“बिहार का अगला डीजीपी कौन होगा और कब होगा? इस पर निगाहे सुप्रीम कोर्ट में आठ जनवरी को होने वाली सुनवाई पर टिकी है….”
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। आठ जनवरी को होने वाली इस सुनवाई से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वालो में बिहार के वर्तमान डीजीपी के एस द्विवेदी है। के एस द्विवेदी 31 जनवरी 2019 को रिटायर होने वाले है।
वर्तमान परिदृश्य में ऐसा नही लगता कि राज्य सरकार इन्हें सेवा विस्तार दे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार नए डीजीपी के लिए पांच नाम यू पी एस सी को भेज दिए गए है।
बिहार सरकार ने 5 आईपीएस अधिकारियों के नाम अनुशंसा के लिए भेजा है। सरकार ने जिन नामों को भेजा है उसपर यूपीएससी का पैनल तीन नाम फाइनल करेगा। उसके बाद राज्य सरकार चयन करेगी।
सरकार की ओर से जिन पांच आईपीएस अधिकारियों के नाम भेजा गया है, उनमें राजेश रंजन, राजेश चंद्रा, आरके मिश्रा, सुनील कुमार और गुप्तेशवर पांडेय है।
इनमे राजेश चंद्रा, आर के मिश्रा और राजेश रंजन तीनो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर है। इन नामों में से जो भी डीजीपी होगें, उसका कार्यकाल तीन साल का होगा।
एक यह भी नियम होगा कि सरकार को डीजीपी के रिटायरमेंट से तीन माह पहले नामों की सूची भेजनी होगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस गाइडलाइंस के बीच मामला फंस गया।
पंजाब और हरियाणा के डीजीपी सुरेश अरोड़ा(पंजाब) और बीएस संधू( हरियाणा) का। दोनों 31 दिसंबर 2018 को रिटायर हो रहे थे।
पंजाब और हरियाणा सरकारों ने शीर्ष अदालत के एक आदेश में इस संबंध में संशोधन करने का अनुरोध करते हुए न्यायालय में याचिका दायर की थी।
जिसकी सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने पंजाब तथा हरियाण के पुलिस महानिदेशकों को अगले वर्ष 31 जनवरी तक पद पर बने रहने की मंजूरी दे दी है।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि राज्यों में पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति के लिए नामों का चयन करने के लिए संघ लोक सेवा आयोग की मदद लेना अनिवार्य होगा। जबकि राज्यों ने कहा कि उन्होंने पुलिस प्रमुख की नियुक्ति के लिए अलग कानून बनाए हैं।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस आदेश में संशोधन के अनुरोध संबंधी याचिका पर आठ जनवरी को विचार किया जायेगा।
अब देखना होगा कि आठ जनवरी को उच्चतम न्यायालय फैसला सुनता है या आगे का कोई डेट देता है।
कानून के जानकार बताते है कि यदि सुनवाई आगे बढ़ती है तो के एस द्विवेदी को भी विस्तार मिल सकता है। डीजीपी के रूप में के एस द्विवेदी का कार्यकाल ग्यारह महीने का ही रहा।
लेकिन इस दौरान इन्होंने पुलिस महकमे में वर्षो से तबादले और प्रोन्नति पर चलती आ रही खींचातानी को जरूर खत्म किया। सिपाही से लेकर आईजी स्तर तक के अधिकारियों को प्रोन्नति नियमानुसार मिली। सबसे बड़ी बात रही वर्षो से जमे पुलिस कर्मियों का सामूहिक तबादला। (सूचना स्रोतः वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ ओझा की फेसबुक वाल)