राजगीर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। बिहार के नालंदा जिला अवस्थित अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी राजगीर में जमीन की बढ़ती मांग और कीमत ने जमीन हथियाने का भी नया व्यवसाय खड़ा कर दिया है। जमीन की सौदेबाजी में अगर अंचल कार्यालय थोड़ी सी आंख मूंद ले तब सौदा बेहद फायदेमंद हो जाता हैं।
इस बार भू माफियाओं की नजर उस जमीन पर है जिस मामले में राजगीर के पूर्व अंचलाधिकारी,राजस्व कर्मचारी और लिपिक पूर्व में निलंबित हो चुके हैं। इस बार तो विवादित जमीन का मामला पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दिया गया है, जिसमें विजिलेंस सहित पुलिस प्रशासन के अधिकारीयों को कटघरे में खड़ा किया गया है।
विवादित मामला राजगीर प्रखंड कार्यालय से सटे जमीन का है, जिसका प्लॉट नंबर 5596 खाता 64 रकवा एक एकड़ पचास डिसीमल का है। फर्जी कागजात के आधार पर इस जमीन को वर्ष 2012 में राजगीर के तत्कालीन सीओ,राजस्व कर्मचारी, एवम लिपिक ने अपनी अपनी पत्नियों के नाम से रजिस्ट्री करवा लिया था। तब डीएम के आदेश पर जमाबंदी रद्द करते हुए सभी निलंबित कर दिए गए थे।
पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले रामवशिष्ठ नाथ उपाध्याय ने बताया कि विभिन्न प्लॉटों में कुल 3.52 एकड़ ज़मीन वर्ष 1922,1930 एवम 1950 में खरीदी गई थी। बाद में प्रखंड कार्यालय निर्माण के लिए कुल दो एकड़ भूमि अधिग्रहण किया गया था, जिसका अवार्ड भी हमारे पूर्वजों को वर्ष 1955/56 में जिला प्रशासन द्वारा दिया गया था।
उन्होंने बताया कि शेष भूमि एक एकड़ पचास डिसीमल जमीन पर भू माफियाओं के द्वारा फर्जी कागजात के आधार पर हड़पने की साजिश रची जा रही है। इस मामले में अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी के आदेश 05/05/22 के तहत निर्माण कार्य पर रोक है लेकिन रात के अंधेरे में जमीन की चहारदीवारी की जा रही हैं।
उन्होंने बताया कि जिला सत्र न्यायाधीश के कार्यालय एवम पटना हाईकोर्ट में मामला दर्ज रहने के बाबजूद जमीन की चहारदीवारी प्रशासनिक मिलीभगत की ओर इशारा करती है।
विवादित जमीन के मामले में श्रीधर उपाध्याय, नागेंद्र नाथ उपाध्याय, शिवराम उपाध्याय, रामाशीष उपाध्याय, रामवशिष्ट उपाध्याय, तिरुपतिनाथ उपाध्याय, राकेश बिहारी उपाध्याय, विरमणी उपाध्याय, प्रमेंद्र उपाध्याय, प्रह्लाद उपाध्याय के द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री, डीएम, एसपी सहित अन्य अधिकारीयों से गुहार लगाई है।
लोगो ने आवेदन में लिखा है कि मो. अकबर नामक, पिता मो शकूर नामक फर्जी कागजात के आधार पर जमीन हड़पना चाहता है। जबकि उक्त जमीन सर्वे खतियान मालिक से पूर्वजों द्वारा खरीदा गया है। लोगो ने फर्जी कागजात के आधार पर मो. अकबर के जमाबंदी को रद्द करने की मांग जिला प्रशासन से की है।