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बिहार के इन अंचलकर्मियों को चाहिए यूपी के करौली बाबा का इलाज, जानें गजब मामला!

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के जमुई जिले के सिकंदरा अंचल कार्यालय में इन दिनों एक अजीबोगरीब घटना चर्चा का विषय बनी हुई है। अंचल कार्यालय के कर्मियों पर कथित रूप से ‘गंदी छाया’ का प्रभाव है। जिसके कारण कार्यालय का सामान्य कार्य बाधित हो गया बताया जा रहा है। इस अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए कर्मियों को ईश्वरीय चिकित्सा दिलाने की मांग की गई है।

दरअसल सिकंदरा अंचल कार्यालय में कार्यरत कर्मियों द्वारा किए गए दावे के अनुसार वे सामान्य रूप से सरकारी कार्यों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं। कार्यालय में कर्मियों के विलंब से आने और कार्यक्षमता में कमी की सूचना मिल रही है।

इस स्थिति को गंभीर मानते हुए प्रभारी प्रधान सहायक प्रवीण कुमार पांडेय ने  बीते 1 मार्च 2025 को पत्र संख्या 22 के माध्यम से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव को सूचित किया है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि कर्मियों पर ‘गंदी छाया’ का प्रभाव है। जिसके चलते वे नियमित रूप से काम करने में असमर्थ हो रहे हैं।

पत्र में विशेष रूप से यह अनुरोध किया गया कि कर्मियों को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित करौली सरकार उर्फ बाबा संतोष सिंह भदौरिया उर्फ करौली बाबा के पास भेजा जाए। ताकि वे ‘गंदी छाया’ से मुक्त हो सकें। यह पत्र वायरल होते ही चर्चा का विषय बन गया और अधिकारियों ने मामले को संज्ञान में लिया।

जब इस पत्र की जानकारी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के उच्चाधिकारियों को मिली तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया। प्रभारी अंचल अधिकारी विश्वजीत कुमार ने स्वयं सिकंदरा अंचल कार्यालय पहुंचकर इस मामले की जांच की।

उन्होंने प्रभारी प्रधान सहायक प्रवीण कुमार पांडेय को इस तरह के पत्र भेजने पर कड़ी फटकार लगाई और स्पष्ट किया कि सरकारी कार्यों में इस तरह की अंधविश्वासी बातों को स्थान नहीं दिया जा सकता।

कुछ कर्मियों ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि कार्यालय में पिछले कुछ समय से असामान्य घटनाएं हो रही हैं। उनका दावा है कि वे मानसिक रूप से दबाव महसूस कर रहे हैं और कार्यस्थल पर अजीब तरह की ऊर्जा का अनुभव कर रहे हैं। हालांकि इस मामले को लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कोई ठोस प्रमाण नहीं है।

इस अनोखे घटनाक्रम को लेकर सोशल मीडिया पर भी जमकर चर्चाएं हो रही हैं। लोग इस घटना को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ लोग इसे कर्मियों की मनोवैज्ञानिक स्थिति से जोड़कर देख रहे हैं तो कुछ इसे सरकारी कार्यालयों में फैली लापरवाही और बहानेबाजी का एक उदाहरण मान रहे हैं।

अब देखना यह है कि सरकार और प्रशासन इस मामले को किस तरह से संज्ञान में लेते हैं। क्या कर्मियों को सच में करौली बाबा के पास भेजा जाएगा या फिर प्रशासन इस मामले का कोई अन्य समाधान निकालेगा? फिलहाल सिकंदरा अंचल कार्यालय का यह अंधविश्वासी पत्र पूरे देश चर्चा का विषय बना हुआ है।

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