पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार शिक्षा विभाग के मुख्य अपर सचिव केके पाठक लाख दंभ भर लें, लेकिन उनके अधिकारी अपना अधकपारीपन छोड़ने को तैयार नहीं हैं। इसका एक बड़ा कारण विभाग के उपरी स्तर पर जमीनी हकीकत से अधिक दिखावापन है।
एक ऐसा ही सनसनीखेज मामला पटना जिला के धनरुआ प्रखंड क्षेत्र से सामने आई है। धनरुआ प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी नवल किशोर सिंह ने विगत 10 अप्रैल, 24 को मद्य विद्यालय साई का निरीक्षण किया है, लेकिन इस दौरान उनके द्वारा न तो किसी प्रकार का निरीक्षण प्रपत्र न भरा गया और न ही किसी भी शिक्षक का हस्ताक्षर लिया गया।
इससे आगे चौंकाने वाली बात यह है कि धनरुआ प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी ने शिक्षक उपस्थिति पंजी पर अपने हस्ताक्षर के उपरांत 10 अप्रैल, 24 के जगह 10 अक्टूबर, 24 लिखा गया। वह भी एक शिक्षक उपस्थिति पंजी पर नहीं, अपितु दो अलग-अलग शिक्षक उपस्थिति पंजी पर। जोकि सोशल मीडिया में वायरल हो चुका है।
बता दें कि धनरुआ प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी नवल किशोर सिंह के द्वारा मध्य विद्यालय धनरूआ के प्रभारी प्रधानाध्यापक अनिल कुमार एवं मध्य विद्यालय सोनवई के प्रभारी प्रधानाध्यापक उमेश कुमार के द्वारा स्नातक शिक्षक 10 वर्षीय शिक्षक, 20 वर्षीय शिक्षकों से प्रति सेवा पुस्तिका संधारित करवाने के लिए 6 हजार रूपये की दर से उगाही की जा रही थी, जिसका साक्ष्य के तौर पर पैसा उगाही करते हुए बनाया गया विडियो पत्र के साथ सीडी संलग्न कर उच्च स्तर पर प्रेषित किया गया था।
इसके पहले भी सेवा पुस्तिका संधारित करवाने के एवज में 3 हजार रुपये की मांग की गई थी। जिसकी सूचना मीडिया में प्रसारित होने पर पटना जिला शिक्षा पदाधिकारी, के द्वारा संज्ञान लेते हुए जाँचोपरान्त धनरुआ प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के विरूद्ध निलंबन की अनुशंसा की थी।
साथ ही धनरुआ प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के खिलाफ प्रपत्र ‘क’ गठित करते हुए पत्रांक-1624 दिनांक 26.05.2023 प्राथमिक शिक्षक निदेशक शिक्षा विभाग के यहाँ भेजा गया। जिसके उपरान्त शिक्षा विभाग की डायरी संख्या-डीडी-8, 2375 दिनांक- 29.05.2023 को दिया गया था।
लेकिन इस मामले में धनरुआ प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के विरुद्ध विभाग स्तर पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिस कारण उनका मनोबल सर चढ़कर बोल रहा है। वे बार-बार भ्रष्टाचार की पुरनावृति और मनमानी कर रहे हैं। कहा जाता है कि केके पाठक जैसे आला अफसर के राज में भी विभाग में इस प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के अवैध पैसा और पैरवी की तूती बोलती है।
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