“यूं तो आम व्यक्तियों द्वारा किसी मामले में फर्जीवाड़ा कर खर्च से ज्यादा रुपयों की उगाही की घटना आम बात है। लेकिन यही काम किसी प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्था से जुड़े प्रोफेसर करने लगें तो यह अचरज के साथ चौकाने वाली भी बात हो जाती है…”
रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। मामला देश भर में प्रसिद्ध झारखंड के सिंदरी में स्थित प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान बीआईटी, सिंदरी से जुड़ा है।
अन्य राज्यों की तरह झारखंड की राजधानी रांची में भी झारखंड संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा परिषद् (जेसीईसीईबी) का मुख्य कार्यालय है। इस परिषद् द्वारा इंजीनियरिंग सहित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं।
इस परिषद ने पिछले दिनों राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए एक परीक्षा आयोजित की थी। रिजल्ट के बाद फाइनल एडमीशन के काऊंसलिंग व साक्षत्कार के लिए के लिए बोर्ड ने बीआईटी, सिंदरी के 26 व्याख्याताओं, जिनमें वरीय व्याख्याता भी शामिल थे, उनको रांची बुलाया।
यहां सभी व्याख्याता रांची स्थित निरंजन लीला होटल में अलग-अलग नॉन एसी कमरे में ठहरे। काऊंसलिंग पूरी होने के बाद जब इन प्रोफेसरों ने होटल छोड़ा तो उन्होंने नॉन-एसी कमरे की जगह एसी कमरे का बील बनवा लिया, जिसका किराया नॉन एसी कमरे से काफी ज्यादा है। इन प्राघ्यापकों ने संबंधित विभाग और अधिकरियों को भूगतान के लिए एसी कमरे वाला बील ही समर्पित कर दिया।
परंतु बीआईटी, सिंदरी जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक प्रतिष्ठान के व्याख्याताओं की इस धूर्तता की भनक जेसीईसी बोर्ड, झारखंड के कंट्रोलर व आईएएस अधिकारी दिलीप झा को किसी तरह लग गई।
जब उन्होंने खुद इस मामले की छानबीन की तो इन सभी 26 व्याख्याताओं द्वारा किया गया फर्जीवाड़ा सामने आ गया। साथ ही यह भी चौकाने वाला सत्य सामने आया कि सभी व्याख्याता जिस निरंजन लीला होटल में ठहरे थे व नॉन एसी होटल है और उसमें एक भी एसी कमरा नहीं है।
इसके बाद उन्होंने इस फर्जीवाड़े की सूचना उप परीक्षा नियंत्रक रंजीता हेम्ब्रम को दी। तब उप परीक्षा नियंत्रक ने पिछले 11 दिसम्बर को अपने पत्रांक-847 द्वारा बीआईटी, सिंदरी, धनबाद के निदेशक को एक पत्र भेज कर सभी प्रोफसरों से इस फर्जीवाड़े पर स्पष्टीकरण की मांग की है।
उप परीक्षा नियंत्रक के इस पत्र के बाद फर्जीवाड़ा करने वाले बीआईटी, सिंदरी के सारे व्याख्याताओं में खलबली मच गई है।