कई अहम फैसले करने के कारण यूपी में खासे चर्चा में रहे जस्टिस अमरेश्वर प्रताप शाही,
योगी सरकार द्वारा ‘एंटी रोमियो स्क्वायड’के गठन को जस्टिस अमरेश्वर प्रताप शाही ने कहा था सही,
तब सुशील मोदी ने बिहार में भी ऐसे स्क्वायड गठन करने की करी थी मांग
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद पर शनिवार को पदभार ग्रहण करने वाले जस्टिस अमरेश्वर प्रताप शाही राज्य के 41वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन आज सुबह 10:30 बजे राजभवन में उन्हें अपने पद औश्र गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सहित कई मंत्री और हाईकोर्ट्र के जस्टिस उपस्थित रहेंगे। जस्टिस ए पी शाही इसके पूर्व यूपी हाईकोर्ट में जस्टिस थे।
1985 में लॉ में ग्रेजुएट करने वाले श्री शाही को 6 सितम्बर 1985 को अधिवक्ता के रुप में मान्यता मिली। 24 सितम्बर 2004 को वह पहली बार यूपी में एडीशनल जज बनाए गए। 18 अगस्त 2004 को उन्होंने स्थायी जज की शपथ ली।
ईलहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की प्रशासनिक समिति के सदस्य रहे जस्टिस अमरेश्वर प्रताप शाही अपने कई फैसले के कारण चर्चा में रहे। इन्हीं एक फैसले में था यूपी में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद योगी सरकार द्वारा संम्पूर्ण यूपी में मनचलों पर नकेल कसने के लिए ‘एंटी रोमियो स्क्वायड’ का गठन।
मार्च 2017 में इस स्क्वायड के गठन और उसकी कार्यशैली के विरुद्व लखनऊ बेंच में एक अपील दायर की गई थी। तब न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही व न्यायमूर्ति संजई हरकौल की डबल बेंच ने इस मामले पर लंबी सुनवाई कर सरकार के निर्णय को सही ठहराते हुए अपील को खारिज कर दी थी।
यह दीगर बात है कि बाद में सरकार ने ‘एंटी रोमियो स्क्वायड’ का नाम बदल इस स्क्वायड का नाम ‘नारी सुरक्षा बल कर दिया।’ योगी और यूपी हाइकोर्ट के इसी फैसले से उत्साहित होकर तब झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास दा ने झारखंड में इसी तरह के स्क्वायड के गठन की घोषणा की थी।
जबकि 24 मार्च 2017 को सुशील कुमार मोदी ने बिहार और राजधानी पटना में भी योगी सरकार की तर्ज पर बिहार में भी ‘एंटी रोमियो स्क्वायड’ बनाए जाने की वकालत की थी।
1 मार्च 1916 को अस्तित्व में आए पटना हाइकोर्ट ने अबतक 41 मुख्य न्यायाधीश (जस्टिस एपी शाही सहित) देखे हैं।
स्वतंत्रता प्राप्ति और संविधान निर्माण के पूर्व एक भारतीय सहित 7 मुख्य न्यायाधीश रहे जिनमें 6 विदेशी मूल के थे।
स्वतंत्रता प्राप्ति और संविधान निर्माण के बाद 8 अप्रैल 1950 को पंडीत लक्ष्मीकांत झा पटना हाईकोर्ट के पहले चीफ जस्टिस बने।
2010 से 2014 तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहने वाली जस्टिस रेखा पटना हाइ कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश थीं।
जबकि पटना हाइकोर्ट में जस्टिस रहीं इंदू प्रभा सिंह सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला जस्टिस बनीं।