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    Sunday, November 24, 2024
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      डीएम साहब, ऐसे बनेगा नाली तो कैसे बहेगा पानी ?

      “यहां लगभग हर पंचायत की कमोवेश यही कहानी है। इस कार्य में लगे हर कोई  सरकारी राशि हड़पने  में जुटे हैं। पंचायत प्रतिनिधियों और संबंधित विभागीय अफसरों की मिलिभगत ने मुख्यमंत्री 7 निश्चय योजना को लूट-खसोंट परियोजना में तब्दील कर दी है।”

      चंडी (संवाददाता)। मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना में शामिल है हर घर को नाली और पानी उपलब्ध कराना। इस अभियान को लेकर सूबे के हर पंचायत के सभी वार्ड में नाली और पानी का प्रबंध करने की प्रक्रिया जोर शोर से चल रही है ।

      मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना में नाली और शौचालय के निर्माण को लेकर मुखिया और सरकार में ठन भी गई। सरकार ने मुखियों से यह कार्य न करा कर इसकी जिम्मेदारी वार्ड सदस्यों को दे दी गईं । इसके बाद भी शौचालय और नाली निर्माण के लिए मुखिया वार्ड सदस्यों को राशि ही हस्तांतरण नही कर रहे थे।

      इस पर डीएम के सख्त आदेश और पंचायत सचिवों पर केस की धमकी के बाद पैसा वार्ड सदस्यों के खाते में ट्रांसफर हुआ। कहीं-कहीं मुखिया और वार्ड सदस्य घालमेल कर इस कार्य योजना की गति को बढ़ा रहे हैं। वही कई पंचायतों में बिचौलिए ही काम कर रहे हैं।

      mukhiya cruption in nalanda dmनालंदा जिले के चंडी प्रखंड में भी नाली और शौचालय निर्माण में भ्रष्टाचार की बू आ रही है। महकार पंचायत में दो महीने पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष के निरीक्षण में  ग्रामीण महिलाओं ने शिकायत की थी कि जो नाली बनाया जा रहा है। उसमें न तो ठीक से पानी बह सकता है और न ही इसका सही निर्माण हुआ है। 

      चंडी पंचायत का एक गाँव है गुंजरचक। इस गाँव के वार्ड संख्या 14 में नाली निर्माण का कार्य चल रहा है। घटिया नाली निर्माण कार्य को लेकर कल गाँव के कुछ लोगों ने इसका विरोध किया। घटिया निर्माण कार्य की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी वायरल हुईं।

      बताया जा रहा है कि जहाँ निर्माण हो रहा है वहाँ न तो पहले नाली की जरूरत थी और न अब। और जहां जरुरी है, वहां बनाया नहीं जा रहा है।

      ग्रामीणों ने सोशल मीडिया के माध्यम से शिकायत की कि नाली निर्माण में जिस बालू का उपयोग हो रहा है उस बालू में तीस प्रतिशत मिट्टी की मिलावट है। सोलिंग में भी पुरानी ईटों को ही खपाया जा रहा है।

      ग्रामीण कहते हैं कि जो ईट लगाई जा रही है, उन ईटो को चार नम्बर कहना भी ईटों के लिए अपमान होगा। कही कहीं पांच इंच से भी कम ईंट लगाया गया है। नाली निर्माण के दौरान उसकी मजबूती के लिए कभी  पानी ही नहीं दिया गया ।

      गाँव वाले के विरोध के बाद मुखिया के पति पहुँचे। उन्होंने गाँव वालों को समझाया। कहा कि नाली निर्माण के लिए बहुत कम पैसा आया है। जो काम हो रहा है वह काम होने दीजिए।

      हालांकि यहां पर यह बता दें कि किसी भी सरकारी योजना के क्रियान्वयन के पहले कार्य स्थल पर योजना का नाम, योजना मद की राशि, कार्य संवेदक आदि का उल्लेखपट्ट होना जरुरी है, लेकिन ग्रामीण स्तर पर पंचायत प्रधिनिधियों द्वारा कहीं भी पालन नहीं किया जाता है। विभागीय अधिकारी भी इस पर ध्यान नहीं देते, ताकि उनकी कमीशनबाजी की पोल न खुल जाये। 

      अब सवाल यह है कि मुखिया पति अनुसार कम पैसा सिर्फ इस वार्ड के लिए आया है। या पूरे पंचायत के लिए। अगर पैसा सही में कम आया है और उस अनुसार काम हो रहा है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि वार्ड में आखिर कैसा नाली निर्माण हो रहा होगा। अगर यह नाली बन भी गया तो कब तक पानी बहेगा। सोचने वाली बात है आखिर ऐसे बनेगा नाली तो कैसे बहेगा पानी ?

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