पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। पटना हाइकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए यह स्पष्ट किया की राज्य के तमाम प्रारंभिक विद्यालयों में 2015 तक नियोजित हुए वैसे अप्रशिक्षित शिक्षक जो आठ अगस्त, 2021 तक या उससे पहले न्यूनतम प्रशिक्षण का डीएलएड कोर्स भी नहीं कर पाए हैं, उनका नियोजन खत्म होने लायक है और वे शिक्षक के पद पर बने रहने लायक नहीं हैं।
मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन, न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार एवम न्यायमूर्ति राजीव राय की पूर्ण पीठ ने सकीना खातून सहित सैकड़ों याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर अपील व रिट याचिकाओं को निष्पादित करते हुए यह फैसला सुनाया।
पूर्ण पीठ ने यह भी माना की शिक्षा का अधिकार कानून जिसे केंद्र सरकार ने एक अप्रैल, 2010 की तारीख से लागू किया था, वो बिहार में 2010 से 2015 के बीच नियोजित हुए अप्रशिक्षित शिक्षकों पर भी लागू होगा, बशर्ते उन्हें भी उक्त कानून के तहत सेवा में रहते हुए प्रशिक्षण लेने की समय सीमा की छूट मिले।
हाइकोर्ट ने सिर्फ उन्हीं नियोजित शिक्षकों की सेवा को बरकरार रखने का निर्देश दिया है, जो आठ अगस्त, 2021 के कट ऑफ डेट तक या उससे पहले न्यूनतम 18 महीने का प्रशिक्षण सर्टिफिकेट प्राप्त कर चुके हैं, या उक्त तारीख को उनके प्रशिक्षण कोर्स की परीक्षा का रिजल्ट लंबित था या कोर्स पूरा होने के बावजूद उस तारीख को परीक्षा या रिजल्ट को स्थगित कर के रखा गया था।
गौरतलब है कि उक्त कानून को बिहार में एक अप्रैल 2015 के भूतलक्षी प्रभाव से आठ अगस्त, 2017 को लागू किया गया था। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत एक अप्रैल, 2010 को या उससे पहले नियुक्त हुए किसी अप्रशिक्षित शिक्षक को सेवा में रहते हुए प्रशिक्षण लेने के लिए अधिकतम पांच वर्ष की समय-सीमा दी गयी है।
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