“यह घटना बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर और प्रबंधन की खामियों को उजागर करती है। सरकार के प्रयासों के बावजूद जमीनी सच्चाई में सुधार अभी भी दूर की कौड़ी लगता है…
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार में सरकारी स्कूलों की व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए शिक्षा विभाग के एसीएस डॉ. एस. सिद्धार्थ ने आज शनिवार को मधुबनी जिले के एक स्कूल की वीडियो कॉल पर जांच की। उनकी यह मॉनिटरिंग स्कूलों की स्थिति का वास्तविक आकलन करने के लिए की जाती है। लेकिन इस बार जो हुआ उसने उन्हें गुस्से में ला दिया।
वीडियो कॉल के दौरान टोला सेवक राजबिंद राम ने स्कूल की वास्तविक स्थिति दिखाई। क्लासरूम में बच्चे जमीन पर बैठे नजर आए। जब डॉ. सिद्धार्थ ने शिक्षक को फोन पर बुलाने को कहा, तो सेवक ने बताया कि शिक्षक सब्जी लाने बाजार गए हैं।
एसीएस ने सवाल किया कि स्कूल में कुल कितने शिक्षक हैं। इस पर सेवक ने बताया कि छह हैं। इस पर उन्होंने पूछा कि बाकी शिक्षक कहां हैं। घबराए सेवक ने जवाब दिया कि वे भी सब्जी लेने गए हैं। यह सुनते ही डॉ. सिद्धार्थ ने कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि फोन रखते ही अधिकारियों को निरीक्षण के लिए भेजूंगा।
स्कूल में बच्चों की संख्या 137 बताई गई, लेकिन जब एसीएस ने खुद बच्चों की गिनती की, तो एक कक्षा में 14 और दूसरी में 23 बच्चे मिले। उन्होंने सेवक से सवाल किया कि बाकी बच्चे कहां हैं। इस पर सेवक कोई ठोस जवाब नहीं दे सका। आखिर में मिड-डे मील की स्थिति पूछने पर सेवक ने बताया कि बच्चों को खिचड़ी परोसी जाएगी।
बिहार सरकार ने बच्चों को स्कूल लाने और नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी टोला सेवकों को सौंपी है। राज्य भर में 28,000 से अधिक टोला सेवक इस काम में लगे हैं। हालांकि इस घटना ने उनकी भूमिका और सिस्टम की निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
डॉ. सिद्धार्थ ने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिया कि संबंधित स्कूल की गहन जांच की जाए और गैर-हाजिर शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
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