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जैव विविधता विरासत स्थल बनी हजारीबाग की कनहरी पहाड़ी

हजारीबाग (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। प्रकृति के अनमोल रत्नों से लबालब भरी हजारीबाग की कनहरी पहाड़ी अब झारखंड के नक्शे पर एक नया अध्याय जोड़ चुकी है। राज्य सरकार ने इस प्राचीन पहाड़ी क्षेत्र को देश के जैव विविधता अधिनियम के तहत ‘जैव विविधता विरासत स्थल’ घोषित कर दिया है।Hazaribagh Kanhari hill becomes biodiversity heritage site 2

यह झारखंड का पहला ऐसा स्थल है, जो न केवल स्थानीय निवासियों के लिए गर्व का विषय बनेगा, बल्कि पर्यावरण प्रेमियों के लिए भी एक नई उम्मीद की किरण साबित होगा। अधिसूचना जारी होते ही कनहरी के घने जंगलों में एक नई ऊर्जा का संचार हो गया है, जहां दुर्लभ जानवरों की दहाड़ और रंग-बिरंगी तितलियों की उड़ान अब कानूनी सुरक्षा के पंख पा चुकी है।

झारखंड स्थापना दिवस के अवसर पर पहाड़ी की तलहटी में जैव विविधता पार्क का शुभारंभ भी किया गया, जो इस क्षेत्र को पर्यटन और शिक्षा का केंद्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। कनहरी पहाड़ी हजारीबाग जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर स्थित है। यह तीन ओर से घने जंगलों से घिरी हुई है। उत्तर, दक्षिण और पूर्व दिशाओं में फैले 2110.67 एकड़ के विशाल वन क्षेत्र को मिलाकर यह विरासत स्थल तैयार किया गया है।Hazaribagh Kanhari hill becomes biodiversity heritage site 3

यहां एक अनोखी जैविक दुनिया सखुआ के विशालकाय वृक्षों की छांव में छिपी है। यहां संकटग्रस्त प्रजातियां जैसे लकड़बग्घा (हाइना), वज्रकीट (स्कॉर्पियन), साहिल (एक दुर्लभ सरीसृप), अजगर की लंबी लटकती पूंछें, जंगली खरगोशों के छिपने के अंधेरे गड्ढे, नेवले की चंचलता, आईबीस पक्षी की कृकृति और दो प्रजातियों के गिद्धों की उड़ान आम है। इसके अलावा सैकड़ों छोटे-मोटे कीट, रंगीन तितलियां और विविध मकड़ियों की प्रजातियां इस जंगल को एक जीवंत कैनवास बना देती हैं।

वनस्पति जगत यहां भी कमाल का है। मुख्य रूप से सखुआ के पेड़ों से आच्छादित यह क्षेत्र दुर्लभ प्रजातियों का खजाना है। काला शीशम की मजबूत जड़ें, पियार (चिरौंजी) के मीठे फल, बिजा साल की अनोखी बनावट और सलई के औषधीय गुणों वाले वृक्ष यहां बचे-खुचे हैं। ये पेड़-पौधे न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखते हैं, बल्कि स्थानीय आदिवासी समुदायों की आजीविका का आधार भी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और मानवीय हस्तक्षेप के दौर में यह विरासत स्थल झारखंड की जैव विविधता को बचाने का एक मजबूत किला साबित होगा।Hazaribagh Kanhari hill becomes biodiversity heritage site 4

इस विरासत स्थल का विस्तार सदर प्रखंड के आठ गांवों को जोड़कर किया गया है। पुंडरी (457.31 एकड़), सिंदूर (200.30 एकड़), कोर्रा (24.26 एकड़), जबरा (293.83 एकड़), सिंघानी (32.30 एकड़), जगदीशपुर (872.7 एकड़), टूटी (82.15 एकड़) और करवे कला (148.35 एकड़)। कुल मिलाकर 1671 एकड़ संरक्षित वन क्षेत्र और 439.49 एकड़ रिजर्व फॉरेस्ट इस स्थल का हिस्सा हैं, जो पूर्वी वन प्रमंडल के अधीन आता है।

यह घोषणा हजारीबाग के पूर्व पदस्थापित अधिकारियों द्वारा किए गए जैविक विविधता आकलन पर आधारित थी, जिसे सरकार को प्रस्ताव के रूप में भेजा गया था। अब झारखंड बायोडायवर्सिटी बोर्ड स्थानीय निकायों और जैव विविधता प्रबंधन समिति के सहयोग से संरक्षण कार्यों को गति देगी। अधिनियम के तहत यह स्थल शासित होगा, जिससे अवैध कटाई, शिकार और अतिक्रमण पर सख्ती बढ़ेगी।Hazaribagh Kanhari hill becomes biodiversity heritage site 5

प्रधान मुख्य संरक्षक वन अधिकारी संजीव कुमार कहते हैं कि अब कनहरी की जैविक और वानस्पतिक विविधता का सही प्रबंधन संभव हो पाएगा। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण की पहल है, बल्कि स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने का माध्यम भी बनेगी।  उनके अनुसार आने वाले दिनों में पार्क के माध्यम से जागरूकता अभियान और इको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे युवा पीढ़ी प्रकृति से दोबारा जुड़े।

पर्यावरणविदों का कहना है कि यदि सही ढंग से संरक्षित रहा, तो यह स्थल न केवल राज्य की जैव विविधता का प्रतीक बनेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक मॉडल स्थापित कर सकता है। हजारीबाग के निवासी अब अपनी ‘हरित धरोहर‘ को नई ऊंचाइयों पर ले जाने को तैयार हैं।Hazaribagh Kanhari hill becomes biodiversity heritage site 1

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