अन्य
    Sunday, November 24, 2024
    अन्य

      भू-माफियाओं के निशाने पर पुरातत्व विभाग की संरक्षित राजगीर अजातशत्रु स्तूप, पीएम से लगाई सुरक्षा की गुहार

      “इस ओर न तो जिला प्रशासन कोई ध्यान दे रहा है और न ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का कोई जिम्मेवार पदाधिकारी ही गंभीर नजर आ रहा है।”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा जिला स्थित अंतर्राष्टीय पर्यटन स्थल राजगीर भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित प्रक्षेत्र में व्यापक पैमाने पर छेड़छाड़ की जा रही है। अगर इसे तत्काल नहीं रोका गया तो वह दिन दूर नहीं कि अतिक्रमणकारी भू-माफिया उसे पूरी तरह लील जाये।rajgir admin land crime 3

      इस संबंध में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राजगीर में अजातशत्रु स्तूप और उसके आसपास की जमीन को अतिक्रमणकारियों से मुक्त करा उसे सुरक्षित रखने की मांग की है।

      उन्होंने पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री को वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए कहा है कि भारतीय पुरातत्व के संरक्षित क्षेत्र अजातशत्रु स्तूप के अलावे आसपास के जमीनों को भी भू-माफियाओं द्वारा कब्जा कर अवैध निर्माण किया जा रहा है जो पुरातत्व विभाग के नियम के खिलाफ है।

      उन्होंने कहा कि देश में अजात शत्रु एक मात्र स्तूप है, जिसे 1953 में राष्ट्रीय स्तूप घोषित किया गया था लेकिन अतिक्रमणकारियों द्वारा इसके अस्तित्व को मिटाने का कार्य किया जा रहा है।

      गौरवमयी धरोहर है राजगीर

       प्राचीन मगध साम्राज्य की राजधानी राजगृह (नालंदा) अनादि काल से अध्यात्म, साधना औऱ प्रेरणा की पवित्र भूमि रही है। इसे महात्मा बुद्ध और तीर्थकर महावीर की कर्म भूमि होने का गौरव प्राप्त है।rajgir admin land crime 4

      भगवान श्रीकृष्ण, पुरुषोतम श्रीराम, विश्वमित्रा, गुरुनानक देव और बाबा मखदूम साहब के चरण स्पर्ष से यह धरती गौरवान्वित हुई हैं। भागवान ब्रह्मा के पौत्र राजा बसु ने इस नगर को बसाया था। उस समय राजगृह का नाम बसुमतिपुर था।

      संस्कृति और अध्यात्म की इस धरती पर मलमास मेला (पुरुषोतम मास) का आयोजन कब से हो रहा है, इसकी सही जानकारी अज्ञात है। लेकिन हिन्दु धर्म ग्रंथों के आलावे जैन और बौद्ध साहित्य में इसका वर्णन मिलता है।

      उससे स्पष्ट होता है कि राजगीर का सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक मलमास मेला अनादि काल से लगते आ रहा है। आस्था और अध्यात्म के इस विराट मेले में देश-विदेश के कोने-कोने से श्रद्धालु भारी तादात में पधारते हैं।

      समूचे भारत वर्ष में केवल राजगीर में ही प्रत्येक तीन साल में मलमास मेला का आयोजन किया जाता है। इसे पुरुषोतम मास के नाम से भी जाना जाता है।rajgir admin land crime 1

      हिन्दू मान्यता है कि इस दौरान 33 कोटि देवी-देवता राजगीर पधारते हैं और एक मास तक प्रवास करते हैं। कहना गलत न होगा कि मलमास मेला के दौरान राजगीर बैकुंठधाम बन जाता है. चारो तरफ यज्ञ, हवन और धार्मिक प्रवचन होते रहते हैं।

      लेकिन अत्यंत दुर्भाग्य की बात है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षित अजात शत्रु स्तूप की जमीन एवं उसके आसपास अतिक्रमण कर तरह-तरह के निर्माण कार्य एवं दुरुपयोग किया जा रहा है।

      इधर सूचना है कि राजगीर मलमास मेला में थियेटर आदि लगाने के लिये अजात शत्रु स्तूप को भी नहीं वख्शा जा रहा है। उसे निशाना बनाते हुये बिना विभागीय अनुमति गहरी खुदाई व निर्माण किये जा रहे हैं।

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!