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Tuesday, September 26, 2023
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    बिहार में नीतीश सरकार को बड़ा झटका, जातिगत गणना पर अंतरिम रोक

    पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जातिगत गणना पर अंतरिम रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी। नीतीश सरकार के लिए ये बड़ा झटका है।

    बिहार में जाति आधारित सर्वे को जातिगत जनगणना या जातीय गणना भी कहा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में जाति आधारित सर्वे को रद्द करने के लिए याचिकाएं दाखिल हुई थीं, लेकिन कोर्ट ने तुरंत इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था।

    बता दें कि नीतीश सरकार जातिगत गणना कराने के पक्ष में रही है। नीतीश सरकार ने 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को जातीय जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा और विधान परिषद में पास करा चुकी है।

    बिहार के उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव ने जातिगत गणना पर हाईकोर्ट की अंतरिम रोक पर कहा कि हमारी सरकार जातिगत गणना कराने के लिए प्रतिबद्ध है। हम राज्‍य में अंतिम पायदान पर खड़े व्‍यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए ये सर्वे कर रहे हैं। हम अपनी कोशिश जारी रखेंगे।

    याचिकाकर्ताओं के वकील दीनू कुमार ने कहा कि सर्वोच्‍च न्‍यायालय का कहना था कि यचिकाकर्ता हाईकोर्ट जा सकते हैं। प्रथम दृष्‍टया ये ‘पब्लिसिटी इंट्रेस्ट लिटिगेशन’ लगती है। बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि ये सर्वे आम जनता की भलाई के लिए किया जा रहा है। इसी के आधार पर भविष्‍य में लोककल्‍याणकारी नीतियां सरकार बनाएगी।

    बिहार में जातिगत गणना पर कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि क्‍या बिहार सरकार जातिगत गणना कराने की कार्यवाही की जा रही है वह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है?

    क्या भारत का संविधान राज्य सरकार को जातिगत गणना करवाए जाने का अधिकार देता है? क्या 6 जून को बिहार सरकार के उप सचिव द्वारा जारी अधिसूचना गणना कानून 1948 के खिलाफ है?

    क्या कानून के अभाव में जाति गणना की अधिसूचना, राज्य को कानूनन अनुमति देता है? क्या राज्य सरकार का जातिगत गणना कराने का फैसला सभी राजनीतिक दलों द्वारा एकसमान निर्णय से  लिया गया हैं?

    गौरतलब है कि बिहार सरकार ने पिछले साल जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया था। इसका काम जनवरी 2023 से शुरू हुआ था और इसे मई तक पूरा किया जाना था, लेकिन अब हाईकोर्ट ने इस पर 3 जुलाई तक रोक लगा दी है।

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