“डा. दास का 20 दिन बाद भी कोई सुराग नहीं, गिरिडीह में हुआ था अपहरण, अपहर्ताओं ने मांगी है पांच करोड़ की फिरौती राशि, उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक से लगा चुके गुहार, अब बिहार के सीए नीतीश कुमार और झारखंड के सीएम रघुबर दास से मिलेंगे अपृह्त के परिजन”
पटना से विनायक विजेता की रिपोर्ट….
बीते 23 अगस्त को झारखंड के गिरिडीह के डुमरी के पास से अपृह्त उड़ीसा के पशु चिकित्सक सह पशु दाना बनाने के ऐ बड़े व्यवसायी मानस रंजन दास का अब तक कोई सुराग न तो झारखंड पुलिस को मिल सका है न ही बिहार पुलिस को।
शुरुआती जांच में गिरिडीह पुलिस उनके अपहरण में बिहार के ही किसी बड़े अपहर्ता गिरोह का हाथ होने का दावा कर बिहार पुलिस से मदद मांगी थी पर अबतक न तो अपृह्त का कोई सुराग मिल सका है और न ही अपहर्ताओं का।
बताया जाता है कि अपहर्ताओं ने उनके परिजनों से पांच करोड़ रुपये फिरौती की मांग की है। मानस का अपहरण उस वक्त कर लिया गया था, जब वह बीते 23 अगस्त को बिहार के वैशाली जिला मंख्यालय हाजीपुर से अपने धर भुनेश्वर के लिए अपनी मर्सिडीज कार (ओ आर 09पी-9999) से चले थे।
मानस रंजन का हाजीपुर औद्योगिक प्रांगन में पशु आहार बनाने का एक प्लांट लगा है। उन्हें धनबाद-कोलकाता के रास्ते भुनेश्वर जाना था पर 23 को देर रात्री उनकी कार डुमरी के पास लावारिश हालत में पाई गई।
बताया जाता है कि एक स्कार्पियो पर सवार अपहर्ताओं जिनमें दो पुलिस की वर्दी में थे ने उनका अपहरण कर लिया। तब सड़क के किनारे मानस के लावारिश खड़ी कार से पुलिस को एक टेलीविजन सेट, डीश इक्यूपमेंट, गैस के दो सिलेन्डर व एक चुल्हा भी मिला था।
अब सवाल यह है कि आखिर मानस को इन सामानों को हाजीपुर से सैकड़ों मील दूर स्थित भुनेश्वर ले जाने की क्या जरुरत पड़ी। कहीं ऐसा तो नहीं कि मानस को पूर्व में कोई धमकी मिली हो और डर से वो हाजीपुर स्थित अपना प्लांट बंद करने का निश्चय कर वहां जरुरत के सामानों को वहां से पूर्व में ही हटा देने का निश्चय कर हाजीपुर से निकले हों।
शुरुआती दौर में झारखंड पुलिस द्वारा इस अपहरण में बिहार के रामा सिंह गिरोह का हाथ होने की आशंका व्यक्त की जा रही थ, जिनका नाम पहले भी कई अपहरण कांडों में आ चुका है।
एक चर्चित अपहरण मामले में वो काफी दिनों तक एक दूसरे राज्य के जेल में रहने के बाद कुछ माह पूर्व ही जमानत पर रिहा हुए हैं। इस मामले में हाजीपुर के के एक कुख्यात अपराधी सह अपहर्ता गिरोह का सरगना चंदन सोनार की संलिप्तता की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि साढ़े तीन वर्ष पूर्व बिहार के ही अपराधियों ने गुजरात क एक बड़े व्यवसायी हनीफ हिंगोरा के पुत्र सुहैल हिंगोरा का दमन से अपहरण कर लिया था और उसे छपरा जिले के एक गांव में बंधक बनाकर अपहर्ताओं ने उसके पिता से हाजीपुर में 9 करोड़ रुपये की राशि वसूल करने के बाद उसे छोड़ा था।
तब हनीफ हिंगोरा ने यह आरोप लगाया था कि उनके बेटे के अपहरण कांड को बिहार के राजनेताओं और अपराधियों का एक नेक्सस ने अंजाम दिया। मानस रंजन दास का अपहरण भी सुहैल हिंगोरा अपहरण से मिलता-जुलता है।
इसलिए यह आशंका व्यक्त किया जाना लाजिमी है कि कहीं मानस का अपहरण भी उसी गिरोह ने तो नहीं किया जिसने सुहैल हिंगोरा अपहरण कांड को अंजाम दिया था। इसमें कहीं यह दो राय नहीं कि मानस अपहरण की लाइजनिंग करने वाला स्थानीय अपराधी है जो मानस के हाजीपुर से निकलने और उनक मुवमेंट की हर खबर अपहरण की ताक में लगे अपने साथियों को पल-पल दे रहा था। संभव है अपहर्ता हाजीपुर से ही मानस की गाड़ी के पीछे लगे हों।
हाजीपुर से गिरिडीह तक कई टॉल टैक्स सेंटर हैं, अगर पुलिस इन सभी टॉल टैक्सों पर लगे सीसीटीवी का उस दिन का फुटेज खंगाले तो संभव है पुलिस को कुछ सुराग मिल जाए। इधर अपृहत मानस की मां शंकुतला मिश्रा और पत्नी डॉली दत्ता का रो-रोकर बुरा हाल है।
मानस की मां और पत्नी पिछले 28 अगस्त को उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के पास भी अपने बेटे की सकुशल बरामदगी के लिए गुहार लगा चुकी हैं।
अब वह दोनों जल्द ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास से मिलकर अपने बेटे की शकुशल बरामदगी के लिए गुहार लगाने वाली हैं।