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    Sunday, November 24, 2024
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      बर्निंग बस के दर्दनाक हादसे पर हरनौत के विधायक हरिनारायण सिंह की संवेदनहीनता तो देखिये….

      harnaut jdu mlaburning busबिहारशरीफ( हमारे प्रमुख संवाददाता)। नालंदा के हरनौत में बर्निग बस हादसे में नौ से ज्यादा लोगों की मौत की खबर के बाद भी हरनौत से जद यू विधायक हरिनारायण सिंह संवेदन हीन दिखे। उनके पास मृतकों और पीड़ित परिजनों की सुध लेने की भी फूर्सत नहीं दिखी। विधायक के पास वाहन चालक नहीं होने की वजह से घटना स्थल पर पहुंचने पर असमर्थता प्रकट की।

      पटना से शेखपुरा जा रही बाबा रथ हरनौत के पास अचानक धू -धूकर जल गई।इस हादसे में लगभग नौ से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि पुलिस प्रशासन ने की है। अब इस मामले में एक नया मोड़ सामने आया है। बस में झुलसे ईलाजरत एक पीड़ित ने सनसनी खेज खुलासा किया ।

      पीड़ित ने बताया कि बस में गैस सिलेंडर नहीं था । बस में फल पकाने वाला कार्पेट रखा हुआ था। जिसके रिएक्शॅन की वजह से बस में आग लग गई ।

      इधर इस घटना की सूचना हरनौत विधायक हरिनारायण सिंह को भी मिली। उनके बयान कई निजी न्यूज चैनलों पर चली। सबसे पहले उन्हीं के हवाले से पुष्टि की गई कि बस हादसे में नौ लोगों की मौत हुई। जबकि कई घायल हैं ।

      जब एक निजी चैनल के एंकर ने उनसे पूछा कि आप घटना स्थल पर पहुँच रहे है तो उनका जबाब चौंकाने वाला रहा उन्होंने एकंर से कहा कि उनका ड्राइवर अभी नही है। जिस वजह से उन्होंने घटना स्थल पर जाने में असमर्थता व्यक्त की।

      अब सवाल यह उठता है कि एक क्षेत्र का जनप्रतिनिधि जो पिछले 40 साल से विधायक रहा हो उनसे ऐसे जबाब की उम्मीद नही की जा सकती।एक विधायक के क्षेत्र में दस लोगों की दर्दनाक मौत हो जाए और विधायक संवेदनहीनता दिखाए तो और मामले में जनता ऐसे विधायक से क्या उम्मीद कर सकें ।

      इधर घटना की जानकारी मिलते ही नालंदा सासंद कौशलेन्द्र कुमार घटना स्थल की ओर रवाना हो गए हैं ।

      दूसरी तरफ बस हादसे के बाद अब सवाल उठाए जा रहे है कि आखिर कब तक बसों में मौत की सवारी होगी। बिना किसी मानकों के बसों का परिचालन जगजाहिर है। बसों में जिस प्रकार से यात्रियों को भेड़ बकरियों की तरह लादा जाता रहा है । खटारा बसों में यात्रियों को ढोया जाता है। क्षमता से अधिक लोगों को भरा जाता है ।

      बाबजूद जिला प्रशासन ऐसे वाहनों पर कोई कार्रवाई नही करती है। आखिर क्या कारण है कि आए दिन बस हादसे होते रहते हैं । मातम पूर्सी का दौर चलता है।फिर लोग मामले को भूल जाते हैं । जब फिर से कोई बड़ा हादसा होता है तब फिर से पुलिस प्रशासन की नींद खुलती हैं ।

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