“कुशवाहा कोइरी समाज से आते हैं और बिहार की आबादी में कोइरी आबादी 3 फीसदी है। कुशवाहा बिहार के सीएम नीतीश कुमार के विरोधी भी माने जाते हैं। ऐसे में उनके खीर वाले बयान को हाथोंहाथ लिया गया। इसे एनडीए कुनबे में फूट के रूप में देखा जा रहा ……”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। बिहार में एनडीए के घटक दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) नेता एवं केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने अपने खीर वाले बयान पर सफाई दी है।
उन्होंने पटना में मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने न तो आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) से दूध मांगा है और न ही बीजेपी से चीनी मांगी है।
शनिवार को पटना में एक कार्यक्रम के दौरान उनके दिए बयान पर बिहार की सियासत गर्म हो गई थी। माना जा रहा था कि यह बयान आरजेडी और आरएलएसपी के बीच नजदीकी का संकेत है।
मोदी सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को कहा,
‘न मैंने आरजेडी से दूध मांगी और न ही बीजेपी से चीनी मांगी। हमने सभी समाज से समर्थन मांगा है। मैं तो सामाजिक एकता की बात कर रहा था। कृपया किसी जाति या समुदाय को किसी राजनीतिक पार्टी से जोड़ने की कोशिश मत करें।’
बता दें कि बिहार में यादवों का आरजेडी का कोर वोटर माना जाता है। राज्य में यादवों की आबादी करीब 15 फीसदी है। वहीं आरजेडी को मुसलमानों का भी भरपूर समर्थन मिलता है। बिहार में मुस्लिमों की आबादी भी 15 फीसदी से ज्यादा है।
बीते शनिवार को पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में आरएलएसपी नेता कुशवाहा ने कहा, ‘अच्छी खीर यादवों के दूध से और कुशवाहा समाज के लोगों द्वारा उपजाए गए चावल से ही बन सकती है।’
जाहिर है यादवों को पारंपरिक रूप से दुग्ध उत्पादन से जोड़कर देखा जाता है और बिहार में इस समाज को लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी का माना जाता है। वहीं उपेंद्र कुशवाहा खुद कुशवाहा समाज से आते हैं, जिसके चावल की बात उन्होंने की।
पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में मंडल आयोग के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व सीएम बीपी मंडल की 100वीं जयंती समारोह में उपेंद्र कुशवाहा ने यादव और कुशवाहा समाज के लोगों को साथ आने की वकालत की। इसके साथ ही उन्होंने अन्य पिछड़ी जातियों को भी साथ में जोड़ने की बात कही।
कुशवाहा ने कहा, ‘यहां बहुत बड़ी संख्या में यदुवंशी समाज के लोग जुटे हैं। यदुवंशियों का दूध और कुशवंशियों का चावल मिल जाए तो खीर बढ़िया बन सकती है। लेकिन खीर बनाने के लिए केवल दूध और चावल ही नहीं, बल्कि छोटी जाति और दबे-कुचले समाज के लोगों का पंचमेवा भी चाहिए।’
इस बयान के बाद सियासी हल्कों में माना गया कि कुशवाहा आने वाले चुनाव में आरजेडी की अगुवाई वाले महागठबंधन का हिस्सा बन सकते हैं। कुशवाहा को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विरोधी माना जाता है।
उनके बयान पर तेजस्वी ने भी फौरन प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, ‘निसंदेह उपेंद्रजी, स्वादिष्ट और पौष्टिक खीर श्रमशील लोगों की जरूरत है। पंचमेवा के स्वास्थ्यवर्धक गुण न केवल शरीर बल्कि स्वस्थ समतामूलक समाज के निर्माण में भी ऊर्जा देते हैं। प्रेमभाव से बनाई गई खीर में पौष्टिकता, स्वाद और ऊर्जा की भरपूर मात्रा होती है। यह एक अच्छा व्यंजन है।’