एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। नालंदा जिला प्रशासन की अधिकृत फेसबुक पेज District Administration, Nalanda पर “बापू के संदेशों को जन जन तक पहुंचा रहा गाँधीरथ ” शीर्षक से जारी सूचना के साथ जो फोटो संलग्न किये गये हैं, वे जहां गांधी जी के ही स्वच्छ भारत की परिकल्पना का मजाक उड़ा रही है।
संलग्न फोटो से साफ स्पष्ट है कि मासूम स्कूली बच्चों को कूड़े-कचरे के ढेर पर बैठाते स्कूल के शिक्षकों या गांधी जी के व्यक्तित्व-विचारों का प्रसार-प्रसार करने वाली टीम को कोई शर्म महसूस नहीं होती।
District Administration, Nalanda नामक फेसबुक पेज पर बताया गया है कि……
चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के संदेशों को ऑडियो विजुअल सुविधा से युक्त दो-दो गांधी रथ के माध्यम से जिला में जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है।
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के द्वारा जिला के प्रत्येक पंचायत में चयनित पांच जगहों पर गांधी रथ के माध्यम से फिल्म का प्रदर्शन किया जा रहा है।
महात्मा गांधी के संपूर्ण जीवन उनके अफ्रीका प्रवास एवं भारत में स्वतंत्रता आंदोलन में किए गए संघर्ष तथा उनके आदर्श व संदेशों पर आधारित डेढ़ घंटे की फिल्मों के माध्यम से लोगों को प्रेरित किया जा रहा है कि वह बापू के बारे में जानें और उनके बताए मार्ग का अनुसरण करें।
गांधीजी के जीवन दर्शन एवं संदेशों की प्रसांगिकता दिनोदिन बढ़ती जा रही है। सरकार द्वारा उनके संदेशों को गांव गांव तक पहुंचाया जा रहा है। युवा पीढी इससे ज्यादा लाभांवित हो रही है।
नालंदा जिला में अब तक गांधी रथ के द्वारा बिहार शरीफ, सिलाव, सरमेरा, विंद, रहुई, नूरसराय, राजगीर अस्थावां, कतरी सराय, परवलपुर ,गिरियक एवं वेन में फिल्म प्रदर्शन का काम पूरा हो गया है। एकंगरसराय एवं इस्लामपुर में फिल्म प्रदर्शन अभी चल रहा है।
स्थानीय प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं साक्षरता विभाग के समन्वयक के देखरेख चल रहे इस फिल्म प्रदर्शन में काफी लोगों की सहभागिता हो रही है एवं लोग लाभांवित भी हो रहे हैं।
दरअसल, सरकार की योजनाओं-नीतियों के प्रचार प्रसार पर समूचे प्रदेश में लाखों-करोड़ों का वारा-न्यारा किया जाता है। जिला स्तर के अधिकारी खासकर सूचना एवं जन संपर्क विभाग के पदाधिकारी इसमें खुले तौर पर संलिप्त होते हैं। चूकि मीडिया भी इस खेल में उपकृत होती है, उसके नुमाइंदे भी इस पर गंभीरता नहीं दिखाते।
नालंदा जिला की बात तो काफी निराली है। यहां का सूचना एवं जन संपर्क विभाग में खुली लूट है। सरकार की सनक भरी नीतियों में पदस्थ जिम्मेवार लोग महज कोरम पूरा कर फर्जीबाड़ा करने में मशगुल दिखते हैं। अगर जांच की जाये तो हर वर्ष एक बड़ी राशि की बंदरबांट का खेला यूं ही उजागर हो जायेगा।