“यह तस्वीर सिर्फ एक स्वास्थ्य केंद्र की नहीं है, अधिकांश स्वास्थ्य केंद्र में ऐसा ही हालात है। कहीं तो स्वास्थ्य केंद्र का अपना भवन तक नहीं है और यदि भवन है तो उसमें आवश्यक उपकरण और आवश्यकतानुसार प्रतिनियुक्ति नहीं है।“
बिहार शरीफ (राजीव रंजन)। राज्य सरकार अपने बजट का 20% स्वास्थ्य पर खर्च करती है। इसके बावजूद यहां के अस्पतालों और ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्रों की हालात गौशाला से भी बदतर जैसी हो गई है।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा के सरमेरा प्रखंड से एक ऐसी शर्मनाक तस्वीर देखने को मिल रही है, जहां स्वास्थ्य उप केंद्र पूर्णता सरकारी कार्यालय का रूप धारण कर लिया है।
यह तस्वीर उस जिले की है जहां पिछले चार साल से डीएम त्यागराजन कमान संभाले हुए हैं। यह तस्वीर उस विधानसभा क्षेत्र अस्थामा की है, जहां पिछले 13 सालों से विधायक डॉ जितेंद्र कुमार है।
यह तस्वीर है सरमेरा प्रखंड के गोपालबाद गांव की है, जहां स्वास्थ्य उप केंद्र का भवन जर्जर अवस्था में है।
ग्रामीणों की माने तो इस स्वास्थ्य उप केंद्र में कब लोग आते हैं और कब चले जाते हैं किसी को कुछ पता तक नहीं चलता है। मगर यहां पर प्रतिनियुक्त कर्मचारी अपनी उपस्थिति को दिखाकर सरकारी राशि से अपने घर परिवार को चला लेते हैं।
मगर उन गरीब असहाय मरीज लोग जिन्हें कभी सर दर्द, पेट दर्द का दवा दिन में भी लेने की आवश्यकता पड़ती है तो वह उसी गौशाला को देख कर संतुष्ट हो लेते हैं और अपने कदम को सरमेरा की ओर बढ़ा देते हैं।