एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। सरकारी राशि किसकी होती है। आम जनता की या नेताओं-दलालों-अफसरों की तीकड़ी की। प्रायः ऐसी योजनाओं के क्रियान्वयन किये जाने की सूचना मिलती है, जिसमें लूट-खसोंट की मंशा साफ झलकती है। उसमें कहीं कोई जनोपयोगी लक्ष्य नहीं दिखते।
अब देखिये न। राजगीर में उस भूमि पर सामुदायिक भवन का निर्माण किया जा रहा है, जो नगर पंचायत के वार्ड संख्या 11 अवस्थित गया – हिसुआ – राजगीर – बिहार शरीफ सड़क से सटे किनारे है और वह जल्द ही निर्माणाधीन फोर लेन सड़क की चपेट में आकर जमीनदोंज हो जायेगा। निर्माण स्थल की भूमि राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण द्वारा अधिकृत कर ली गई है।
एसी बात नहीं है कि स्थानीय विधायक की अनुसंशा पर करीब 5.90 लाख रुपये की लागत से निमार्णधीन इस सामुदायिक भवन की प्रकृति जानकारी किसी को नहीं है। सबको है। आम जनता आश्चर्यचकित है।
इस सामुदायिक भवन के निर्माण के लिये एक अग्रिम राशि भी अभिकर्ता को जारी कर दी गई है।
इसके पहले भी यहां एक सामुदायिक भवन का निर्माण थाना परिसर में करा दिया गया। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि थाना परिसर में उसका उपयोग कैसे करें।
इस बावत जब स्थानीय जदयू विधायक से बात की गई तो उन्होंने अपने प्रतिनिधि रामजी यादव से बात करने को कहा।
विधायक प्रतिनिधि ने बताया कि इस निर्माण हेतु अंचलाधिकारी से ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ प्राप्त है। कहीं कोई गड़बड़ नहीं है।
इस संबंध में एक सप्ताह पूर्व अंचलाधिकारी ने बताया कि फिलहाल उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। उसके बाद कई बार उनसे संपर्क साधे गये। हर बार वे यही बताते रहे कि वे कार्यालय में नहीं हैं।
आखिर पीडब्लूडी की सरकारी जमीन पर इस सामुदायिक भवन के निर्माण का औचित्य क्या है, जो कि शीघ्र ही प्रस्तावित फोर लेन की चपेट में आ जायेगा।
विधायक और अंचलाधिकारी को इस मामले की स्पष्ट जानकारी होने के बाबजूद सामूदायिक भवन का निर्माण कार्य तेजी से जारी रहना खुद में एक बड़ा सबाल खड़ा करता है।