एक्सपर्ट मीडिया न्यूज़ नेटवर्क डेस्क। देहरादून में जन्मी पूजा सिंघल ने गढ़वाल विश्वविद्यालय, देहरादून से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और अपने पहले प्रयास में आईएएस परीक्षा पास की। वह अपने स्कूल के दिनों से लेकर विश्वविद्यालय की परीक्षा तक टॉपर ही रहीं।
महज 21साल और 7 दिन की उम्र में आईएएस बनकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज कराने वाली 2000 बैच की सीनियर आईएएस और झारखंड की खनन व उधोग सचिव पूजा सिंघल फिर से सुर्खियों में बनी हुई हैं।
इस बार आय से अधिक मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गुरुवार से ही उनके ठिकानों पर एक साथ छापेमारी चल रही है। उसके बाद तो ईडी की आंखें भी चौंधिया गई। जब उनके ठिकानों से लगभग पच्चीस करोड़ से ज्यादा की कैश बरामद की गई।
वहीं अलग अलग स्थानों से 150 करोड़ के अधिक के निवेश के कागज मिलें है। यह कोई पहला मौका नहीं है, जब किसी आईएएस पर आय से अधिक या भ्रष्टाचार के मामले में छापेमारी हुई है।
बिहार, झारखंड,यूपी सहित अन्य राज्यों में आएं दिन इस तरह की कार्रवाई चलती रहती है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस देश में सबसे कठिन परीक्षा पास कर आइएएस बनने का औचित्य क्या रह गया है। अकूत धन संपत्ति अर्जित करना ,या फिर यह पद ही पैसा वसूली का धंधा बन गया है। क्या समय आ गया है कि इस देश से आइएएस पद को ही समाप्त कर दिया जाएं।
देश में हर साल कड़ी मेहनत के बाद हजार छात्र स्नातक स्तर की एक प्रतियोगिता परीक्षा पास कर लेने के बाद देश की सबसे ताकतवर कुर्सी पर आसीन होने की व्यवस्था अंग्रेजों ने अपने लोगों के लिए बनायी थी। आज देश भले आजाद हो गया लेकिन उनकी यह व्यवस्था यथावत है।
आईसीएस का नाम भले आईएएस और आइपीएस कर दिया गया हो लेकिन उनका मैन्यूअल कमोबेश वही रह गया। आखिरकार उसे बदलता भी कौन। बदलने में तो नुकसान ही नुकसान है। उसे बदलने का साहस किसी नेता में तो है नहीं। और कोई आइएएस और आइएपीएस इसे बदलकर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी क्यों मारना चाहेगा।
सरकार को यह मैन्युअल बदलने की भी सिफारिश नहीं करेगा। यदि ऐसा करेगा तब आज जो लाट साहब जैसी 10 बीघे की हवेली में इन्हें सरकारी खर्चे पर रखा जाता है, उसका आनंद ये कैसे ले सकेंगे।
आखिर कौन सी यह तिलिस्म की छड़ी घुमा देते हैं कि किसी जिले में रामराज्य आ जाता है। किसी अधिकारी ने नहीं कहा कि ये शहर के मुख्य इलाके में इतने बड़े आलीशान कोठी का अब कोई औचित्य नहीं रह गया है। इस पर तो बातें बहुत लंबी खींच जाएगी।
दरअसल ताजा प्रसंग पूजा सिंघल का है। पूजा सिंघल झारखंड राज्य के खनन व उधोग सचिव पद पर कार्यरत हैं। जिनकी पहुंच सता के गलियारे तक भी है।
पूजा सिंघल जब आईएएस की परीक्षा पास की होंगी तो इलाके में बधाई देने वालों का जनसैलाब उमड़ा होगा। लोग अपने घरों में अपने बच्चों को पढ़ाई में पूजा जैसे बनने के लिए उपदेश और उदाहरण जरूर दिया होगा।
कुछ बच्चे स्वतः पूजा जैसे अधिकारी बनने और उनके जैसे पढ़ाई करने का आत्मनिर्णय भी उस दौर मे लिए होंगे। लेकिन जब पूजा सिंघल के तमाम ठिकानों पर बिहार की विशेष आर्थिक अपराध शाखा की टीम की छापेमारी चल रही है तो आइएएस जैसे पद पर लहालोट होने वाले लोग क्या सोच रहें होंगे, क्या वे लोग ग़लत थे, जिन्होंने अपने बच्चों को पूजा सिंघल जैसा अधिकारी बनने का उपदेश दे रहे होंगे!
क्या फिर यह कहते होंगे कि पूजा जैसा ही पढ़ाई कर उनके जैसा ही ईमानदार अधिकारी बनना! क्या वे इस अपराध बोध से गुजर रहे होंगे!
