बिहारशरीफ (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के सीएम नीतिश कुमार ने राज्य में जिस गंभीरता से बड़े पैमाने पर प्रशासनिक फेरबदल किया है, उसका असर उनके नालंदा जिले में भी साफ तौर पर देखा जा रहा है।
राजगीर के डीएसपी संजय कुमार को हटाकर उनके स्थान पर विशेष कार्य बल के पुलिस उपाधीक्षक श्री सोमनाथ प्रसाद का पदास्थापन किया गया है। डीएसपी संजय कुमार को डीएसपी महाराजगंज के पद पर रवाना कर दिया गया है।
वहीं हिलसा के डीएसपी प्रवीन्द्र भारती के स्थान पर विशेष सैनिक पुलिस-05 पटना के मो. मुतफिक अहमद का पदास्थापन किया गया है। श्री प्रवीन्द्र भारती को डीएसपी नवगछिया का पदभार दिया गया है।
नालंदा के प्रशासन में सबसे बड़ा फेरबदल राजगीर एसडीओ ज्योति लालनाथ शाहदेव को पद से हटाने को लेकर देखने को मिल रही है। उनके स्थान पर बेतिया (प.चं.) के जिला आपूर्ति पदाधिकारी श्री संजय कुमार को राजगीर, नालंदा का एसडीओ पद भार सौंपा गया है। श्री शाहदेव की सेवा मूल कोटि के संबंधित विभाग को वैरंग वापस कर दी गई है।
इसी तरह बिहारशरीफ अनुमंडल पदाधिकारी के पद पर गया जिला पंचायत राज पदाधिकारी श्री जनार्धन प्रसाद अग्रवाल को पदास्थापित किया गया है और एसडीओ सुधीर कुमारकी सेवा भी मूल कोटि के संबंधित विभाग को वैरंग वापस कर दी गई है।
बहरहाल, पदास्थापना और स्थानांतरण के इस ‘महाखेल’ में सबसे अधिक राहत राजगीर अनुमंडल की जनता को मिली है। वर्षों से राजगीर की पुलिस-प्रशासन पर कुंडली मार कर बैठे डीएसपी-एसडीओ से लोग उब चुके थे।
इन दोनों अधिकारियों पर हमेशा आरोप लगते रहे थे कि उनके समक्ष आम जनता के दुःख-दर्द कोई मायने नहीं रखते और वे हमेशा सफेदपोशों व दलालों के ईशारों पर अपने कर्तव्यों का अधिक निर्वाह करते रहे।
अपने कार्यकाल के दौरान सबसे अधिक रोचक व गंभीर चर्चाओं-सुर्खियों में राजगीर से स्थानांतरित हुये डीएसपी संजय कुमार रहे। उन्होंने चंद सफेदपोशों के हित में राजगीर की नीरिह जनता को कुचलते दिखे।
श्री कुमार के कार्यकाल की यह सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जायेगी कि वे राजगीर के डीएसपी कम और थाना प्रभारी की भूमिका के अधिक नजर आये। एक तरफ उन्हीं की कृपा से राजगीर थाना में फर्जी मुकदम दर्ज किये जाते और डीएसपी की हैसियत से बिना कोई जांच-पड़ताल के अपनी सुपरविजन में उसे ट्रू भी कर डालते। एसपी की आंखों में धूल झोंक उन्हें बरगलाना इनकी खास विशेषता रही।
विश्वस्त सूत्रों का दावा है कि डीएसपी संजय कुमार के कार्यकाल में अब तक रंगदारी मांगने के जितने भी फर्जी मुकदमें हुये हैं और बाद में उन्होंने ही सत्यापित कर लोगों को जम कर परेशान-भयभीत करने का कुचक्र रचा है, अगर उनकी गहराई से पड़ताल किये जाएं तो 99% मामले बेसिर-पैर के निकलेगें।
सरकारी आकड़ों के अनुसार शायद राजगीर के डीएसपी-एसडीओ इस मामले में समूचे प्रदेश में अव्वल रहेगें कि लोक जन शिकायत निवारण के 84 मामलों में लोक प्राधिकार के रुप में न तो कभी ये हजिर हुये और न ही इनका कोई अधिकृत प्रतिनिधि। जबकि सारे मामले सुशासन और विकास से जुड़े थे।
राजगीर एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल है। यहां एक बड़ा कारोबार पसरा है। यहां की भू-स्थल भी विभिन्न प्रकृति है। मलमास मेला सैरात भूमि, नगर विशेषण, प्रधिकार, आम गैरमजरुआ, भारतीय पुरात्तव एवं सर्वेक्षण विभाग, वन विभाग की जंगल-झाड़ भूमि आदि।
आरोप है कि उसे लेकर डीएसपी व एसडीओ द्वय ने समूचे राजगीर पर्यटन क्षेत्र को कामधेनू गाय समझ निचोड़ते रहे और एक बड़े काले कारोबार को संरक्षण देकर नामी-बेनामी करोड़ों की अकूत संपति अर्जित की है।
अब देखना है कि राजगीर में जो नये डीएसपी और एसडीओ आम जनता की उम्मीदों पर कितना खरा उतर पाते हैं, क्योंकि यहां फिलहाल स्थानीय स्तर के पुलिस-प्रसासन पर जिस तरह के सफेदपोश-तंत्र हावी है, वह दोनों के लिये एक बड़ी चुनौती होगी।