अन्य
    Sunday, November 24, 2024
    अन्य

      शरद की महापंचायत के निशाने पर होगी नीतिश की महादलित राजनीति

      पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। भारतीय लोकतंत्र में प्रखर आंदोलनकारी नेता जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया को आदर्श मानने वाले वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव आगामी 31 जनवरी को बक्‍सर के नंदन गांव में महापंचायत लगायेगें।

      nitish kafila 1नंदन गांव तब अचानक सुर्खियों में आ गया था, जब विकास पुरुष और सुशासन बाबू कहे जाने वाले सीएम नीतिश कुमार की विकास समीक्षा यात्रा के काफिले पर भारी पथराव किया गया।

      वेशक इस घटना के बाद पुलिस-प्रशासन और सत्तारुढ़ जनप्रतिनिधि की ओर से एक तरफा कार्रवाई की गई। एक ओर जहां कथिक हमलावर दलित वर्ग की महिलाओं, बच्चों व पुरुषों को चुन-चुन कर बेरहमी से मारा-पीटा गया, वहीं प्रतिहिंसा करने वाले पुलिस-प्रशासन और स्थानीय विधायक व उसके गुर्गों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

      फिलहाल, सीएम नीतीश कुमार के काफिले पर हमले के आरोप में कई दर्जन लोग जेल में बंद हैं। सीएम के निर्देश के बाद भी जो निर्दोष बताये जा रहे हैं, उनके छोड़े जाने का मार्ग प्रशस्‍त नहीं हुआ है।police crime mla dadan police crime 1

      आश्चर्य की बात है कि पटना प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर और आईजी नैय्यर हसनैन खां अपनी टीम के साथ जांच करने गये थे। उन्होंने जांच में क्या पाया और उन्होंने सरकार को क्या रिपोर्ट दी, इसका खुलासा नहीं हो सका है। लेकिन उनके जांच के बाद भी पुलिस प्रशासन द्वारा एकतरफा कार्रवाई होती रही।

      हमलावरों की हिंसक प्रवृति के बाद एक खास वर्ग के लोगों को टारगेट किया गया। पुलिस वाले के साथ स्थानीय विधायक की गुंडागर्दी के वीडियो शोसल साइट पर खूब वायरल भी हुये।

      सबाल उठता है कि शासन-प्रशासन की हिंसा बाद प्रतिहिंसा और टारगेट दमनकारी प्रवृति को सुशासन का कौन सा स्वरुप मानी जाये।

      नंदन गांव की राजनीति में हमले के बाद सबसे पहले जाप सांसद पप्‍पू यादव पहुंचे थे। वे बक्‍सर जेल में बंदियों को कंबल- खाना भी पहुंचा आए। फिर तेजस्‍वी यादव नंदन गांव गए, जहां उनका स्‍वागत फूलों से किया गया।

      बकौल अली अनवर और अर्जुन राय सरीखे नेता, पुलिस ने नंदन गांव में जुल्‍म की सारी हदें पार कर दी। सीएम के काफिले पर भी अटैक के दिन गांव के लोगों की इच्‍छा सिर्फ नीतीश कुमार से मिलने की थी। समस्‍या बताना चाहते थे। कागज का विकास दिखाना चाहते थे। पर इन्‍हें रोकने को स्‍थानीय विधायक और मुखिया ने पुलिस की मौजूदगी में मारपीट की। फिर इसके बाद महादलितों में गुस्‍सा बढ़ गया।

      उस हमले के बाद बक्‍सर पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई अंग्रेजों के जुल्‍म की तरह दिखी। रात को गांव में रेड किया गया। जो मिला, सबों को दबोच लिया गया। महिलाओं की गिरफ्तारी बगैर महिला पुलिसकर्मी की मौजूदगी में हुई।

      शायद इस जुल्‍म-ज्यादती के खिलाफ शरद यादव 31 जनवरी की महापंचायत में आगे की लड़ाई का एलान करेंगे। उनके द्वारा नंदन गांव की घटना को लेकर नीतीश कुमार की महादलित राजनीति भी उंगली उठानी स्वभाविक है।

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!