राँची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन के नाम चाह्नों के बेहरा औद्योगिक क्षेत्र में 11 एकड़ औद्योगिक भूमि आवंटित की गई है।
आज सोमवार को भाजपा प्रदेश मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए सोहराय लाइफ प्राइवेट लिमिटेड को यह औद्योगिक भूमि आवंटित कराई है, जो उनकी पत्नी के नाम पर है।
उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री स्वयं उद्योग विभाग के मंत्री हैं इसीलिए उन्हें इस विषय पर सफाई देनी चाहिए। उनका आचरण भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत दंडनीय है।
रघुवर दास ने कहा कि अबुआ राज के नाम पर एक परिवार का शासन चल रहा है। जो अपने परिवार, सगे संबंधी, सहकर्मी सहयोगियों के हित के लिए काम कर रहा है। इसका नुकसान राज्य की जनता को उठाना पड़ रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान आदिवासी भाई बहनों को हो रहा है।
रघुवर दास ने मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद पर भी आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर खदान की लीज ली है।
अभिषेक प्रसाद ने शिव शक्ति इंटरप्राइजेज के नाम पर साहिबगंज में और पंकज मिश्रा को महाकाल स्टोन के नाम से खदान आवंटित की गई है।
रघुवर दास ने कहा, मुख्यमंत्री अभिषेक प्रसाद और पंकज मिश्रा को तत्काल अपने पद से हटाए। यह भी कहा कि भाजपा पूरे मामले को लेकर राज्यपाल से मिलेगी।
रघुवर दास ने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा मुख्यमंत्री को हटाने के लिए लिए या विधानसभा चुनाव समय से पहले कराने के लिए इन मामलों को नहीं उठा रही है। यहां कानून के प्रावधान के तहत मुख्यमंत्री स्वयं या उनके परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी ठेका पट्टा, लीज नहीं ले सकता। यहां भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है। भाजपा इस पूरे मामले को लेकर राज्यपाल से जल्द ही मिलेगी।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर खदान लीज लेने के दस्तावेजी सबूतों के साथ संगीन आरोप लगाने के बाद फिर से उन पर कुछ नया खुलासा किया।
इससे पहले रघुवर दास ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा माइनिंग लीज लेने की शिकायत राज्यपाल रमेश बैस से की थी। साथ ही ऑफिस ऑफ प्रॉफिट करने और जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 का उल्लंघन करने के मामले में उन्हें बर्खास्त करने की मांग की थी।
राज्यपाल ने इस मामले में कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए पूरे मामले की जांच का जिम्मा चुनाव आयोग को सौंप दिया है। इस मामले में 15 दिनों के अंदर राज्य के मुख्य सचिव से खदान लीज संबंधी सभी दस्तावेज भारत निर्वाचन आयोग ने तलब किया है।
इधर झारखंड हाई कोर्ट में भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा ऑफिस ऑफ प्रॉफिट करने के मामले में याचिका दाखिल की गई है। जिस पर महीने के अंत तक सुनवाई होनी है।
उच्च न्यायालय ने इस मामले में प्रारंभिक सुनवाई करते हुए इसे गंभीर मामला बताया, साथ ही हेमंत सोरेन के नाम पर लिए गए खदान लीज के तमाम दस्तावेज कोर्ट को सौंपने का निर्देश मुख्य सचिव को दिया है।
बहरहाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में बुरी तरह घिरते दिख रहे हैं। उनके ऊपर जाने-अनजाने विधायक और मुख्यमंत्री पद गंवाने का नया संकट छा गया है।
अब झारखंड हाईकोर्ट व चुनाव आयोग की कार्रवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं। पक्ष-विपक्ष में सीधे टकराव से राज्य का राजनीतिक तापमान काफी चढ़ गया है। लोग-बाग में तरह-तरह की चर्चाओं के बीच सियासी अटकलों का दौर चल रहा है।
इधर, मुख्य विपक्षी दल भाजपा इस पूरे मामले पर पैनी निगाह रखते हुए अपने केंद्रीय नेताओं के संपर्क में है। वहीं राजनीतिक विश्लेषक पूरे घटनाक्रम को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला और निकट भविष्य में सियासी उथलपुथल का संकेत बता रहे हैं।
जबकि विपक्ष के बड़े नेता इसे आने वाले दिनों में झारखंड में सत्ता परिवर्तन से जोड़कर देख रहे हैं। अब देखने वाली बात यह है कि चुनाव आयोग हेमंत सोरेन पर क्या और किस तरह की कार्रवाई करता है।
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