पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के नवादा जिले में एक बड़ा प्रशासनिक घटनाक्रम सामने आया है। नवादा जिला समाहरणालय और जिला अतिथिगृह (परिसदन भवन) को कुर्क करने का आदेश जिला व्यवहार न्यायालय ने जारी किया है। यह आदेश नवादा व्यवहार न्यायालय के सब-जज प्रथम आशीष रंजन की अदालत ने दिया है।
दरअसल यह मामला फुलवरिया जलाशय परियोजना रजौली से जुड़ा है। यहां भूमि अधिग्रहण के बाद भी कई विस्थापित परिवारों को अब तक मुआवजा नहीं दिया गया है। इसके खिलाफ व्यवहार न्यायालय में कई मामले लंबित थे। उनमें से एक इजराइ वाद संख्या 3/2002 (शांति देवी वगैरह बनाम बिहार सरकार व अन्य) था।
अदालत ने इस मामले में बिहार सरकार की उदासीनता पर सख्त टिप्पणी की और कहा कि देश संविधान और कानून से चलता है। पीड़ितों को उनका हक दिलाने के लिए कोर्ट ने समाहरणालय और अतिथिगृह भवन को कुर्क करने का आदेश दिया है।
कहा जाता है कि सरकार को विस्थापितों को 10 लाख 27 हजार 388 रुपये 27 पैसे का भुगतान 2015 में करना था। लेकिन अब तक राशि नहीं दी गई। इसके बाद हर साल 15 फीसदी ब्याज जुड़ने के कारण अब सरकार को लगभग 25 लाख रुपये भुगतान करने होंगे। यदि यह राशि जल्द अदा नहीं की गई तो समाहरणालय और अतिथिगृह भवन की नीलामी कर दी जाएगी।
इस फैसले के बाद विस्थापित परिवारों में खुशी की लहर है। वर्षों से वे प्रशासन से मुआवजे की गुहार लगा रहे थे। लेकिन अब न्यायालय के आदेश से उनकी उम्मीदें बढ़ गई हैं।
वादी पक्ष के अधिवक्ता रंजीत कुमार पटेल ने इस फैसले को जनहित में ऐतिहासिक करार दिया और कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। भूमि अधिग्रहण के बाद विस्थापितों को उचित मुआवजा देना होगा।
अदालत के आदेश के बाद व्यवहार न्यायालय कर्मियों ने वादी के अधिवक्ता रंजीत पटेल के साथ समाहरणालय और जिला अतिथिगृह भवन पर ढोल बजाकर कुर्की का इश्तेहार चिपकाया।
अब सरकार के पास दो ही विकल्प हैं। या तो तुरंत बकाया राशि का भुगतान करे या फिर समाहरणालय और जिला अतिथिगृह भवन की नीलामी के लिए तैयार रहे। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है। इस आदेश का पालन करेगी या मामला और लंबा खिंचेगा? यह देखना अब अहम होगा।
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