“बिहार के सीएम के गृह जिले नालंदा में शिक्षा सुधार-विकास को लेकर सरकार कितनी भी राशियां ही क्यों न लुटा दे, यहां के शिक्षकों-अफसरों की सरकारी स्कूलों के प्रति कर्तव्यहीनता का के आगे सब बेकार है।”
बिहारशरीफ (राजीव रंजन)। यह तस्वीर है राजगीर प्रखंड के बरनौसा पंचायत स्थित प्राथमिक विद्यालय बनौली की, जहां पदस्थापित एक पंचायत शिक्षक विनोद कुमार के पठन-पाठन के दौरान आराम फरमाने की एक बार नहीं दो-दो बार की तस्वीर देख सकते हैं।
स्कूल के ऐसे शिक्षक दीक्षा से इतर केवल कुर्सी पर बैठकर आराम फरमाता है और पढ़ न्यूज़ पेपर को अपने दिमाग में डालता है की उन नियोजित शिक्षकों का वेतन कब बढ़ रहा है। यदि वेतन नहीं बढ़ा तो फिर प्रदर्शन और धरना पर कब बैठेंगे या स्कूल से छुट्टी कब मिलेगी।
कुछ ऐसा ही हालत था शिक्षक विनोद के वर्ग कक्ष का। जिसमें बच्चे पीछे बैठकर ताश खेल रहे हैं और यह शिक्षक विनोद कुमार कुर्सी पर बैठकर पैर पर पैर चढ़ा कर आराम फरमा रहा हैं।
और एक्सपर्ट मीडिया न्यूज की कैमरे पर जब इस बेशर्म शिक्षक की नजर पड़ती है तो अचानक बच्चों खीस निकालते बोलना शुरू कर देता है, “कहे थे जो लिखा जी”
अब समझ सकते हैं कि ऐसे शिक्षक सामने ताश खेल रहे बच्चों को क्या लिखने को बोला होगा और बच्चों ने क्या क्या लिखा होगा।
आखिर सुशासन बाबू के नालंदा में ऐसे निकम्मे शिक्षक से नौनिहाल बच्चों का भविष्य कैसे तैयार होगा। शिक्षक वर्ग कक्ष में आराम करे और बच्चे वर्ग कक्ष में ही पीछे बैठकर ताश खेले!