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    Sunday, November 24, 2024
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      स्वास्थ्य-बिजली के क्षेत्र यूं बदतर हैं झारखंड के हालात

      “ राज्य के मुख्य सचिवों के साथ नीति आयोग की बैठक में झारखंड की हकीकत का खुलासा”

      रांची (न्यूज डेस्क)। आर्थिक विकास दर की तेज रफ्तार, पूंजीगत व्यय तथा इज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में झारखंड भले ही तेजी के साथ देश के अग्रणी राज्यों में शुमार हो रहा हो, लेकिन आम आवाम की मूलभूत जरूरतों में शामिल स्वास्थ्य, बिजली और पोषण के मामले में झारखंड के हालात सबसे बदतर हैं।

      cmइन सेक्टरों में झारखंड देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे निचले पायदान पर खड़ा है। राज्य के मुख्य सचिवों और अन्य वरीय पदाधिकारियों के साथ नीति आयोग की बीते दिनों नई दिल्ली में आयोजित बैठक में इसका खुलासा हुआ।

      डॉक्टरों की उपलब्धता के मामले में फिसड्डी तीन राज्यों में झारखंड सबसे निचले पायदान पर है। इससे ऊपर हरियाणा और छत्तीसगढ़ हैं।

      घरेलू बिजली की बात करें तो यहां के फीसद घरों तक ही इसकी पहुंच है। बिजली के मामले में फिसड्डी अन्य राज्यों में झारखंड के बाद बिहार और नागालैंड का स्थान आता है।

      जहां तक पोषण की बात है, पांच साल से कम आयु के झारखंड के 47.8 फीसद बच्चे कुपोषित हैं। बिहार में 43.9, जबकि मध्य प्रदेश में 42.8 फीसद बच्चे कुपोषित है।

      अन्य सेक्टरों में कृषि विपणन एवं कृषक अनुकूल सुधारों के सूचकांक में राज्य 12वें पायदान पर है। 81.7 फीसद अंक के साथ महाराष्ट्र इस मामले में पहले पायदान पर, जबकि 4.8 फीसद के साथ पुडुचेरी आखिरी पायदान पर।

       झारखंड में प्रति व्यक्ति आय जहां 62,816 रुपये हैं, वहीं 1,62,034 रुपये के साथ हरियाणा पहले तथा 34,168 रुपये के साथ बिहार सबसे पीछे है।

       शिक्षकों की कमी और बच्चों के ड्रापआउट से जूझ रहे झारखंड में शिक्षा की स्थिति भी बेहतर नहीं कही जा सकती। पांचवीं कक्षा के विद्यार्थियों में कक्षा दो के अंग्रेजी पाठ्यक्रम को पढ़ने की क्षमता के मामले में झारखंड का स्थान नीचे से दूसरा है।

      यहां पांचवीं के 36.4 फीसद छात्र ही दूसरी कक्षा की अंग्रेजी पढ़ने के योग्य है। असम की स्थिति सबसे दयनीय है।

      कुछ सेक्टरों में झारखंड देश के अग्रणी राज्यों को चुनौती भी दे रहा है। झारखंड की आर्थिक विकास दर आठ फीसद से ज्यादा है, जो गुजरात, त्रिपुरा और मिजोरम के समकक्ष है। इसी तरह टैक्स जीएसडीपी (3 फीसद) और पूंजीगत व्यय (नौ फीसद) में वृद्धि दर्ज की गई है।

       

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