एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (मुकेश भारतीय) । झारखंड की रघुबर सरकार ने एक हजार दिन पूरे कर लिये। इसका राष्ट्रव्यापी प्रचार-प्रसार हुआ। अखबारों में जमकर विज्ञापन छपे। समाचार चैनलों पर प्रायोजित खबरों का कोई सानी न रहा। प्रायः मीडिया हाउस के संपादक-मालिकों ने अपने धंधे पर खुल कर सरकारी ‘जीएसटी’ वसुले।
सच पुछिये तो रंग-बिरंगे नारों, दावों और वादों से समूचे झारखंड के चौक-चौराहों को होर्डिंग, पोस्टर, बैनरों से पाट दिया गया। इस दौरान सरकार की महिमा मंडन में चहुंओर आम जनता की करोड़ों-अरबों की गाढ़ी कमाई के खजाने का सरेआम मुंडन देखने को मिला।
बहरहाल, इस तस्वीर को देखिये। जो झारखंड में सुशासन और विकास की सच्चाई बयां कर रही है। यह रातू रोड चौराहा की तस्वीर है, जो राजधानी रांची का एक अहम चौक मानी जाती है। यहां से हर वीआईपी गुजरते हैं। सीएम, गवर्नर का सफर मार्ग भी अमुमन यही होता है। मंत्री-संत्री, सांसद-विधायक, आला अफसरान के क्या कहने। सबकी नजरें यहां इनायत होकर ही गुजरती है।
इस चौराहे के चारो ओर सुशासन के 1000 दिन के बड़े-बड़े होर्डिंग लगे हैं। पीएम मोदी जी के साथ अपना सीएम रघुबर साहब भी उस पर खूब खिल रहे हैं। लेकिन यहां जरा ट्रैफिक व्यवस्था का आलम देखिये। कोई नहीं मिलेगा। आखिर वे रहें भी तो कहां और कैसे, उनका पुलिस स्टैंड ही धाराशाही होने के कगार पर है। वह कभी भी गिर सकता है, एक बड़ा हादसा का नामजद अभियुक्त बन सकता है।
इस रातू रोड चौराह पुलिस स्टैंड पोस्ट की यह बदनसीबी ही कही जायेगी कि मोमेंटम झारखंड के दौरान हजारों करोड़ से सजी संवरी राजधानी रांची का यह हिस्सा न बन सका। उम्मीद थी कि रघुबर सरकार के 1000 दिन के सुमौके पर इसकी सुध कोई न कोई जरुर लेगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो सका।