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    Sunday, November 24, 2024
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      एक कड़वा सचः छद्म पत्रकारिता और शासन एक भयादोहन

      आज आंचलिक पत्रकारिता के सामने कई गंभीर चुनौतियां है। जिसे कुछ चालबाज बिचौलियों ने कस्बाई स्तर पर संघ-संगठनों ने नाम पर इसे काफी भयानक स्वरुप दे रखा है”।

      -: मुकेश भारतीय :-HILSA SDM FROUD MEDIA ACTIVITES 4 HILSA SDM FROUD MEDIA ACTIVITES 3 HILSA SDM FROUD MEDIA ACTIVITES 2 HILSA SDM FROUD MEDIA ACTIVITES 1

      आजकल हर जिलों-कस्बों की तरह नालंदा जिले में भी कई कुकुरमुत्ता छाप कथित पत्रकार संगठने उगे दिख रहे हैं। इन जेबी संगठनों को कभी किसी भी पत्रकार की आवाज बनते नहीं देखा। आंचलिक पत्रकारों के वुनियादि मुद्दों को उठाते नहीं सुना। अगर इन्हें कहीं देखा-सुना है तो प्रायः अपने कमजोर साथियों का ही शोषण, उत्पीड़न, दमन और नीजि स्वार्थ में इस्तेमाल करते।

      बहरहाल, एक कथित जिला पत्रकार संघ से जुड़ी जिस तरह की सप्रमाण सुचनाएं मिली है, वह काफी शर्मसार करने वाली है। इस संघ की बैठक इस्लामपुर प्रखंड प्रशिक्षण केन्द्र में आयोजित की गई। इस बैठक में हिलसा एसडीओ भी उपस्थित थे। 

      शायद उनकी मंशा यही रही होगी कि स्थानीय स्तर के पत्रकारों की बात सुनें और अपने शासकीय अनुभव-विचार शेयर करें। हालांकि फिर किसी ऐसी बैठक में उनकी सहभागिता काफी चर्चा का विषय बन गया है।  उपलब्ध वीडियो फुटेज में बैठक के दौरान जो नजारा देखने को मिला है, वे भी काफी चौंकाने वाले हैं।

      एक कथित स्वघोषित संगठन की बनैर तले आहूत पत्रकारों की बैठक में एसडीओ की उपस्थिति उतने गंभीर मायने नहीं रखते। जितने कि वह दृश्य, जिसमें उनका अरदली-सेवक संवैधानिक परिधान में उल्टे अपने हाथ में ट्रे लेकर पत्रकारों को ही चाय की प्याली परोसते नजर आते हैं।

      जब बैठक पत्रकारों की थी तो एसडीओ के अरदली-सेवक सरकारी रविवार के दिन सरकारी परिधान में उल्टे सेवामग्न कैसे? क्या इस तरह की पत्रकार बैठक का आयोजन शासकीय तौर पर की गई थी?

      इस बैठक को लेकर सबसे गंभीर तत्थ उभरकर यह सामने आया है कि स्थानीय पत्रकारों के एक धड़े ने पत्रकारों की बैठक और उसमें एसडीओ व स्थानीय सीओ के भाग लेने का चेहरा दिखा कर लाखों की वसूली की है।

      विश्वस्त सूत्रों के अनुसार पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर विभागीय अफसरों, डीलरों, अवैध कारोबारियों तक से 5-10-15-20 हजार रुपये वसूले गये। उनमें मीडिया की ताकत के साथ सीओ-एससडीओ से घनिष्ठता के खौफ दिखाये गये।

      सबाल उठता है कि जब सरकारी भवन में पत्रकारों की आंतरिक बैठक में कितनी राशि खर्च होती है, उसके लिये लाखों की वसूली करनी पड़े। आखिर वसूली करने वाले किस चरित्र के पत्रकार कहे जाएंगे। वे किस तरह की पत्रकारिता में संलिप्त होगें। ऐसे लोगों को कभी किसी पत्रकार के दुःख-पीड़ा में सहायतार्थ चंदा-वसूली करते नहीं सुना।

      एसडीओ सृष्टि राज सिन्हा की मंशा पर सीधे सबाल भले नहीं उठाये जा सकते, लेकिन यह पत्रकारों कैसी महान बैठक थी कि उनके शासकीय सेवक पत्रकारों की बैठक में सेवा करते दिखे। यह एक बड़ा सबाल है। 

      क्योंकि, इसी कथित संगठन से जुड़े एक धड़े ने कुछ माह पहले नगरनौसा प्रखंड मुखायालय भवन सभागार में पत्रकारों की ऐसी बैठक का ही आयोजन किया गया था, जिसकी राम कहानी कमोवेश समान थी।

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