एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। बिहार के कटिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में शिक्षा की अलख नाव पर सवार हो गई है। निजी शिक्षकों और नाविकों ने एक साथ मिलकर पानी बीच पढ़ाई का अनोखा अंदाज पेश कर रहे हैं।
नाव में इसलिए पढ़ाया जा रहा है, क्योंकि क्षेत्र के घर-वार सभी डूबे पड़े है। नाव पर से बच्चा भागता भी नहीं है और शिक्षक पढ़ाकर इस पार और उस पार के बच्चों को छोड़ भी देता है। ऐसे बाढ़ का पानी जाने के बाद सरकारी पढ़ाई शुरू हो जाती है। लेकिन इसके पूर्व बाढ़ के दौरान बच्चों के भविष्य को देख हर वर्ष ऐसी पढ़ाई नाव पर ही होने की परंपरा हो गई है।
नाव पर पढ़ने वाली छात्रा सपना बताती हैं कि गांव में पानी ही पानी है। दोनों तरफ के बच्चें नाव पर बैठकर पढ़ते है। कोई डर नहीं लगता है। न नाव से और न पानी से।
छात्रों के भविष्य को संवारने में जुटे नाविक निजी शिक्षक पप्पू और अनिल कहते हैं कि नाव पर पढ़ाने का निर्णय पीछे मूलतः बाढ़ का पानी है। छात्रों को बाढ़ और नाव की आदत बन गयी है। पानी और नाव से बच्चों को अब डर नहीं लगता है। यह इलाका बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। जिस वजह से हम नाविक शिक्षक बच्चों को शिक्षित रहने का अभ्यास पिछले छह वर्षों से नाव पर ही करते आ रहे हैं।
मनिहारी प्रखंड के बाघमारा पंचायत में बांध के आरपार पर बसे सैकड़ों विस्थापित परिवार के बच्चें मजबूरी में नाव पर चढ़कर पढ़ते हैं।
दरअसल यहां सैकड़ों की संख्या में विस्तारित परिवार अभी एकमात्र सूखा स्थान, जो ग्रामीण सड़क है, उस पर बसा हुआ है। यहां चारों तरफ बाढ़ का पानी फैला हुआ है। ऐसे में मजबूरी में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए प्राइवेट नाविक शिक्षक हैं। वह उन्हें नाव पर ही ट्यूशन पढ़ा रहे हैं। यह बच्चे कई सरकारी विद्यालय में पढ़ते हैं। जिसमें उत्क्रमित मध्य विद्यालय पटनी महेशपुर, गांधी टोला प्राथमिक विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय मुसहरी टोला एवं कन्या बालिका उच्च विद्यालय की भी छात्राएं हैं, जो 10वीं और 11वीं में पढ़ती हैं।
नाविक शिक्षक पप्पु का कहना है कि क्या करें हमें मजबूरी में पढ़ाना पड़ रहा है। चारों तरफ पानी है और बीच सड़क पर लोग अपना अपना घर बना लिए हैं, क्योंकि उनका भी घर अब डूब चुका है। ऐसे में जो बच्चें पढ़ना चाहते हैं, उन्हें मजबूरी में हम लोग नाव में पढ़ा रहे हैं। विद्यालयों में पानी की वजह से बच्चें स्कूल तक नही जा पा रहे है। उनकी पढ़ाई बाधित न हो, ऐसा हर वर्ष से करते आ रहे है। ऐसे में ग्रामीणों के लिए प्राइवेट ट्यूशन ही एक माध्यम है, जिससे बच्चों को शिक्षा मिल रहा है।
वहीं दूसरे नाव पर बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक अनिल महतो बताते हैं कि चारों तरफ पानी से घिर चुका है और कहीं भी बाढ़ के पानी से अछूता नहीं है। ऐसे में सिर्फ सड़क है, लेकिन वहाँ भी बाढ़ पीड़ितों ने अपना आशियाना डाल दिया है। अब बच्चों की पढ़ाई कैसे हो, इसके लिए हम लोगों ने हल निकाला है और यहाँ कई ऐसे नाव हैं, जिस पर हम लोग बच्चों को पढ़ाते हैं।
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