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अमित शाह का हेमंत सोरेन की प्रशंसा ने मचाया सियासी हलचल

नई दिल्ली (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमकर तारीफ की है। अचानक इस तारीफ ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।

शाह ने सोरेन के भ्रष्टाचार के आरोपों में इस्तीफा देने, कोर्ट से बरी होने और फिर 2024 में विधानसभा उपचुनाव जीतकर दोबारा मुख्यमंत्री बनने की यात्रा को लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रक्रिया का सम्मान बताया। यह बयान उनके पहले के रुख से बिल्कुल उलट है, जहां उन्होंने सोरेन सरकार पर भ्रष्टाचार और घुसपैठ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था।

दरअसल झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता हेमंत सोरेन को 2024 की शुरुआत में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उनके खिलाफ कथित तौर पर मनरेगा घोटाले, भूमि घोटाले और खनन घोटाले जैसे गंभीर आरोप लगे थे।

हालांकि कोर्ट ने उन्हें इन मामलों में बरी कर दिया। जिसके बाद उन्होंने 2024 के विधानसभा उपचुनाव में शानदार जीत हासिल की और दोबारा झारखंड के मुख्यमंत्री बने। इस पूरी प्रक्रिया को अमित शाह ने एक इंटरव्यू में सराहा है।

उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन ने आरोप लगने के बाद इस्तीफा देकर नैतिकता का उदाहरण पेश किया। कोर्ट से बरी होने के बाद उन्होंने जनता का विश्वास जीता और फिर से मुख्यमंत्री बने। यह लोकतंत्र की ताकत को दर्शाता है।

अमित शाह का यह बयान उनके पिछले बयानों से बिल्कुल अलग है। 2024 में साहिबगंज और दुमका की रैलियों में शाह ने हेमंत सोरेन को सबसे भ्रष्ट सरकार का मुखिया बताया था और उनकी सरकार पर घुसपैठ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था।

इसके अलावा उन्होंने JMM-कांग्रेस-राजद गठबंधन पर भ्रष्टाचार और नक्सलवाद को बढ़ावा देने के गंभीर आरोप लगाए थे। ऐसे में शाह की यह अचानक प्रशंसा ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह महज औपचारिकता थी या इसके पीछे कोई गहरी राजनीतिक रणनीति है?

शाह के इस बयान पर झारखंड की सियासत में उथल-पुथल मच गई है। विपक्ष भी इस बयान से हैरान है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शाह का यह बयान 2024 के विधानसभा चुनाव में JMM गठबंधन की शानदार जीत के बाद एक नरम रुख अपनाने की कोशिश हो सकती है। दूसरी ओर कुछ का कहना है कि यह भविष्य में गठबंधन की संभावनाओं को टटोलने का प्रयास हो सकता है।

बता दें कि झारखंड में JMM गठबंधन की जीत के बाद हेमंत सोरेन ने 28 नवंबर 2024 को रांची के मोरहाबादी मैदान में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इस समारोह में विपक्षी गठबंधन के कई बड़े नेता, जैसे राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल शामिल हुए।

हालांकि शाह ने सोरेन की प्रशंसा की, लेकिन उन्होंने पहले JMM सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। इनमें 1000 करोड़ रुपये का मनरेगा घोटाला, 300 करोड़ रुपये का भूमि घोटाला, 1000 करोड़ रुपये का खनन घोटाला और शराब घोटाला शामिल हैं।

इसके अलावा शाह ने सोरेन सरकार पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण देने का भी आरोप लगाया था। सोरेन ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा था कि घुसपैठ BJP शासित राज्यों के माध्यम से होती है और केंद्र सरकार ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को शरण दी है।

अमित शाह का यह बयान न केवल झारखंड बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी चर्चा का विषय बन गया है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि शाह का यह बयान केंद्र और झारखंड सरकार के बीच बेहतर समन्वय की दिशा में एक कदम हो सकता है।

वहीं कुछ इसे 2025 के मानसून सत्र में पेश किए गए संविधान (130वां संशोधन) विधेयक से जोड़कर देख रहे हैं, जिसमें गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तारी के बाद प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान है। शाह ने खुद इस सत्र में कहा था कि जब उन पर आरोप लगे थे, तब उन्होंने इस्तीफा देकर नैतिकता का परिचय दिया था।

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