सबसे कम उम्र में आइएएस बनने का रिकॉर्ड इसी पूजा सिंघल के नाम से है। इसके पूर्व की भी सभी परीक्षाओं में वह अव्वल रही हैं। गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं। पहले प्रयास में इसने आइएएस की परीक्षा भी पास कर ली थी।
पूजा सिंघल के घर से 25 करोड़ नकद की बरामदगी कोई हैरान करनेवाली बात आज के संदर्भ में नहीं होनी चाहिए। यदि ईमानदारी से देश के सभी आईएएस और आइपीएस अधिकारियों की नामी-बेनामी संपत्ति की जांच करा ली जाये, तब पता चलेगा कि देश की एक बड़ी संपत्ति पर इनका आधिपत्य साबित हो जाएगा। दिखाने के लिए ये भले निजी संपत्ति के नाम पर मारूति कार दिखा लें, लेकिन इनकी अनाम संपत्ति का पता आप और हम सब को है।
आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल का घर-परिवार से लेकर नौकरी में अब तक का सफर विवादों से घिरा रहा है। नौकरी में रहने के दौरान जहां-जहां उनकी पोस्टिंग रही, उन पर भ्रष्टाचार और अनियमितता के कई गंभीर आरोप लगे। जबकि इस प्रारंभिक दौर में पारिवारिक जीवन में भी अच्छा नहीं रहा।
देश के सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता हासिल करने के बाद आईएएस पूजा सिंघल की पहली शादी आईएएस अधिकारी रहे राहुल पुरवार से हुई। लेकिन प्रारंभिक वर्षों के दौरान ही कुछ निजी कारणों को लेकर दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया और फिर तलाक होने के बाद पूजा सिंघल ने अभिषेक झा से शादी की।
इस शादी के बाद पूजा सिंघल के पारिवारिक जीवन में थोड़ी शांति आयी, लेकिन इस बीच अति महत्वकांक्षा और पति तथा ससुराल वालों के व्यावसायिक हितों को फायदा पहुंचाने का आरोप उनपर काफी दिनों से लगता रहा।
चतरा में उपायुक्त रहते हुए पूजा सिंघल ने मनरेगा योजना से 2 एनजीओ को 6 करोड़ रुपये दिये। इस मामले में विधानसभा में भी सवाल उठा, लेकिन बाद में उन्हें क्लिन चिट मिल गयी। जबकि खूंटी जिले में उपायुक्त रहने के दौरान मनरेगा में 16 करोड़ रुपये के घोटाले में नाम आया, जिसकी जांच अभी ईडी कर रही है।
इससे पहले पलामू में उपायुक्त रहने के दौरान पूजा सिंघल पर उषा मार्टिन ग्रुप को कठौतिया कोल ब्लॉक आवंटन में नियमों की अनदेखी का आरोप लगा।
चतरा में उपायुक्त के कार्यकाल के दौरान एक दिन अचानक यह खबर मिली कि नक्सलियों ने जहरीली सूई से पूजा सिंघल पर हमला किया है, जबकि उन्हें आनन-फानन में इरबा स्थित अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी जान बची।
हालांकि यह भी चर्चा है कि उन्होंने खुद जहर खाकर जान देने की कोशिश की, लेकिन बाद में किसी तरह का कोई केस ना हो, इसलिए मामले को नक्सली हमला रूप देने की कोशिश की गयी।
आईएएस बनने के बाद हजारीबाग के रूप में एसडीओ में कार्य करने के दौरान उन्होंने विभिन्न गोदामों पर छापेमारी की और शिक्षा परियोजना की ओर से बच्चों को दी जाने वाली किताबों की अवैध बिक्री का भंडाफोड़ किया।
पूजा सिंघल ने ही शारीरिक रूप से अक्षम लोगों का डेटा एकत्र करने के लिए झारखंड में पहली बार विकलांग सर्वेक्षण भी किया। रिम्स निदेशक के रूप में भी लोग उनके योगदान को याद करते हैं।
उन्होंने राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की व्यवस्था को सुधारने में बड़ी भूमिका निभायी। लेकिन सिस्टम को बदलने की चाहत रखने वाली पूजा सिंघल के ठिकानों से अकूत धन दौलत की बारिश हो रही है।
उनके सरकारी आवास,कांके रोड स्थित पंचवटी रेजीडेंसी के बी ब्लॉक के फ्लैट नंबर 104,सीए सुमन कुमार के फ्लैट और कार्यालय पति अभिषेक झा,के पल्स अस्पताल, मुजफ्फरपुर में श्वसुर कामेश्वर जा,भाई-माता -पिता के आवास, कोलकाता में सीए के इंट्री ऑपरेटर रौनक व प्राची अग्रवाल के अलावा जयपुर में पूर्व असिस्टेंट इंजीनियर राजेन्द्र कुमार जैन के आवास पर भी छापेमारी की गई। जो सभी पूजा सिंघल मामले से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं।