एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा जिला के बिहार थानान्तर्गत नीमगंज टीओपी प्रभारी जमादार जियाउल हक की हीटर पर खाना बनाते समय करंट लगने से मौत हो गई है। हालांकि उनकी मौत काफी संदिग्ध बताई जा रही है। वे कटिहार जिले के निवासी बताये जाते हैं। वे अपने पीछे 3 पुत्र समेत पत्नी छोड़ गये हैं।
मौत के पहले दोपहर करीब 1.30 बजे जियायुल हक जुम्मे की नमाज पढ़ कर आये थे। इसके टीओपी में हीटर पर खाना बनाते करंट लगने से मौत की खबर सामने आई। इस टीओपी में करीब एक दशक से वे अकेले पदास्थापित हैं।
विभिन्न स्रोतों से प्राप्त सूचनाओं के आलोक में जमादार की ऐसी मौत काफी संदिग्ध नजर आ रही है। हीटर के तार की करंट से जले के निशान उनके पैर और छाती पर दिख रहे हैं। यह अचानक हुई कोई हादसा है या किसी षडयंत्र के तहत हुई हत्या, यह एक जांच का विषय है।
बिल्कुल जर्जर भवन में संचालित टीओपी में पहले करीब 20 जवान तैनात थे। लेकिन एक दशक से जियाउल हक अकेले पदास्थापित थे।
उन्होंने कई बार अपने वरीय अधिकारियों से कुछ सहयोगी जवान देने की मांग कर रहे थे, लेकिन कभी बिहार थाना प्रभारी तक ने न तो उनकी समस्याओं की सुध ली और न ही कभी नीमगंज टीओपी का जायजा ही लिया।
इधर कुछ दिनों से कथित भू-माफिया नीमगंज टीओपी परिसर की जमीन पर कब्जा करने में जुटे थे। जिसका जियाउल हक विरोध कर रहे थे। दबी जुबान से ग्रामीण बू-माफियाओं के द्वारा एक सोची समझी षडयंत्र के तहत करंट लगा मार डालने और उसे हादसा करार देने की बात भी कर रहे हैं।
बहरहाल, हादसा या शाजिशन हत्या? यह तो खुद उनकी विभागीय पुलिस जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा। लेकिन नालंदा में जिस तरह से पुलिस टीओपी चलाये जा रहे हैं, वह एक बड़ा सबाल है। यहां कई ऐसे छोटे-बड़े पुलिस अफसर हैं, अपनी बीबीओं की सेवा से लेकर अपने घर-बार तक के नीजि कामों में जवानों को लगाये हैं।
बिहारशरीफ से लेकर पटना के अपने आलीशान आवासों में महज अपनी शान दिखाने की मंशा से तैनात किये हैं, वहीं टीओपी जैसे संवेदनशी पुलिस केन्द्रों पर अदद एक जमादार का पदास्थापन पुलिस प्रबंधन पर भी सबाल खड़ा करते हैं।