पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज़)। कभी अपने राजनीतिक चाणक्य से 2014 में नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने, अरविंद केजरीवाल को दिल्ली का सीएम और बिहार में नीतीश कुमार को सीएम बनाने के मुख्य रणनीतिकार प्रशांत किशोर फिर से राजनीतिक सुर्खियों में हैं। इस बार सीएम नीतीश कुमार के साथ-साथ लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव उनके निशाने पर हैं।
हालांकि अपने विरोधियों और आलोचकों पर ज्यादा मुंह नहीं खोलने वाले सीएम नीतीश कुमार ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर बड़ा आरोप लगाया है।
उन्होंने मीडिया के समक्ष खुलासा किया है कि वे बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं। ये वही इंसान हैं, जिन्होंने मुझे मेरी पार्टी को कांग्रेस में मर्ज करने की सलाह दी थी।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर निशाना साधते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि इन लोगों का कोई ठिकाना नहीं है। हमने इन्हें नहीं बुलाया, ये खुद ही मुझसे मिलने आए थे। इन्हें राजनीति से कोई मतलब नहीं है। ये कुछ भी बोलते रहते हैं।
नीतीश कुमार ने कहा कि बेचारे (पीके) को केंद्र में जगह मिल जाए, अच्छा है। करें काम जिसके लिए भी करें।
नीतीश कुमार ने मीडिया से मुखातिब होते हुए पीके पर हमला बोला। नीतीश कुमार ने नगर निकाय चुनाव पर बीजेपी के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सबकी राय से चुनाव हुआ था। बीजेपी ये बात क्यों भूल रही है। सबसे राय मशवरा लेकर फैसला लिया गया था, कानून काफी लंबे समय से लागू था। ईबीसी का फैसला हमारा व्यक्तिगत तो नहीं था।
बड़ी संख्या में लोगों ने हमारे कानून को चैलेंज किया था। हाईकोर्ट ने रिजेक्ट किया तो सुप्रीम कोर्ट गए और वहां से रिजेक्ट हुआ।
सीएम नीतीश ने कहा कि बिहार में 2007 में नगर निकाय के लिए ये लागू रहा। चार बार पंचायत चुनाव और तीन बार नगर निकाय का चुनाव इसी आधार पर हुआ। बिहार में ओबीसी और ईबीसी की बात नई नहीं है। 1978 से, जब जननायक कर्पूरी ठाकुर थे। तब से ये लागू है। जो कुछ कहा गया और हमने हाईकोर्ट के फैसले पर इसे मान्यता दी गई।
उन्होंने कहा कि बिहार में नई चीज की जरूरत नहीं है। दिल्ली वालों की मदद के लिए लोग कुछ भी बोलते रहते हैं। जब बीजेपी साथ थी तो उन्हें ही ये विभाग मिला था। पांच साल हो जाने के बाद भी लेटलतीफी की गई। चुनाव क्यों नहीं हो रहे थे। ओबीसी-ईबीसी बिहार में नया नहीं है।
नीतीश कुमार ने सुशील मोदी पर गलत बयानबाजी पर आरोप लगाया। 2006 और 2007 में सुशील कुमार मोदी के पास ही नगर निकाय विभाग मिला हुआ था।
सीएम नीतीश कुमार का बयान ऐसे समय में आया है, जब प्रशांत किशोर दूसरों को सता दिलाते-दिलाते खुद सता की चाहत करने लगे हैं। लिहाजा आने वाले समय में वे कोई पार्टी बनाकर चुनाव लड़ सकते हैं। इसी का आधार टटोलने के लिए वो करीब तीन हजार किलोमीटर की सुराज पदयात्रा पर निकले हुए हैं।
जानकार यह भी कहते हैं कि प्रशांत किशोर कोई पहली बार दांव नहीं लगा रहें हैं, बल्कि दो साल पहले भी वह नीतीश कुमार से अलग होने के बाद एक कार्यक्रम कर चुके हैं,जिसका मकसद बिहार में अपनी राजनीतिक छवि को लोगों की नजर में लाना रहा है।
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