एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। कोडरमा चाइल्ड लाइन ने एक कथित नाबालिक जोड़ी की शादी को लेकर स्थानीय मीडिया के बारे में लिखा है कि जारी किये प्रेस रिलीज के आधार पर खबर को प्रकाशित करना, निष्पक्ष पत्रकारिता और पत्रकार पर एक बड़ा सवाल है। दुर्भावना और पूर्वाग्रह से ग्रस्त व्यक्ति अपने स्तर से कुछ भी लिखकर अखबार को दे सकता है, पर एक सच्चे, अच्छे और खोजी पत्रकार को क्या चाहिए?
कोडरमा में पहले भी कुछ पत्रकारों पर सवाल उठते रहे हैं। क्या इस खबर को पब्लिश करने के पूर्व अपने आपको मानवाधिकार कार्यकर्त्ता कहने वाले से नाबालिक होने का सबूत लिया गया, इस मामले में सिर्फ चाइल्डलाइन को बदनाम करने का प्रयास क्यों किया जा रहा है। इस बारे में क्या कुछ भी खोज बिन किया गया?
मामले को लेकर कोर्ट ने क्या आदेश पारित किया है, पुलिस ने क्या पहल या सहयोग किया है, बाल संरक्षण पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, पंचायत के मुखिया, ग्रामीणों आदि ने किया कुछ किया है। इन पहलुओं और सच्चाईयों को जाने बगैर इस तरह कोई खबर पब्लिश कर देना कहाँ तक उचित है ?
चाइल्डलाइन के निदेशक इन्द्रमणि साहू ने लिखा है कि चाइल्डलाइन अपने प्रावधानों एवं गाईडलाइन के अनुसार कार्य करती है, इस मामले में भी चाइल्डलाइन पूरी ईमानदारी और प्रावधानों के अनुसार कार्य किया है।
वह भी डोमचांच थाना टीम के साथ, पल-पल की खबर सभी उच्चाधिकारियों/सीडब्लूसी आदि को जानकारी देते हुए, मार्गदर्शन प्राप्त करते हुए। उनकी कार्यशैली, नियत और विचारधारा सिर्फ एक को आज तक पसंद नहीं आया है तो इसमें हमारा क्या कसूर?
साहू ने लिखा है, कोडरमा के कुछ पत्रकार सिर्फ और सिर्फ प्रेस रिलिज का हिस्सा बनकर रह गया है। इससे पत्रकारिता की विश्वसनीयता एवं निष्पक्षता पर एक बड़ा सवाल उभर रहा है। पूर्वाग्रह एवं दुर्भावनावश कोई कुछ भी लिखकर रीलिज जारी कर रहा है और उसे ही हु-ब-हू अखबार में छापकर पत्रकारिता की छज्जियां उड़ायी जा रही है।
ऐसा ही एक मामला 24 अक्टूबर के वेब मिडिया एवं 25 अक्टूबर के कुछ अखबारों में देखने को मिला। बताते चलें कि अपने-आपको मानवाधिकार कार्यकर्ता कहने वाले डोमचांच निवासी ओंकार विश्वकर्मा ने चाइल्डलाइन के विरूद्ध एक प्रेस रिलिज जारी किया। बेव मीडियाकर्मियों एवं कुछ प्रिंट मिडिया ने इसे हू-ब-हु प्रकाशित किया, वहीं कुछ अखबारों ने अपना फर्ज अदाकर चाइल्डलाइन के पक्ष को भी प्रकाशित किया।
निदेशक का कहना है कि दिनांक 23 अक्टूबर, 2019 को ओंकार विश्वकर्मा ने चाइल्डलाइन के टॉल फ्री नंबर 1098 पर कॉल कर बगड़ो में बाल विवाह होने की सूचना दी। प्राप्त सूचना के आधार पर चाइल्डलाइन की टीम पूरी ईमानदारी एवं गाईडलाइन के अनुसार संबंधित सभी उच्चाधिकारियों को सूचना देते हुए डोमचांच थाना के एएसआई जॉन तिग्गा के नेतृत्व में सभी बगड़ो पहुंची।
मामले की पड़ताल की फिर, उचित कार्रवाई एवं निदेश देने के उपरांत टीम वापस आती है। तब रात्रि के करीब 9 बज रहा था। गांव के समस्त महिला-पुरूष, गणमान्य लोग एवं मुखिया सहित करीब 300 की संख्या में लोग मौजूद थे। सभी ने कहा कि दोनों बालिग है और इससे संबंधित प्रमाण पत्र है। लेकिन, इस वक्त दिखाना संभव नहीं है। दस्तावेज दिखाने की जिम्मेदारी मुखिया ने लिया।
फिर, वरीय अधिकारियों के निदेश पर टीम वापस आती है। दूसरे दिन सभी दस्तावेज के साथ दोनों के अभिभावक एवं गणमान्य लोग कार्यालय आते हैं और उम्र संबंधी प्रमाण पत्र देते हैं जिसमें लडका का उम्र तिथि 02.04.1998 है और बालिका का उम्र तिथि 15.09.2000 है। इस हिसाब से दोनों 18 एवं 21 से ज्यादा है।
साहू का कहना है कि थाना, कोर्ट एवं चाइल्डलाइन अपने गाईडलाइन एवं प्रावधानों के अनुसार अपना कार्य कर रही है न कि व्यक्ति विशेष को खुश करने के लिए। इस मामले में भी व्यक्ति विशेष को खुश नहीं किया। लिहाजा, पूर्वाग्रह एवं दुर्भावना के ग्रस्त ओंकार विश्वकर्मा ने लगातार प्रेस रिलिज जारी कर चाइल्डलाइन को बदनाम करने के नियत से लगातार खबरे छपवा रहा है और अखबार का लिंक मानवाधिकार आयोग या अन्य जगह पर भेज कर अपना उल्लू सीधा करना चाहता है।
ऐसे गोरखधंधे में कुछ अखबार प्रतिनिधि भी शामिल होने की आशंका है। तभी तो अखबार प्रतिनिधि तथ्यों को जाने बगैर सिर्फ और सिर्फ प्रेस रीलिज को ही हु-ब-हू अपने अखबारों में प्रकाशित कर रहे हैं। रीलिज में जिनके विरूद्ध मामला बताया जा रहा है। उनसे अखबार प्रतिनिधि एक बार भी उनका पक्ष नहीं लेते हैं। ऐसे में निष्पक्ष पत्रकारिता और पत्रकारों में सवाल उठना लाजिमी है।
साहू का आरोप है कि ओंकार के द्वारा पूर्व में कई रिलिज जारी किया गया और तब भी एक बार भी चाइल्डलाइन का पक्ष नहीं पूछा गया। ऐसे में प्रेस, मिडिया या पत्रकारिता जो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। ऐसी तथाकथित पत्रकारिता एवं यहां के पत्रकारों की अकर्मण्यता से घिन आने लगी है।
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