एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। “सबसे खतरनाक वो दिशा होती है,जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए,और जिसकी मूर्दा धूप का कोई टुकड़ा, आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए” क्रांतिकारी कवि पाश की कविता आज नालंदा की उस घटना के संदर्भ में याद किया जा सकता है कि पहले आत्मा मरे या इंसानियत । हम भीड़ तंत्र का हिस्सा बन कर उस घटना में शामिल हो जाते है। जहाँ मानव नहीं पशुता का बोध होता है।
यह एक सवाल है, जहाँ नालंदा में एक घटना घटती है- एक व्यक्ति जो बिना पूछे घर के अंदर चला जाता है। उसके इस हिमाकत से घर के लोग नाराज हो जाते हैं । कुछ लोगों को बुलाया जाता है। जिसमें पंचायत के मुखिया भी होता है और शुरू होती है उसकी उपस्थिति में एक शर्मनाक घटना ।
नालंदा के नूरसराय प्रखंड के अजनौरा गाँव में दो दिन पूर्व गाँव के एक व्यक्ति महेश ठाकुर, जो शायद खैनी मांगने के लिए सुरेन्द्र यादव के घर बेहिचक पहुँच जाते है। लेकिन घर में महिलाएँ होती है। बाद में घर के पुरुष सदस्यों को जब जानकारी मिलती है कि महेश ठाकुर बिना आवाज लगाएँ घर के अंदर घुस जाता है तो उन्हें यह नागवार लगता है।
हालांकि महेश ठाकुर इस तरह कोई पहली बार सुरेन्द्र यादव के घर नहीं गया था। उसके पहले भी हमेशा जाता रहा है। गांव वाले दबी जुबान बताते हैं कि कुछ गंदी मानसिकता के लोग सुरेन्द्र यादव के दिमाग में यह कचरा भर दिया कि महेश ठाकुर उसके घर गंदी नीयत से बार-बार जाता है। यही कचड़ा सुरेन्द्र के दिमाग में गंध भर गया।
इसके बाद उसने महेश ठाकुर को अपने पास बुलाया और जब उसकी भड़ास से प्यास नहीं बुझी तो पंचायत अजयपुर पंचायत के मुखिया दयानंद मांझी को बुलाया। मुखिया की आड़ में पहले से मंशा बनाये गांव के कतिपय लोगों ने धर्मेन्द्र यादव के घर भीतर महेश ठाकुर को मनमाफिक पड़ताड़ित करने में जुट गये।
मुखिया भी इस बिना पर पहुंचा कि चुनाव में यादव लोग उसका समर्थन करते हैं और ठाकुर यानि नाई जाति के लोग चुनाव में उसे वोट नहीं करते। महेश ठाकुर ने भी वोट नहीं दिया था।
सुरेन्द्र यादव के घर के अंदर जुटे लोग महेश ठाकुर से कहते है कि कसम खाओ कि आज के बाद बिना पूछे, किसी के घर के अंदर मत घुसना। दूसरे की माँ -बहन को अपनी मां बहन समझना। बेचारा लोगों से घिरा यह सब बातें मान लेता है। लेकिन लोगों को इससे भी संतोष नहीं मिलता है। कुछ लोग उसे थूककर चाटने को बोलते हैं । डरा -सहमा महेश ठाकुर यह भी कर लेता है।
लेकिन मामले का पटाक्षेप यहां भी नहीं होता है। कुछ लोग घर की एक महिला को उसे चप्पल से पीटने को बोलते हैं। महिला थोड़ी हिचकती है। लेकिन लोगों के दबाव में वह महेश ठाकुर को चप्पल से पीटती है।
यही नहीं, लोग महेश ठाकुर को उसकी पत्नी के हाथों भी चप्पल से मारने का फरमान जारी करते हैं । बेचारी रोते हुए अपने पति को दो-चार चप्पल दे देती है।
इन सारी घटनाओं को कुछ लोग अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर रहे थे। बाद में उसे वायरल कर देते हैं। जिसे कुछ मीडिया वाले लपक लेते हैं । बिना घटना की हकीकत जाने वायरल वीडियो को खबर बनाकर परोस दिया जाता है। इस पूरे घटना की जानकारी न तो स्थानीय चौकीदार को होती है और न ही नूरसराय थाना पुलिस को।
पुलिस प्रशासन को घटना की जानकारी मीडिया में खबर आने के बाद होती है। इस पर भी एसपी कहते हैं अगर पीड़ित आवेदन देता है तो कार्रवाई की जाएगी। लेकिन जब मामला राजनीतिक तूल पकड़ लेता है तो मजबूरन जिला प्रशासन को मामले का संज्ञान लेना पड़ता है। आठ लोगों पर पुलिस केस दर्ज करती है। पीड़ित महेश ठाकुर को सुरक्षा देने की बात करती है। आरोपियों की धड़-पकड़ जारी है।
नालंदा डीएम के निर्देश पर बिहारशरीफ एसडीओ ने मामले की जांच की इस घटना में आठ लोगों को चिहिंत किया गया है। जिनमें धर्मेन्द्र यादव, रामवृक्ष यादव, अरूण महतो, दयानंद मांझी, रामरूप यादव, संजय यादव तथा राजेन्द्र पंडित के खिलाफ नूरसराय थाना में कांड संख्या 223/17 दर्ज किया गया है।
इधर नालंदा एसपी ने स्वयं नूरसराय थाना पहुँच कर पीड़ित महेश ठाकुर से मुलाकात की तथा घटना की जानकारी ली। एसपी ने पीड़ित को आश्वासन दिया कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इधर पुलिस जांच में धर्मेन्द्र यादव के घर पर हुई, इस घटना में सरपंच की भूमिका साबित नही हुई।
इधर इस घटना ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेम चंद्र मिश्रा का बयान आया है कि नालंदा और खगडिया में इस तरह की घटनाएँ बीजेपी से हाथ मिलाने के बाद बढ़ गई है। नालंदा में सिपाही से लेकर बड़े अधिकारी तक सब नीतीश कुमार के लोग है । ऐसे में कार्रवाई किस पर होगी।
बहरहाल, वायरल वीडीओ देखने से साफ पता चलता है कि एक सोची समझी रणनीति के तहत घटना को अंजाम दिया गया है। मोबाइल से रिकार्डिंग करने वाले की साफ आवाज आती है कि ” जल्दी करो नहीं तो गड़बड़ हो जायेगा “।
वीडियो को देखने से और भी कई ऐसी बातें सामने आती है, जो पूरे मामले को और खासकर इस मामले को मिर्च-मसाले के साथ जुड़े परोसने वालों की भूमिका संदिग्ध बना जाती है।
पुलिस-प्रशासन ने 8 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिये हैं। लेकिन वीडियो में करीव डेढ़ दर्जन लोग साफ दिख रहे हैं। क्या पुलिस-प्रशासन के लोगों ने वायरल वीडियो अब तक नहीं देखी है? अगर देखी है तो फिर सिर्फ 8 के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश क्यों?
सबसे बड़ी बात यह कि वीडियो को वायरल किसने किया। वह भी शासन-प्रशासन के लोगों को कोई भनक के पहले मीडिया के लोगों तक पहले कैसे पहुंच गई। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि कतिपय मीडिया से जुड़े लोग भी ऐसी घटनाओं को प्लांट करने में महती भूमिका निभाते हैं।
पुलिस-प्रशासन को इस बात की गहराई से जांच करनी चाहिये कि वीडियो बना कर किसने वायरल किया और उसके पीछे उसकी मंशा क्या रही?