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नेपाल में नया अध्याय: सुशीला कार्की बनीं अंतरिम प्रधानमंत्री, सत्ता संकट का अंत

काठमांडू (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। नेपाल में पिछले कुछ दिनों से चल रहे राजनीतिक संकट का अंत आखिरकार हो गया है। देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है। आज रात को शीतल निवास में होने वाली शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही वह आधिकारिक रूप से नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बन जाएंगी। इस ऐतिहासिक कदम ने न केवल नेपाल की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू किया है, बल्कि जनता के बीच भी उम्मीद की किरण जगाई है।

पिछले कुछ दिनों से नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों ने देश को हिलाकर रख दिया था। ‘जेन-जेड’ प्रदर्शनकारियों के नेतृत्व में शुरू हुए इन आंदोलनों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं का गुस्सा सड़कों पर उतर आया, जिसमें कम से कम 51 लोगों की जान चली गई और सैकड़ों घायल हुए। इस अशांति के बीच सुशीला कार्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए सामने आया, जिन्हें उनकी ईमानदारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैये के लिए जाना जाता है।

राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल के साथ कई दौर की बातचीत के बाद कार्की के नाम पर सहमति बनी। सूत्रों के अनुसार, कार्की को ऊपरी सदन में नामित करने के बाद उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए औपचारिक रूप से नियुक्त किया जाएगा। इस प्रक्रिया में संवैधानिक बाधाओं को दूर करने के लिए राष्ट्रपति द्वारा एक अध्यादेश भी जारी किया जा सकता है।

सुशीला कार्की के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद शुक्रवार रात को शीतल निवास में अंतरिम सरकार की पहली कैबिनेट बैठक आयोजित होने वाली है। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी, जिसमें संसद को भंग करने की सिफारिश भी शामिल है। जेन-जेड प्रदर्शनकारियों ने संसद भंग करने की मांग की थी, ताकि नई सरकार के गठन और संवैधानिक सुधारों की दिशा में कदम उठाए जा सकें।

सूत्रों के अनुसार, कार्की के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का मुख्य उद्देश्य देश में शांति और स्थिरता बहाल करना, भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम उठाना और समय पर चुनाव करवाना होगा।

काठमांडू की रहने वाली बिमला खटिवडा ने इस नियुक्ति का स्वागत करते हुए कहा कि एक नेपाली महिला के रूप में, मुझे खुशी है कि हमें पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री मिल रही हैं। उनकी कानूनी पृष्ठभूमि और ईमानदारी से मुझे उम्मीद है कि देश में जल्द ही शांति बहाल होगी।

73 वर्षीय सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रही हैं, जिन्होंने 2016 में इस पद को संभाला था। 2017 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल ‘प्रचंड’ और कई सांसदों द्वारा उन्हें पद से हटाए जाने से पहले उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सख्त नीतियों के लिए ख्याति प्राप्त की थी। उनकी स्वतंत्रता, निष्पक्षता और कानून के प्रति समर्पण ने उन्हें जनता और प्रदर्शनकारियों के बीच एक लोकप्रिय चेहरा बनाया।

जेन-जेड प्रदर्शनकारियों ने डिस्कॉर्ड पर एक ऑनलाइन वोटिंग के जरिए कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए चुना, जिसमें उन्होंने काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह और सामाजिक कार्यकर्ता महाबीर पुन जैसे अन्य दावेदारों को पछाड़ा। उनकी नियुक्ति को न केवल प्रदर्शनकारियों, बल्कि आम जनता और पूर्व राजनयिकों ने भी सकारात्मक कदम बताया है।

नेपाल, जो 2008 में राजशाही के उन्मूलन के बाद से ही राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा है, अब एक नए मोड़ पर खड़ा है। कार्की के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी देश में शांति और स्थिरता बहाल करना, भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करना और समय पर निष्पक्ष चुनाव करवाना। इसके अलावा संवैधानिक सुधारों और संसद भंग करने जैसे जटिल मुद्दों पर भी उनकी सरकार को फैसले लेने होंगे।

पूर्व भारतीय राजनयिक महेश सचदेव ने कार्की की नियुक्ति को सकारात्मक विकास करार देते हुए कहा कि वह एक गैर-विवादास्पद और सम्मानित शख्सियत हैं। उनकी नियुक्ति संवैधानिक ढांचे के तहत की जा रही है, जो देश को स्थिरता की ओर ले जा सकती है।

बहरहाल सुशीला कार्की की नियुक्ति नेपाल के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है। एक ऐसी महिला, जो अपनी ईमानदारी और निष्पक्षता के लिए जानी जाती है, अब देश को संकट से बाहर निकालने की जिम्मेदारी संभालेगी। जेन-जेड प्रदर्शनकारियों के आंदोलन ने न केवल सत्ता परिवर्तन को संभव बनाया, बल्कि यह भी दिखाया कि युवा शक्ति लोकतंत्र को नई दिशा दे सकती है। अब सभी की निगाहें कार्की की अंतरिम सरकार पर टिकी हैं, जो नेपाल को एक नई शुरुआत की ओर ले जाएगी।

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