयारी लगभग पूरी कर ली गयी है।

      बताया जाता है कि करीब तीन महीने से उत्खनन के पूर्व की तैयारी विभागीय स्तर से की जा रही है, उत्खनन होने वाले क्षेत्र भूभाग की पहचान करने के बाद उसकी वृहद सफाई करायी गयी है। सड़क तरफ किला को मजबूत दीवारों से घेराबंदी करने के बाद सुरक्षा के लिए दीवार पर ग्रिल्स भी लगाये गये हैं। झाड़ी और घास फूस को काटकर उत्खनन योग्य बनाया गया है।

      साफ-सफाई बाद पुरातत्व सर्वेक्षण के विशेषज्ञों के दल द्वारा उत्खनन के लिए प्रस्तावित स्थल का अत्याधुनिक मशीनों से जांच पड़ताल आदि का काम पूरा कर लिया गया है।

      अधीक्षण पुरातत्वविद् के अनुसार इस किला का निर्माण कार्य मगध सम्राट बिंबिसार के समय आरंभ हुआ होगा। सम्राट अजातशत्रु के बाद यह किला की दशा बदल गयी है। 1950 ई में एएसआइ केपुरातत्वविद ए घोष द्वारा इस किले की चहारदीवारी का उत्खनन कराया गया था।

      बाद में 1960-61-62 ई में पुरातत्वविद् रघुवीर सिंह द्वारा अजातशत्रु किले के दक्षिण-पश्चिम कोने पर चहारदीवारी का उत्खनन कराया गया था। तब से अबतक इस किले का उत्खनन कार्य नहीं हुआ है।

      भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद् सुजीत नयन ने कहा कि अजातशत्रु किला परिसर में मरे हुए जानवरों को फेंकना और कचरा डंपिंग करना गलत है। इससे प्रदूषण तो फैलता ही है। यह आर्कियोलॉजी एक्ट के प्रतिकूल भी है।

      उन्होंने परिषद और अनुमंडल पदाधिकारी से मरे हुए जानवरों को फेंकने और कचरे को डंपिंग करने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने तथा डंपिंग कचरे को हटाने का अनुरोध किया है। क्योंकि मरे जानवरों को फेंकने से काफी दुर्गंध फैल रहा है। उत्खनन करने वाले कर्मियों को उससे काम करने में काफी परेशानी होगी।

      उन्होंने बताया कि पहली बार किला के आवासीय क्षेत्र का उत्खनन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कराया जायेगा। यह उत्खनन कार्य तीन साल तक लगातार किया जायेगा, इस जमींदोज अजातशत्रु दुर्ग के उत्खनन से अनेकों रहस्य उजागर होने की संभावना है। उत्खनन बाद उस जमाने के रहन-सहन, भवन निर्माण कला आदि अनेकों जानकारियां हासिल हो सकती हैं। अनेक दुर्लभ पुरावशेष मिल सकते हैं।

      उन्होंने बताया कि अजातशत्रु किले के उत्खनन के कार्य में करीब 30 लोगों की टीम काम करेगी। टीम में एक दर्जन पुरातत्वविद् शामिल रहेंगे। उनके रहने-सहने की व्यवस्था भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जा रहा है। पुरातत्व संस्थान दिल्ली के पुरातत्व विशेषज्ञ और शोधकर्ताओं की टीम इस अभियान में शामिल होगी।

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