“आज समूचे बिहार के ग्रामीण ईलाकों में किसानों के समक्ष खेत मजदूर की जटिल समस्या बन गई है। यदि सरकार के समक्ष इस समस्या से मनरेगा को जोड़ने का सुझाव मिला है तो उसे गंभीरता से अमली जामा जरुर पहनानी चाहिये”
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के ग्रामीण इलाकों में किसानों को खेती-बारी में मजदूरों के संकट को दूर करने में मनरेगा योजना के उपयोग की संभावना तलाश की जा रही है।
किसानों को मनरेगा योजना से कैसे लाभ दिलाया जा सके, इसको लेकर सीएम नीतीश कुमार ने एक अणे मार्ग में सभी जिलों से चयनित किसानों के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित किया था। किसानों से प्राप्त सुझाव के आधार पर राज्य सरकार द्वारा आगे की कार्रवाई करेगी।
साथ ही इससे नीति आयोग को भी अवगत कराया जायेगा। अस्वस्थता के कारण सीएम इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके।
विगत 17 जून को दिल्ली में संपन्न चौथे नीति आयोग की बैठक में सात मुख्यमंत्रियों की एक उप समिति बनायी गयी है। नीतीश कुमार भी इस उप समिति के सदस्य हैं।
सीएम ने किसानों के व्यापक हित को देखते हुए स्वयं किसान प्रतिनिधियों के साथ संवाद कर उनके सुझाव एवं मंतव्यों को प्राप्त करने के लिए संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया था।
कार्यक्रम में उपसीएम सहित संबंधित विभागों के मंत्री, प्रधान सचिव व सचिव के समक्ष किसानों ने अपने सुझाव दिये।
उप समिति को मनरेगा से जुड़ी जिन बिंदुओं पर सुझाव देने हैं, उसको लेकर किसानों से सुझाव लिये गये। जैसे कृषि कार्य में बुआई के पहले और कटाई के बाद मनरेगा के तहत किये जाने वाले कार्य को किस प्रकार कृषि से जोड़ा जा सकता है।
जल संचयन, जमीन लेवलिंग, वर्मी कंपोस्ट, मवेशी शेड का निर्माण, गोदाम का निर्माण, वृक्ष लगाना, ग्रामीण बाजार का निर्माण जैसे अन्य और कौन-कौन से कार्य किये जा सकते हैं।
इन बिंदुओं के आलोक में संवाद के दौरान 35 किसानों ने इस संबंध में सुझाव दिये। किसानों से अनुरोध किया गया कि यदि उनके कुछ अन्य सुझाव भी हों तो लिखित रूप में भी वे उपलब्ध करा दें।